भाजपा की विपदा सरकार दिल्ली के निजी स्कूलों को बचाने के लिए हर हथकंडे अपना रही है। अब भाजपा सरकार प्राइवेट स्कूल फीस रेगुलेशन बिल को अध्यादेश के जरिए लाने जा रही है। शिक्षा मंत्री आशीष सूद द्वारा बिल को विधानसभा में पेश नहीं करने की बात साफ करने के बाद आम आदमी पार्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने कहा कि पैरेंट्स को अध्यादेश मंजूर नहीं है। हमारी मांग है कि भाजपा सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर बिल को सदन में पेश करे। इसे सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाए और कमेटी द्वारा पैरेंट्स के सुझाव शामिल करने के बाद पास किया जाए। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने बिल को सार्वजनिक न करके साफ कर दिया कि यह बिल पैरेंट्स के हितों में नहीं है, बल्कि निजी स्कूलों को फायदा पहुंचाने के लिए लाया जा रहा है।
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने गुरुवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेसवार्ता कर कहा कि जब से दिल्ली में भाजपा की सरकार आई है, निजी स्कूलों की बेलगाम फीस बढ़ रही है। स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस, विकास शुल्क, एसी चार्ज, एक्टिविटीज, स्वीमिंग के नाम ज्यादा पैसा लिया जा रहा है। इन फीस को देने में बच्चों के माता-पिता परेशान हैं। पैरेंट्स तीन महीने से सड़कों पर हैं। स्कूल, सीएम के घर और शिक्षा निदेशालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। पैरेंट्स के दबाव में आकर भाजपा सरकार को कैबिनेट में प्राइवेट स्कूल फीस रेगुलेशन बिल लाना पड़ा। लेकिन इस फीस रेगुलेशन बिल को भाजपा ने छिपा को रखा हुआ है। इस बिल को माता-पिता, वकील, विधायक समेत दिल्ली में रहने वाला किसी व्यक्ति ने नहीं देखा है।
आतिशी ने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा फीस रेगुलेशन बिल को क्यों छिपाया जा रहा है। अगर पैरेंट्स के हक में बिल लाया जा रहा है तो पैरंेट्स को दिखकर उनका फीडबैक लेना चाहिए और वेबसाइट पर डाला जाना चाहिए। दिल्ली के इतिहास में पहली बार हो रहा है कि इतनी बड़ी पॉलिसी बिना जनता से रायशुमारी किए लाई जा रही है। बिल के ड्रॉफ्ट को इस तरह छिपाना यह दिखा रहा है कि दाल में कुछ काला है। यह फीस रेगुलेशन बिल फीस कम करके पैरेंट्स को राहत देने के लिए नहीं लाया जा रहा है। यह प्राइवेट स्कूलों पर लगाम कसने के लिए नहीं, बल्कि प्राइवेट स्कूलों को बचाने के लिए लाया जा रहा है।
आतिशी ने कहा कि आम आदमी पार्टी और बच्चों के पैरेंट्स बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं कि फीस रेगुलेशन बिल सार्वजनिक किया जाएगा। यह बिल दिल्ली विधानसभा में पेश होगा तो विधायकों, पैरेंट्स, वकीलों, एक्टिविस्ट के सामने आएगा। इसके बाद आम आदमी पार्टी विधानसभा पटल पर अपनी राय रखेंगे। पैरेंट्स और वकील अपना फीडबैक देंगे। लेकिन बुधवार को दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने प्रेस कांफ्रेंस करके घोषणा की है कि बिल विधानसभा में नहीं पेश होगा। भाजपा सरकार प्राइवेट स्कूल के फीस का कानून चोर दरवाजे से आर्डिनेंस के माध्यम से लाने जा रही है।
आतिशी ने कहा कि अध्यादेश के माध्यम से बिल को लाने के पीछे एक ही वजह है कि यह बिल पैरेंट्स को बढ़ती हुई फीस से बचाने के लिए नहीं आ रहा है, यह बिल स्कूलों का ऑडिट करने के लिए नहीं आ रहा है। यह बिल स्कूलों पर लगाम कसने के लिए नहीं आ रहा है, बल्कि यह बिल सिर्फ स्कूलों को बचाने के लिए आ रहा है। इसीलिए भाजपा सरकार ने पहले इस बिल को छिपाया और सार्वजनिक नहीं किया गया। अब विधानसभा में पेश करने की जगह इसको चोर दरवाजे से अध्यादेश के माध्यम से लाया जा रहा है।
आतिशी ने कहा कि बुधवार को मैं प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने कई बच्चों के पैरेंट्स से मिली और सबकी एक ही आवाज आई कि हमें अध्यादेश नहीं चाहिए, बल्कि बिल सार्वजनिक चाहिए। पैरेंट्स उस पर अपना फीडबैक देना चाहते हैं। पैरेंट्स को अध्यादेश मंजूर नही है। इसलिए आम आदमी पार्टी विधायक दल की तरफ से मैं भाजपा की दिल्ली सरकार से विधानसभा का विशेष बुलाने की मांग करती हूं। इस विशेष सत्र में फीस रेगुलेशन बिल को पेश किया जाए।
आतिशी ने कहा कि दिल्ली विधानसभा के नियम और प्रक्रिया के अनुसार संसद की तरह एक सेलेक्ट कमेटी बनाने का प्रावधान है। यह सेलेक्ट कमेटी बिल का परीक्षण करेगी और जनता से राय लेगी। साथ ही पैरेंट्स,े एक्टिविस्ट, वकीलों और ऑडिटर्स को बुलाएगी। भाजपा सरकार स्पेशन बुलाए, बिल को सदन पटल पर रखा जाए। बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाए। कमेटी अलग-अलग हितधारकों से फीडबैक ले। इसके बाद ही प्राइवेट स्कूल की फीस को रेगुलेशन करने का कानून दिल्ली विधानसभा में पास किया जाए। अगर भाजपा अध्यादेश लाती है, बिल को सार्वजनिक नहीं करती है और जनता से रायशुमारी नहीं करती है तो दिल्ली वालों के सामने यह बात आ जाएगी कि भाजपा की प्राइवेट स्कूलों के साथ सांठगांठ हैं और वह प्राइवेट स्कूलों को बचाना चाहती है। भाजपा बढ़ी हुई फीस लेने के लिए प्राइवेट स्कूलों को शह देना चाहती है।
आतिशी ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने फीस रेगुलेशन बिल पर जनता की राय के लिए एक ई-मेल जारी किया था। दो-तीन दिन के अंदर ही उस पर सैकड़ों लोगों के सुघाव आ गए हैं। पैरेंट्स की सबसे पहले यही मांग है कि बिल को सार्वजनिक किया जाए। बिल को क्यों छिपाया जरा है। सरकार अध्यादेश क्यों लाने जा रही है। बुधवार को मैं दिल्ली के काफी प्राइवेट स्कूलों मंे पढ़ने वाले बच्चों से मुलाकात की। पैरेंट्स ने बिल के प्रावधानों पर अपना फीसबैक दिया है। सभी पैरेंट्स की एक सुर में एक ही आवाज आई है कि हमें अध्यादेश मंजूर नहीं है। बिल को सार्वजनिक किया जाए और जनता से फीडबैक लिया जाए।