आम आदमी पार्टी ने कृत्रिम वर्षा को लेकर बीजेपी पर तीखा हमला बोला है। ‘‘आप’’ के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कृत्रिम वर्षा प्रोजेक्ट को अपनाकर बीजेपी अरविंद केजरीवाल के विजन की नकल कर रही है। यह इस बात का प्रमाण है कि दिल्ली को लेकर सिर्फ अरविंद केजरीवाल के पास विजन है। उन्होंने सीएम रेखा गुप्ता से पूछा कि जब केजरीवाल सरकार कृत्रिम वर्षा कराना चाहती थी, तब बीजेपी मुंगेरी लाल के हसीन सपने कहकर मजाक उड़ाती थी, तो अब वह क्यों कराना चाहती है? केजरीवाल सरकार को केंद्र ने कृत्रिम वर्षा के लिए कोई अनुमति नहीं दी, लेकिन अब बीजेपी की सरकार है तो सारी अनुमति दे दी। अभी दिल्ली में बारिश नहीं हो रही तो बीजेपी कृत्रिम वर्षा भी नहीं करा रही, लेकिन जब बारिश हो जाएगी, तब कहेगी कि हमने कृत्रिम वर्षा कराई है।
आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता कर कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण हमेशा से बड़ा मुद्दा रहा है। अरविंद केजरीवाल आईआईटी के इंजीनियर हैं और आम आदमी पार्टी की पढ़ी लिखी सरकार थी। ‘‘आप’’ सरकार ने कहा था कि नवंबर-दिसंबर के महीने में वैज्ञानिक तरीके से कृत्रिम वर्षा कराकर वायु प्रदूषण को थोड़ा का कम कर सकते हैं। ‘‘आप’’ की सरकार ने कृत्रिम वर्षा की पूरी योजना बनाई। उस वक्त बीजेपी यह कहकर मजाक उड़ाती थी कि यह अरविंद केजरीवाल के मुंगेरी लाल के हसीन सपने हैं। बीजेपी औपचारिक तौर पर कहती थी कि कृत्रिम वर्षा मुंगेरी लाल के हसीन सपने हैं।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हम लोगों ने केंद्र सरकार से बार-बार कृत्रिम वर्षा के लिए अनुमति मांगी, लेकिन केंद्र सरकार ने अनुमति नहीं दी। बीजेपी कहती थी कि अरविंद केजरीवाल पूरे भारत का कोई एक उदाहरण दे दें, जहां पर कृत्रिम वर्षा सफल हुई हो। कृत्रिम वर्षा नहीं कराई जा सकती। अरविंद केजरीवाल पैसा बर्बाद करना चाहते हैं। अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार करना चाहते हैं। इसलिए कृत्रिम वर्षा कराना चाहते हैं। इस तरह की बातें करके बीजेपी दिल्ली को प्रदूषण में ढकेले रखा। कृत्रिम वर्षा से कहीं प्रदूषण कम न हो जाए, इसका बीजेपी ने राजनैतिक तौर पर कड़ा विरोध किया और बीजेपी की केंद्र सरकार ने सारी अनुमति देने से साफ इन्कार कर दिया।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि बीते 19 जून को दिल्ली में बादल छाए हुए थे। मौसम विभाग रोज कह रहा था कि एक-दो दिन में बारिश आ जाएगी। बादल देख कर लग भी रहा था कि बारिश आ जाएगी। बादल देखकर दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार ने घोषणा कर दी कि अगले दो-तीन दिन के अंदर सरकार कृत्रिम वर्षा कराने जा रही है। सीएम रेखा गुप्ता के इस एलान से दिल्ली के लोग हैरान थे कि प्रदूषण को अक्टूबर-नवंबर में होगा। सरकार अभी कृत्रिम वर्षा कराकर क्या साबित करना चाहती है? बारिश तो वैसे ही होने वाली है। दिल्ली वाले सोचने को मजबूर हो गए कि बीजेपी की सरकार कृत्रिम वर्षा कराकर किसको फायदा पहुंचाना चाहती है या झूठी वाहवाही लूटना चाहती है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि बादल को हवा उड़ा कर ले गई और कड़ाके की धूप निकल रही है। ऐसे में कृत्रिम वर्षा नहीं कराई जा सकती। जब असली बारिश ही नहीं हुई तो कृत्रिम बारिश कैसे होगी? यह दिल्ली का मजाक बनाया गया। बीजेपी ने दिल्ली सरकार को फुलेरा की पंचायत बना दिया है। इनको जो मन आता है, वो करते और कहते हैं। अब जब असली बारिश नहीं हो रही है तो कृत्रिम वर्षा को भी टालते जा रहे हैं। जब असली बारिश होने को होगी तब कहेंगे कि कृत्रिम बारिश करा रहे हैं। अक्टूबर-नवंबर महीने में दिल्ली में बादल नहीं होते हैं। कृत्रिम वर्षा का मतलब है कि जब बारिश का मौसम न हो, तब बारिश कराकर प्रदूषण को कम किया जाता है। पायलट उस समय किया जाता है, जब वैसी परिस्थित हो। वैज्ञानिकों का भी मानना है कि अगर प्रदूषण को कम करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट करना है तो अक्टूबर-नवंबर में पायलट कराना चाहिए। किसके दबाव में बीजेपी की दिल्ली सरकार बारिश के मौसम में कृत्रिम वर्षा कराना चाहती है, यह दिल्लीवालों की समय से परे है।
सौरभ भारद्वाज ने सीएम रेखा गुप्ता से प्रश्न किया कि जब बीजेपी कहती थी कि कृत्रिम वर्षा मुंगेरी लाल के हसीन सपने हैं और यह नहीं होनी चाहिए तो फिर बीजेपी अरविंद केजरीवाल की नकल क्यों कर रही है? बीजेपी के अनुसार अरविंद केजरीवाल गलत काम करना चाह रहे हैं और अब वही बीजेपी अरविंद केजरीवाल की नकल कर रही है। बीजेपी कृत्रिम वर्षा को पैसे की बर्बादी कहती थी तो अब वह खुद पैसे की बर्बादी क्यों कर रही है? अरविंद केजरीवाल सरकार को केंद्र सरकार कृत्रिम वर्षा के लिए कोई अनुमति नहीं देती थी, लेकिन जब बीजेपी की सरकार बन गई तो सारी अनुमति दे दी। यह क्या दोगलापन है। आम आदमी पार्टी इसका जवाब चाहती है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कृत्रिम वर्षा की उपयोगिता दीपावाली यानि अक्टूबर से जनवरी बीच के प्रदूषण से लड़ने मे है। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि जून-जुलाई के बादल का ह्यूमिडिटी आदि स्तर अक्टूबर के बादल के ह्यूमिडिटी आदि के स्तर से बिल्कुल अलग होता है। हम भी मानते है कि देश की राजधानी में कृत्रिम बारिश