आम आदमी पार्टी ने बीजेपी सरकार द्वारा दिल्ली की सड़कों से एक झटके में 10 साल पुराने 62 लाख वाहनों को हटाने के तुगलकी फरमान पर कड़ी आपत्ति जताई है। नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने कहा कि बीजेपी सरकार का यह तुगलकी फरमान वाहन निर्माता कंपनियों से सांठगांठ का नतीजा है। उन्होंने बीजेपी से पूछा कि पिछले पांच साल में वाहन निर्माता कंपनियों से उसको कितना चंदा मिला है, दिल्ली की जनता को बताए। सच तो यह है कि बीजेपी को दिल्लीवालों की चिंता नहीं है, उसे सिर्फ वाहन निर्माता कंपनियों की चिंता है। यह तुगलकी फरमान वाहन निर्माता कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए लाया गया है, ताकि दिल्ली में 62 लाख वाहनों को बेचा जा सके।
उधर, ‘‘आप’’ के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने कहा कि सिर्फ 5 महीने में ही दिल्ली के बच्चे-बच्चे को समझ आ गया कि बीजेपी वालों को सरकार चलानी नहीं आती है, इन्हें तो बस लोगों को सताना आता है, लूटना आता है, घर उजाड़ना और बर्बाद करना आता है। 10 साल पुरानी कार और बाइक्स को पेट्रोल नहीं मिलने से प्रदूषण कैसे कम होगा? इससे तो बस दिल्ली के चारों तरफ बॉर्डर पर स्थित यूपी और हरियाणा के पेट्रोल पंपों की चांदी हो गई है। इन पंपों पर लंबी-लंबी लाइनें लग रही हैं और उनमें से 90 फीसद लोग दिल्ली के वही हैं, जिनकी गाड़ियां 10 साल पुरानी हैं।
मनीष सिसोदिया ने कहा कि जिसे अपने घर से 5-10 किमी जाना था, वो अब 15-20 किमी दूर दिल्ली की सीमा से सटे पेट्रोल पंप पर जाकर तेल भरवा रहा है, ताकि दिल्ली में अपनी गाड़ी चला सके। अब बताइए, प्रदूषण भी बढ़ेगा, सड़कों पर भीड़ भी बढ़ गई और आम आदमी परेशान अलग से हो रहा है। इसलिए कहते हैं कि इनसे सरकार नहीं चलाई जाती, सिर्फ़ जनता को सताना आता है। सत्ता में आए अभी सिर्फ़ 5 महीने ही हुए हैं, लेकिन इतने कम समय में इन्होंने जनता को परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ा। ना बिजली ठीक से मिल रही है, ना पानी। प्राइवेट स्कूलों की लूट पर सरकार चुप बैठी है, गरीबों की झुग्गियां बेरहमी से गिराई जा रही हैं और अब कार मालिकों को तुगलकी फरमान से निशाना बनाया जा रहा है। आज बीजेपी के अपने ही वोटर पछता रहे हैं कि क्या इसी दिन के लिए वोट दिया था? ये सरकार नहीं, जनता पर एक सज़ा है, जो हर दिन और भारी होती जा रही है।
वहीं, “आप” की वरिष्ठ नेता व विधानसभा की नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने बुधवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेस वार्ता कर कहा कि भाजपा की दिल्ली सरकार ने दिल्ली के लोगों को परेशान करने के लिए एक तुगलकी फरमान निकाला है। इस फरमान के तहत 10 साल से पुरानी गाड़ियों को ईंधन नहीं मिलेगा और इन्हें सड़क से हटना पड़ेगा। इस तुगलकी फरमान से एक झटके में दिल्ली की सड़कों से 62 लाख वाहनों को हटना पड़ेगा। इसमें 40 लाख से ज्यादा दो पहिया और 20 लाख चार पहिया वाहन शामिल हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली के ज्यादातर आम लोग दो पहिया वाहन के जरिए ऑफिस जाते हैं। अब 40 लाख मोटरसाइकिल मालिक कैसे ऑफिस जाएंगे। अपनी दिनचर्या कैसे पूरी करेंगे? दूसरी तरफ, दिल्ली में कई बुजुर्ग अपनी गाड़ियों का इस्तेमाल सिर्फ घर से बाजार जाने-आने के लिए करते हैं। ये लोग अक्सर सेकंड-हैंड गाड़ियां खरीदते हैं और उनका स्थानीय उपयोग करते हैं। अब ये बुजुर्ग अपने घर से बाजार क्या पैदल चलकर जाएंगे और 10-10 किलो सामान अपने हाथों में ढोकर लाएंगे? क्या यही भाजपा चाहती है?
