आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह देशभर में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नामक जानलेवा बीमारी से ग्रसित कई छोटे बच्चों के इलाज में आर्थिक मदद के लिए अभियान चला चुके हैं। शनिवार को उन्होंने ऐसी ही 10 महीने की मासूम बच्ची जैसवी यादव, जो एसएमए टाइप 1 की बीमारी से ग्रसित है। उसकी जिंदगी बचाने के लिए देशवासियों से मदद की गुहार लगाई। इस दौरान संजय सिंह ने कहा कि 10 महीने की बच्ची जैसवी यादव को एसएमए टाइप 1 की गंभीर बीमारी है, अगर उसे इलाज नहीं मिला तो उसका जीवन दो साल से ज्यादा नहीं है। इस बीमारी के इलाज में लगने वाला इंजेक्शन सारी छूट के बावजूद 10 करोड़ रुपए का पड़ता है, जोकि एक सामान्य मांप-बाप के लिए दे पाना असंभव है। जैसवी के पिता प्रशांत यादव वायुसेना में एयरमैन हैं और देश की सेवा कर रहे हैं, हम देशवासियों की जिम्मेदारी है कि हम उनकी बच्ची को बचाने के लिए आगे आएं। मैं अपने सैलरी अकाउंट से जैसवी को 1 लाख रुपए दे रहा हूं, जिसे 30 तारीख के बाद निकाला जा सकता है, क्योंकि इस महीने की सैलरी मैंने एसएमए के दो बच्चों को दी है। प्रधानमंत्री मोदी से अनुरोध है कि वह इन बच्चों के इलाज के लिए पीएम रिलीफ फंड से योजना बनाएं और दवा सस्ती करने के लिए अमेरिकी सरकार से भी बात करें। मैं संसद में पहले भी यह मुद्दा उठा चुका हूं और आने वाले सत्र में फिर इसे उठाऊंगा ताकि केंद्र सरकार आगे आए और ऐसे बच्चों के लिए इंजेक्शन का इंतजाम करे।
‘आप’ के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर कहा कि 10 महीने की जैसवी यादव नाम की बच्ची स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) टाइप-1 की गंभीर बीमारी से पीड़ित है। इस बच्ची को नहीं मालूम है कि वह कितनी गंभीर बीमारी से पीड़ित है। इस बच्ची को यह भी मालूम नहीं है कि डॉक्टरों ने इसे देखने के बाद कहा है कि उसका जीवन दो साल से ज्यादा नहीं है। क्योंकि जैसवी को भी वही गंभीर बीमारी है जिसके लिए मैं कई बच्चों के लिए अभियान चला चुका हूं। मैंने संसद में भी सरकार से अनुरोध किया था कि स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) टाइप-1 बीमारी के लिए सरकार को कोई योजना बनानी चाहिए। अमेरिका की सरकार से बातचीत करनी चाहिए। इस बीमारी में लगने वाले इंजेक्शन को नारवोटिस नामक एक अमेरिकी कंपनी बनाती है। नारवोटिस कंपनी के इस इंजेक्शन की कीमत 17 करोड़ रुपए है। टैक्स में छूट देने के बाद यह करीब 10 करोड़ रुपए का मिलता है।
संजय सिंह ने कहा कि किसी भी सामान्य परिवार के लिए इस इंजेक्शन का इंतजाम कर पाना मुश्किल और असंभव है। ऐसी परिस्थिति में प्रश्न उठता है कि बच्चों के साथ क्या किया जाए? लोग मुझसे भी कई बार कहते हैं कि आप ऐसे बच्चों के लिए जो अभियान चलाते हैं, उसमें क्या हासिल होता है? मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव से बता सकता हूं कि यह हासिल हुआ है कि कई बच्चों के जीवन को बचाने के लिए इस देश के लाखों लोग आगे आए और उन्होंने अपना डोनेशन दिया। जिसके माध्यम से बच्चों के इंजेक्शन का इंतजाम हुआ और बच्चों की जान बचाई जा सकी।
संजय सिंह ने आगे कहा कि लेकिन साथ ही साथ यह भी तय है कि अगर इसमें बढ़-चढ़कर लोगों ने सहयोग नहीं दिया तो पैसे का इंतजाम करना असंभव है। इस बच्ची के लिए अब तक बहुत सारे लोगों ने पैसे डोनेट किए हैं, जिससे अबतक करीब 1 करोड़ 85 लाख रुपए का डोनेशन आया है। यह बच्ची 10 महीने की है और डॉक्टरों ने कहा कि बच्ची के दो साल पूरे होने से पहले इसे इंजेक्शन लगना है, वरना इसका जीवन बचाया जाना मुश्किल और असंभव है।
