आम आदमी पार्टी ने एमसीडी में सत्तासीन बीजेपी द्वारा शिक्षकों की वरिष्ठता सूची, प्रमोशन, तबादला और बच्चों के यूनिफार्म में किए जा रहे भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया है। एमसीडी में नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग ने सबूतों के साथ बीजेपी के भ्रष्टाचार की पोल खोलते हुए कहा कि बीजेपी अपने लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए मानदंडों को दरकिनार कर वरिष्ठता सूची बना दी है। पैसा कमाने के लिए बीजेपी ने सारी हदें पार करते हुए अपने लोगों को सेट करने के लिए गंभीर बीमारी से पीड़ित टीचरों का जबरदस्ती तबादला कर दिया, जबकि उन्होंने तबादला करने के लिए आवेदन भी नहीं किया। अब बीजेपी की एमसीडी वरिष्ठता सूची गलत होने के बाद भी उसी के आधार पर टीचरों के प्रमोशन की लिस्ट भी जारी करने जा रही है। मेयर राजा इकबाल से मांग है कि वह वरिष्ठता सूची, प्रमोशन, तबादला नीति और यूनिफॉर्म मामले की तत्काल जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई करें।
‘‘आप” के वरिष्ठ नेता व एमसीडी के नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग ने सोमवार को प्रेस वार्ता कर कहा कि “आप” सरकार ने हमेशा शिक्षा पर 25 से 40 फीसद तक बजट आवंटित किया और शिक्षा के क्षेत्र में कई बेहतरीन काम किए। जब “आप” एमसीडी की सरकार बनी, हमें बड़ी उम्मीद थी कि शिक्षा विभाग उत्कृष्ट कार्य करेगा और एमसीडी के स्कूल दिल्ली के सरकारी स्कूलों की तरह प्रगति करेंगे। एक बड़े राजनेता ने कहा था कि अगर लोग शिक्षित हो गए, तो वे अपने अधिकारों उनके लिए संघर्ष करेंगे और भाजपा जैसी पार्टियों की राजनीति खत्म हो जाएगी। “आप” का मानना है कि दिल्ली में बदलाव के लिए हर व्यक्ति को शिक्षित होना होगा और दिल्ली के विकास में अपना योगदान देना होगा। कोई अकेले बदलाव नहीं ला सकता है।
अंकुश नारंग ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व में एमसीडी के शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार बहुत बढ़ गया है। उसकी कोई सीमा नहीं है। 4 जून 2025 को शिक्षा विभाग ने एक सर्कुलर जारी कर वरिष्ठता की सूची तैयार करने की बात कही और निदेशक ने खूब वाहवाही लूटी और कहा कि तीन दशक बाद शिक्षकों की वरिष्ठता सूची बन रही है। इससे पहले भी बीजेपी की सरकार थी। तब वरिष्ठता सूची क्यों नहीं बनाई? सर्कुलर में कहा गया कि 1 जनवरी 1995 से 31 दिसंबर 2002 तक नियुक्त शिक्षकों की प्रोविजनल सीनियरिटी लिस्ट बनाई जाएगी। जबकि अब 2025 चल रहा है। यानी दो दशक की वरिष्ठता सूची नहीं बनेगी। इनका कहना है कि प्रोविजनल सीनियरटिी लिस्ट हमने एमसीडी के पोर्टल पर डाला दी है।
अंकुश नारंग ने कहा कि इस प्रोविजनल लिस्ट में लोगों ने आपत्तियां दर्ज कीं। शिक्षक मुकेश कुमार मीणा आपत्ति की कि उनकी जॉइनिंग 18 फरवरी 2002 है, लेकिन लिस्ट उनका नाम में नहीं है, जबकि सर्कुलर में 31 दिसंबर 2002 तक की नियुक्तियों को शामिल करना था। वरिष्ठता सूची बनाने का मानदंड है कि जिस दिन से ज्वाइंनिंग हुई, उस दिन से तय होगी। सुप्रीम कोर्ट का भी आदेश है। डीओपीटी का आदेश भी यही कहता है। एक महिला टीचर गीता ग्रोवर