आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों के निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) को पत्र लिखा है। जिसमें दिल्ली भर में भाजपा द्वारा बड़े पैमाने पर मतदाता सूची से नाम हटाने के आवेदन जमा करने को लेकर चिंता जताई गई है। पार्टी ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की है कि ये आवेदन चुनाव आयोग की नियमों के अनुसार वेबसाइट पर नहीं अपलोड किए जा रहे हैं। चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, ऐसे आवेदन को वेबसाइट पर अपलोड करना अनिवार्य है।
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता ने पत्र में दिल्ली में और ज्यादा मतदाताओं के नाम हटाने पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने इस पर चिंता जताई कि यह हाल ही में हुए समरी रिवीजन की प्रक्रिया को कमजोर कर सकता है। पार्टी ने मार्च 2023 में जारी मतदाता सूची पर चुनाव आयोग के मैनुअल का हवाला दिया, जिसमें किसी भी व्यक्ति या संगठन को बड़े पैमाने पर मतदाता नाम हटाने के आवेदन जमा करने से मना किया गया है। इसी आधार पर पार्टी ने सभी ऐसे आवेदन को पूरी तरह से खारिज करने की मांग की है। इसके अलावा, पार्टी ने चेतावनी दी है कि जो अधिकारी चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखने में असफल होंगे, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
शाहदरा विधानसभा क्षेत्र (एसी-62) को एक उदाहरण के रूप में इस्तेमाल करते हुए, ‘आप’ ने बताया कि पिछले छह हफ्तों में 11,000 से ज्यादा मतदाताओं के नाम हटाने के लिए आवेदन किए गए हैं। इन आवेदनों में कहा गया है कि ये मतदाता या तो कहीं और जा चुके हैं, मृत हैं या उनके नाम सूची में दोहराए गए हैं। हमें यह जानकारी मिली है कि शाहदरा विधानसभा क्षेत्र (एसी-62) में भाजपा ने पिछले छह हफ्तों में 11,000 से अधिक मौजूदा मतदाताओं के नाम हटाने के लिए आवेदन किए हैं। इस आधार पर कि ये मतदाता या तो कहीं और शिफ्ट हो गए हैं, मृत हैं, या उनके नाम सूची में दोहराए गए हैं। इसके अलावा, संबंधित चुनाव रजिस्ट्रेशन अधिकारी (ईआरओ) ने भाजपा के द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर मतदाता नाम हटाने के आवेदन पर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। हालांकि, भाजपा द्वारा दिए गए इन सूची-आवेदनों को वेबसाइट पर अपलोड किए बिना ही प्रोसेस किया जा रहा है, जो चुनाव आयोग के नियमों के खिलाफ है। इसका मतलब है कि भाजपा द्वारा दिए गए 11,000 आवेदनों पर गुपचुप तरीके से कार्रवाई की जा रही है, और ये वेबसाइट पर नहीं दिखाए जा रहे हैं। पत्र में कहा गया है कि ‘आप’ चुनाव आयोग के दोषी अधिकारियों और शाहदरा में भाजपा के अधिकारियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई कर रही है।
पत्र के माध्यम से ‘आप’ ने जानना चाहा है कि क्या किसी विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के नाम हटाने के लिए भाजपा या किसी अन्य पक्ष से कोई ऐसा आवेदन प्राप्त हुआ है, जो चुनाव आयोग की वेबसाइट पर नहीं दिखाई देता और या तो लंबित है या उस पर कार्रवाई की जा रही है। अगर हां, तो कृपया इसकी पूरी जानकारी तुरंत हमें दी जाए।
