आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उज्जैन जाकर महाकाल के दर्शन किए। इस दौरान उन्होंने विधिवत पूजा अर्चना कर दिल्ली, देश और पूरी दुनिया के लोगों के लिए सुख शांति की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि मैंने बाबा के चरणों में प्रार्थना की है कि देश और दुनिया के हर बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा मिले। उन्होंने कहा कि मैं महाकाल की नगरी में बाबा शिव के सानिध्य में दो घंटे बैठा रहा और, मुझे बहुत ही ईश्वरीय और शिवमय अनुभूति हुई । महाकाल की भस्म आरती हमें अहंकार और मोह को त्यागकर अपने वास्तविक स्वरूप को पहचानने की प्रेरणा देती है।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि मैंने महाकाल की नगरी में बाबा शिव के दर्शन किए और दो घंटे उनके सानिध्य में बैठा। बहुत ईश्वरीय और शिवमय अनुभूति हुई। मुझे दो-तीन घंटे तक हर पल में ऐसा लग रहा था कि महाकाल के दरबार में बैठकर सब कुछ विलीन हो रहा है। विशेष रूप से जब भष्म आरती हुई, मुझे तब ऐसा लग रहा था कि अपना सारा अहंकार, डर, ईर्ष्या, द्वेष सब कुछ पंचतत्व में विलीन होता चला जा रहा है। उसका वर्णन करना शब्दों में मुश्किल है। वह इतना अद्भुत नजारा था।
मनीष सिसोदिया ने कहा कि मैं बहुत शुक्रगुजार हूं यहां के आयोजकों का भी, जिन्होंने इस तरह की व्यवस्था यहां कर रखी है। यहां सब कुछ शिवमय है। मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने बाबा के चरणों में बैठकर दिल्ली के लोगों के लिए प्रार्थना की, देश और दुनिया के लोगों के लिए प्रार्थना की कि सबके हृदय में भगवान शिव प्रेम के रूप में विराजमान रहे। मैंने प्रार्थना की कि किसी के प्रति कोई नफरत ना हो। क्योंकि मेरा लगाव शिक्षा से है, मैंने बाबा के चरणों में प्रार्थना की है कि मेरे लायक जो भी सेवा हो, उसमें मुझे लगाए रखें। देश और दुनिया के हर बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा मिले और हर बच्चे को मानवीय शिक्षा मिले।
मनीष सिसोदिया ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि महाकाल की भस्म-आरती इस सनातन सत्य का प्रतीक है कि हर भौतिक वस्तु अंततः पंचतत्व में विलीन हो जाती है। यह हमें अहंकार और मोह को त्यागकर अपने वास्तविक स्वरूप को पहचानने की प्रेरणा देती है। शिव का ध्यान जीवन में शांति, शक्ति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। हर भक्त के जीवन में भगवान शिव के इस आध्यात्मिक सत्य की अनुभूति हो—यही प्रार्थना है। हर हर महादेव। ॐ महाकालाय विद्महे, महादेवाय धीमहि। तन्नः रुद्रः प्रचोदयात्।
मनीष सिसोदिया ने एक अन्य पोस्ट में कहा कि शिव सृष्टि की आधारशिला हैं। शिव अस्तित्व का वह सत्य हैं, जो न तो शुरू होता है और न ही समाप्त होता है। शिव आदि भी हैं और अनंत भी। शिव शून्य हैं, जहाँ सब कुछ विलीन हो जाता है, और वह अनंत हैं, जहाँ से सब कुछ उत्पन्न होता है। महाकाल शिव का वह स्वरूप हैं जो समय के बंधनों से परे हैं। वह काल के स्वामी हैं—जो समय को नष्ट कर, उसे फिर से सृजित करने की शक्ति रखते हैं। महाकाल सिखाते हैं कि मृत्यु केवल देह का अंत है, आत्मा तो अनश्वर है।