की 14 जुलाई 1995 और विजय कुमार सिंह की ज्वाइनिंग 11 जुलाई 1995 है। जब सुप्रीम कोर्ट कहता है कि जॉइनिंग तारीख के आधार पर वरिष्ठता तय होगी, तो 14 जुलाई 1995 को ज्वाइन करने वाले विजय कुमार को 11 जुलाई 1995 को ज्वाइन करने वाली गीता ग्रोवर से ऊपर कैसे रख दिया गया? इसी तरह, अनीता देवी की जॉइनिंग 2 जुलाई 1997 है, लेकिन वरिष्ठता सूची में 7 जनवरी 1997 को ज्वाइन करने वाली अजरा परवीन से उपर रखा गया है। वरिष्ठता तय करने का पहला मानदंड ज्वाइनिंग की तारीख होती है। अगर एक से अधिक टीचर की जॉइनिंग की तारीख एक होने पर जन्म तिथि में जो वरिष्ठ होगा, उसको पहले लिस्ट में लिया जाएगा। इसके अलावा, डीएसएसबी की मेरिट रैंक के आधार पर वरिष्ठता तय होती है।
अंकुश नारंग ने कहा कि भाजपा ने डाक नंबर के आधार पर लिस्ट बनाई है। जिसमें जॉइनिंग की तारीख और जन्म तिथि तो शामिल है, लेकिन डीएसएसबी की मेरिट रैंक नहीं है। अगर किसी की नौकरी 20 तारीख को लगी और जॉइनिंग 21 तारीख को हुई, जबकि किसी अन्य की नौकरी 22 तारीख को मिली और जॉइनिंग 23 तारीख को हुई, लेकिन 23 तारीख को ज्वाइन करने वाली की डाक 24 तारीख को गई और 22 को ज्वाइन करने वाली की डाक 25 तारीख को गई। ऐसे में डाक तारीख के आधार पर वरिष्ठता तय करना गलत है। जॉइनिंग की तारीख के आधार पर वरिष्ठता तय होनी चाहिए, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट और डीओपीटी के आदेश में स्पष्ट है। बीजेपी ने डाक की रैंक से वरिष्ठता सूची बनाई और डीएसएसबी की रैंक नहीं दिखाई। भाजपा अपने लोगों को वरिष्ठता में शामिल कराने के लिए अधिकारियों से मिलकर यह सब करवा रही है। एमसीडी को आपत्तियों के आधार पर वरिष्ठता सूची को ठीक करके दोबारा पोर्टल पर अपलोड करना चाहिए था। लेकिन नहीं डाली गई है। अब ये वरिष्ठता लिस्ट के आधार पर ही प्रमोशन की सूची भी निकाल रहे हैं। जब वरिष्ठता सूची ही गलत बनी है, तो उसके आधार पर प्रमोशन लिस्ट कैसे बना रहे हैं। यह सब भाजपा अपने लोगों को आगे बढ़ाने और भ्रष्टाचार के जरिए पैसा कमाने के लिए कर रही है।
अंकुश नारंग ने कहा कि अगर वरिष्ठता सूचनी बनाने के नियम नहीं पता थे, तो कानून विभाग की मदद लेते, लेकिन भाजपा ने 100 शिक्षकों को बिठाकर जल्दबाजी में सूची बनवाकर पोर्टल पर डलवा दी। उन्होंने 1997-98 में भाजपा के एक नेता ने अपने लोगों को बिना मेरिट के एमसीडी स्कूलों में भर्ती करवाया। जब डीएसएसबी 1999 से लागू हुआ था तो 1997-98 में भर्ती लोगों को सीनियर कैसे बना दिया? 1995 से पहले की वरिष्ठता सूची के साथ इस सची को मर्ज भी नहीं किया और न ही प्रमोटेड या रिटायर्ड शिक्षकों को भी शामिल किया गया। बीजेपी बताए कि किस आधार पर फर्जी वरिष्ठता सूची बनाकर पोर्टल पर डाली। यह शिक्षा विभाग और भाजपा का स्पष्ट भ्रष्टाचार है, जो केवल अपने लोगों को लाभ पहुंचाना चाहता है, जबकि ईमानदारी से काम करने वाले शिक्षकों को दरकिनार किया जा रहा है।