मतदाता सूची में किए जा रहे बदलावों के पीछे छिपे हुए मकसदों पर सवाल उठाते हुए पत्र में कहा गया है कि चुनाव आयोग ने हाल ही में 20 अगस्त से 18 अक्टूबर 2024 तक बड़े पैमाने पर सारांश संशोधन प्रक्रिया आयोजित की, और इसके बाद 29 अक्टूबर 2024 को मतदाता सूची प्रकाशित की। जब ऐसी प्रक्रिया सभी विधानसभा क्षेत्रों में पूरी की जा चुकी हो, तो उसके बाद बड़े पैमाने पर मतदाता नाम हटाने की कोई जगह नहीं रहती। इस तरह का बड़ा नाम हटाने का अभियान स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के खिलाफ है और यह चुनाव आयोग की सारांश संशोधन प्रक्रिया को कमजोर करेगा।
पत्र में आगे कहा गया है कि हमें यह जानकारी मिली है कि कुछ लोगों ने चुनाव आयोग के नियमों और आदेशों का उल्लंघन करते हुए मतदाताओं के नाम हटाने के लिए कई फॉर्म्स जमा किए हैं। चुनाव आयोग द्वारा मार्च 2023 में प्रकाशित ‘मतदाता सूची मैन्युअल’ के पैरा 11.3.2 में कहा गया है कि अधिकारी केवल व्यक्तिगत आवेदन ही स्वीकार कर सकते हैं, और न तो किसी व्यक्ति और न ही किसी संगठन से बड़े पैमाने पर आवेदन स्वीकार किए जा सकते हैं। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि ‘बड़े पैमाने पर आवेदन’ का मतलब है वह आवेदन जो एक व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों की ओर से, जो एक ही परिवार से नहीं हैं, जमा करता है। इस पैरा में यह भी कहा गया है कि राजनीतिक दलों के बीएलए एक बार में 10 से ज्यादा फॉर्म या सारांश संशोधन की प्रक्रिया के दौरानृ 30 फॉर्म जमा नहीं कर सकते हैं। इस नियम के अनुसार, ऐसे सभी आवेदन अमान्य हो जाते हैं और उन्हें शुरू से ही खारिज कर दिया जाना चाहिए।*
‘आप’ ने यह भी मांग की है कि दिल्ली के किसी भी विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के नाम हटाने की प्रक्रिया को रोका जाए, ताकि चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और ईमानदारी बनी रहे। अगर चुनाव आयोग को किसी मतदाता का नाम हटाना जरूरी लगे, तो हम मांग करते हैं कि यह नाम हटाने की प्रक्रिया संबंधित बीएलओ (ब्लॉक लेवल अधिकारी) द्वारा एक जमीनी सत्यापन के साथ की जाए, और इसमें हमारे बीएलए-2 की उपस्थिति हो, ताकि किसी भी असली मतदाता का नाम गलत तरीके से मतदाता सूची से न हटे।
अंत में, पत्र में अधिकारियों को कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है, जिसमें कहा गया है कि हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि आपके विधानसभा क्षेत्र में एक भी गलत तरीके से नाम हटाए जाने पर भारतीय न्याय संहिता 2023 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 के तहत इसमें शामिल प्रत्येक अधिकारी के खिलाफ गंभीर दंडात्मक प्रावधान लागू होंगे।
इससे पहले, 6 दिसंबर को, ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने खुलासा किया था कि कैसे भाजपा दिल्ली में लोकतंत्र को कमजोर करने के उद्देश्य से एक बड़े पैमाने पर “वोट हटाने का घोटाला” कर रही है। सबूतों के आधार पर अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भाजपा जानबूझकर आम आदमी पार्टी के समर्थकों को निशाना बना रही है और उनके नाम अवैध तरीके से मतदाता सूची से हटा रही है। शाहदरा विधानसभा का हवाला देते हुए अरविंद केजरीवाल ने बताया था कि यहां भाजपा ने 11,018 मतदाताओं के नाम हटाने के लिए आवेदन किया है। जांच में यह सामने आया कि इनमें से 75 फीसद मतदाता जीवित हैं और उनके पंजीकृत पते पर ही रह रहे हैं।