आतिशी ने कहा कि बीजेपी सरकार का यह आदेश तुगलकी, निराधार और तर्कहीन है। क्योंकि किसी गाड़ी की उम्र और उसके द्वारा हो रहे प्रदूषण से कोई लेना-देना नहीं है। अगर गाड़ियों को अच्छे से मेंटेन किया जाए, तो वे पुरानी होने के बावजूद प्रदूषण नहीं करतीं। गाड़ी पुरानी होने का मतलब यह नहीं कि वह अधिक इस्तेमाल की गई है। कई गाड़ियां सात साल में तीन लाख किलोमीटर चल चुकी होती हैं, जबकि कई 15 साल में भी 50,000 किलोमीटर से ज्यादा नहीं चली हों। बीजेपी के इस फरमान के अनुसार, तीन लाख किलोमीटर चली गाड़ी सड़क पर रह सकती है, लेकिन 50 हजार किमी चली गाड़ी को सड़क से हटना पड़ेगा। यह तुगलकी फरमान नहीं तो और क्या है?
आतिशी ने कहा कि यह सरकार चल रही है या फुलेरा की पंचायत चल रही है। बीजेपी सरकार जो जो मन में आया, वह आदेश पारित कर दिया गया, जिसका प्रदूषण नियंत्रण से कोई लेना-देना नहीं है, आदेश तर्कहीन है। अगर इस आदेश का विश्लेषण किया जाए, तो 10 साल पुरानी गाड़ियों को सड़क से हटाने के तुगलकी फरमान के पीछे एक ही कारण हो सकता है कि बीजेपी की कार व टू व्हीलर निर्माता कंपनियों से सेटिंग हो गई है। 62 लाख गाड़ियों को सड़क से हटाने से 62 लाख लोगों को नई बाइक और कारें खरीदनी पड़ेंगी। इसका सीधा फायदा सिर्फ वाहन निर्माता कंपनियों को होगा।
आतिशी ने भाजपा को चुनौती देते हुए कहा कि पिछले पांच साल में चार पहिया व दो पहिया वाहन निर्माता कंपनियों से बीजेपी को कितना चंदा मिला है, वह दिल्ली के लोगों को बताए। भाजपा दिल्ली की जनता के सामने रखे कि पांच साल में लोकसभा व दिल्ली समेत विभिन्न राज्यों के चुनाव के लिए इन वाहन निर्माता कंपनियों से बीजेपी को कितना चंदा दिया गया। इससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। क्योंकि यही एकमात्र कारण है कि 10 साल पुरानी गाड़ियों को सड़कों से हटाया जा रहा है ताकि लोगों को नई बाइक और कार खरीदनी पड़े।
वाहनों को सड़कों से हटाने को लेकर एनजीटी के आदेश के सवाल का जवाब देते हुए आतिशी ने कहा कि भाजपा की चार इंजन वाली सरकार नया कानून क्यों नहीं ला रही है? एनजीटी, सुप्रीमकोर्टया हाई कोर्ट कानून के हिसाब से आदेश देते हैं। जब सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के केस पर दिल्ली की चुनी हुई सरकार को सारी शक्तियां दी थीं, तो भाजपा की केंद्र सरकार आठ दिन के अंदर अध्यादेश ले आ गई थी। इस मामले में बीजेपी दिल्ली विधानसभा या संसद से नया कानून क्यों नहीं पारित कर सकती। कानून में गाड़ी की फिटनेस और माइलेज को उसकी उम्र का आधार बनाया जा सकता है। अगर बीजेपी दिल्ली के लोगों को राहत देना चाहे, तो बिल्कुल दे सकती है, लेकिन बीजेपी को दिल्लीवासियों की नहीं, बल्कि करोड़ों रुपए चंदा देने वाली वाहन निर्माता कंपनियों की चिंता है। इसलिए बीजेपी चाहती है कि वाहन निर्माता कंपनियों को 40 लाख नई बाइक और 20 लाख नई कारें बेचने का मौका मिले, ताकि उन्हें हजारों करोड़ का फायदा हो। पुराने वाहनांे को सड़क से हटाने के पीछे हाने का आदेश जारी करने के पीछे एकमात्र यही असली कारण है।