अंकुश नारंग ने कहा कि हाल ही में बीजेपी शासित एमसीडी ने 46 शिक्षकों का तबादला किया है। यह तबादला ऑनलाइन होना चाहिए। एमसीडी के शिक्षा विभाग ने बीजेपी से मिलकर ट्रांसफर चाहने वाले अपने खास 23 लोगों को सेट करने के लिए उन शिक्षकों को हटा दिया जो तबादले के लिए आवेदन ही नहीं दिए थे। इन हटाए गए शिक्षकों ने स्पष्ट लिखा था कि उन्होंने तबादले के लिए कोई आवेदन नहीं दिया। बीजेपी ने अपने लोगों को सेट करने के लिए कैंसर से पीड़ित एक शिक्षक का तबादला कर दिया। शिक्षक दर्शना वर्मा स्पॉन्डिलाइटिस की मरीज हैं। उन्हें ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ती है। दर्शना वर्मा ने लिखा है कि उनकी रीढ़ लगभग खराब हो चुकी है और 20 जुलाई 2004 को उनके पति का स्वर्गवास हो चुका है, फिर भी उनका तबादला कर दिया गया। यह सब भ्रष्टाचार के लिए और चंद नोटों के लिए किया गया।
अंकुश नारंग ने कहा कि हाल ही में डिप्टी मेयर ने कहा था कि महिला शिक्षकों का तबादला उनके घर के पास होना चाहिए, लेकिन उन्होंने कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित महिला शिक्षकों का तबादला 30-35 किलोमीटर दूर कर दिया। 15 सितंबर 2023 की मौजूदा तबादला नीति को नजरअंदाज किया गया। उन्होंने पूछा कि 23 शिक्षकों के तबादले का आधार क्या था? क्या तबादला नीति लागू की गई या ऑनलाइन प्रक्रिया दिखाई गई? उन्होंने इसे भाजपा और शिक्षा विभाग की मिलीभगत करार देते हुए कहा कि यह तबादला भ्रष्टाचार और पैसे लेकर अपने लोगों को सेट करने के लिए किया गया। बताया जा रहा है कि इन 23 तबादलों में 13 लोग भाजपा के और 10 लोग शिक्षा विभाग अधिकारियों के हैं। शिक्षक यूनियन ने धरना-प्रदर्शन किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। शिक्षा हमारी संस्कृति और देश का स्तम्भ है, उसे बीजेपी ने खत्म कर दिया।
अंकुश नारंग ने कहा कि नरेला जोन में 6.60 करोड़ रुपए की 60,000 बच्चों की यूनिफॉर्म 10 साल तक गोदाम में धूल फांकती रही। यह यूनिफॉर्म 2013-14 में बीजेपी शासित एमसीडी ने खरीदी थी। इसमें एक जांच कमेटी बनी और उसने 31 मार्च 2025 को शिक्षा निदेशक को अपनी रिपोर्ट सौंपी और 6 जून 2025 को निदेशक ने डिप्टी कमिश्नर को रिपोर्ट भेजी। अभी तक किसी पर कार्रवाई नहीं हुई है। अधिकारियों को बचाया जा रहा है। 6 करोड़ 60 लाख रुपए के आर्थिक नुकसान के लिए जिम्मेदार कौन है। इसका भुगतान कौन करेगा। शिक्षा विभाग और इसके जोनल अधिकारियों को बचाने की कोशिश की जा रही है। जांच कमेटी की रिपोर्ट में दोषियों का नाम होने के बावजूद, गवाहों को बुलाकर उनके बयान बदले जा रहे हैं, जो एक फर्जी जांच को दर्शाता है। यह सब भाजपा और शिक्षा विभाग द्वारा भ्रष्टाचार छुपाने की कोशिश है।
एमसीडी की सत्ता में आने के बाद बीजेपी के लोग जमकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। अपने लोगों को अतिरिक्त लाभ दे रहे हैं। बीजेपी बताए कि एमसीडी के शिक्षा विभाग समेत अन्य विभागों में चल रहे भ्रष्टाचार को कब खत्म करेगी? वरिष्ठता सूची, तबादला नीति और यूनिफार्म मामले में क्या शिक्षा विभाग से जवाब मांगेगी। मेयर राजा इकबाल तत्काल शिक्षा विभाग के खिलाफ जांच बैठाएं और वरिष्ठता सूची, प्रमोशन, तबादला नीति और यूनिफॉर्म मामले की जांच कराएं। अगर मेयर की भी इसमें मिलीभगत है, तो बीजेपी को शर्म आनी चाहिए। क्योंकि हमारे बच्चों के भविष्य से जुड़ी शिक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।