संजय सिंह ने कहा कि जैसवी के पिता प्रशांत यादव वायुसेना में एयरमैन हैं। वह देश की सेवा कर रहे हैं। आज हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम इनकी बच्ची का जीवन बचाने के लिए आगे आएं। इसके लिए बहुत लंबा चौड़ा प्रयास नहीं करना है। आप अपने खर्च से दस, पचास, सौ, हजार, दस हजार, लाख रुपए दान कर सकते हैं। जिसकी जितनी क्षमता है। मेरी देश के लोगों से अपील है कि आप अपने खर्च से एक छोटा सा हिस्सा निकालकर डोनेट करें। मैं सबसे हाथ जोड़कर यही विनती करता हूं कि इस बच्ची का जीवन बचाने के लिए थोड़ा सा हिम्मत दिखाइए, थोड़ी सी कोशिश कीजिए।
संजय सिंह ने कहा कि जब दूसरों के लिए मैं अपील कर रहा हूं तो मेरी भी जिम्मेदारी बनती है कि मैं भी इस बच्ची के लिए कुछ सहयोग करूं। मैं जैसवी के लिए अपनी ओर से एक लाख रुपए का सहयोग कर रहा हूं। मैं केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से अनुरोध करता हूं कि भारत में ऐसे हजारों बच्चे हैं। आप उन मां-बाप और परिवार की पीड़ा सोचिए, जिनके सामने उनका बच्चा होता है और उन्हें मालूम होता है कि अगर उसको इंजेक्शन नहीं लग पाया तो वह बच्चा नहीं बचेगा। उनके ऊपर क्या बितती होगी। सरकार को इस दिशा में कदम उठाना चाहिए। मैं तो कह रहा हूं कि सरकार प्राइवेट कंपनियों से सीएसआर फंड लेती है, उस फंड को ही ऐसे बच्चों के इंजेक्शन के लिए लगवा दीजिए। एक-एक कंपनी करोड़ों रुपए सीएसआर फंड देती हैं। भारत की सरकार को ऐसे बच्चों के लिए उस सीएसआर फंड का इस्तेमाल करना चाहिए। सरकार पीएम रिलीफ फंड से कोई योजना बनाए, या अमेरिका की सरकार से बात करके इस इंजेक्शन की कीमत कम करवाए। मैं पहले भी इस मुद्दे को संसद में उठा चुका हूं। आने वाले संसद के सत्र में फिर से भी इस मुद्दे को उठाऊंगा और केंद्र सरकार और केंद्रीय संवास्थ्य मंत्री से अपील करूंगा कि ऐसे बच्चों का जीवन बचाने के लिए सरकार आगे आए और उनके इंजेक्शन के लिए इंतजाम करें।
इस दौरान जैसवी के पिता प्रशांत यादव ने कहा कि मेरी बेटी जैसवी को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) टाइप-1 की बीमारी है। इसके लिए 14 करोड़ का ट्रीटमेंट है। अगर जैसवी को यह ट्रीटमेंट नहीं मिलता है तो इसका जीवन दो साल से ज्यादा नहीं रहेगा। 14 करोड़ रुपए अपने आप में इतनी बड़ी कीमत है कि एक मिडिल या अपर मिडिल क्लास परिवार का इसके बारे में सोच पाना भी मुश्किल है। मैं भी इतनी कीमत नहीं चुका पाऊंगा। इसलिए जब तक जनता हमारी मदद नहीं करेगी तब तक इस इंजेक्शन को समय पर दिलवाना मुश्किल हो जाएगा। मैं सबसे अपील है कि सब लोग आगे आएं और जिससे जितना हो सके, मेरी बेटी के लिए डोनेट करें। ताकि मेरी बेटी भी अपना जीवन दूसरे बच्चों की तरह जी सके।
ऐसे कर सकते हैं जैसवी की जान बचाने में आर्थिक मदद
जैसवी के माता-पिता ने क्राउड फंडिंग के लिए इंपैक्ट गुरु नामक ऐप पर अकाउंट बनाया है। जहां जैसवी से जुड़ी सारी जानकारी दी गई है। जैसवी की मदद करने के लिए आरबीएल बैंक के अकाउंट नंबर 2223330002979391 में अपना सहयोग कर सकते हैं। कोई भी व्यक्ति इस अकाउंट में पैसे भेजकर जैसवी की जान बचाने में मदद कर सकता है।
एसएमए से पीड़ित कई बच्चों की मदद के लिए आगे आए हैं सांसद संजय सिंह
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह लगातार देश में स्पाइनल मसक्यूलर एट्रोफी नामक जानलेवा बामारी के ग्रसित बच्चों की मदद कर रहे हैं। स्पाइनल मसक्यूलर एट्रोफी एक काफी गंभीर बामारी है जिसका इलाज बहुत महंगा है और एक सामान्य मां-बाप के लिए इतने पैसे जुटा पाना आसान नहीं है। ‘आप’ सांसद संजय सिंह ने अब तक ऐसे कई बच्चों की खुद आर्थिक मदद की है और देशवासियों से उन की आर्थिक मदद करने की अपील की है, ताकि इन बच्चों की जान बचाई जा सके।संजय सिंह ने देश की संसद में भी इस बीमारी के इलाज में राहत दिलाने के लिए सरकार से मांग की है।