आम आदमी पार्टी ने एलजी वीके सक्सेना से दिल्ली नगर निगम का मेयर चुनाव जल्द से जल्द कराने की मांग की है, ताकि दिल्ली को दलित समाज का मेयर मिल सके। ‘‘आप’’ के वरिष्ठ नेता कुलदीप कुमार ने भाजपा और एलजी से कहा कि वो दलित समाज के बेटे से दिल्ली का मेयर बनने का अधिकार न छीनें। एलजी साहब जल्द से जल्द मेयर चुनाव की प्रक्रिया को पूरी करें और दलित बेटे को दिल्ली का मेयर बनने दें। ऐसा नहीं होता है तो दलित समाज भाजपा को सबक़ सिखाने का काम करेगा। उन्होंने कहा कि डीएमसी एक्ट 1957 कहता है कि पहले साल एमसीडी का मेयर महिला बनेगी, दूसरे साल सामान्य वर्ग का और तीसरे साल दलित समाज का व्यक्ति मेयर बनेगा। आम आदमी पार्टी ने मेयर पद के लिए दलित समाज से महेश खीची को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था और उनकी जीत भी तय थी, लेकिन दलित विरोधी भाजपा ने एलजी के जरिए चुनाव नहीं होने दिया।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक कुलदीप कुमार ने गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर कहा कि एमसीडी में 18 साल से भाजपा के कुशासन से परेशान होकर दिल्ली की जनता ने उसे सत्ता से बाहर कर दिया और नगर निगम में भी आम आदमी पार्टी की सरकार बनाई। एमसीडी के डीएमसी एक्ट 1957 के तहत, पहले वर्ष किसी महिला को मेयर बनाया जाता है, दूसरे साल सामान्य वर्ग को बनाया जायेगा और तीसरे वर्ष में मेयर का पद दलित समाज के व्यक्ति के लिए रिजर्व होता है। इसके अनुसार, इस बार 2024-25 के लिए दलित समाज के व्यक्ति को मेयर बनाया जाना था। यह उनका संवैधानिक अधिकार है। एमसीडी में बहुमत प्राप्त होने के नाते आम आदमी पार्टी ने दलित समाज से आने वाले महेश खीची को मेयर पद का उम्मीदवार घोषित किया। यह स्पष्ट था कि इस बार भी दिल्लीवालों को दलित समाज का मेयर मिलने वाला था। लेकिन दुख की बात है कि 26 अप्रैल को मेयर चुनाव के बाद जब दलित समाज के व्यक्ति को मेयर बनाया जाना था, तो दलित विरोधी भाजपा ने चुनाव रद्द करवा कर दलित के बेटे को मेयर बनने से रोक दिया।
कुलदीप कुमार ने कहा कि भाजपा ने न केवल दलितों का अपमान किया है, बल्कि डीएमसी एक्ट 1957 का भी उल्लंघन किया है, जो दलित समाज के व्यक्ति को एक साल के लिए मेयर बनने का अधिकार देता है। भाजपा और उसके एलजी दिल्ली के दलित समाज के लोगों का हक छीन रहे हैं। दलित समाज के बेटे-बेटियां इस पद पर बैठकर अपने समाज को आगे ले जाने का काम करते हैं। अब चार महीने हो गए और दलित विरोधी भाजपा ने दलित समाज के मेयर के चार महीने छीन लिए हैं। भाजपा और एलजी साहब को दलितों का हक छीनना बंद करके दलित के बेटे को मेयर बनाने की प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए, ताकि महेश खीची दिल्ली के मेयर बन सकें। भाजपा दिल्ली के दलित समाज के बेटे का हक छीनना बंद करे।
कुलदीप कुमार ने कहा कि दलित विरोधी भाजपा पहले भी बाबा साहब अंबेडकर के संविधान को समाप्त करने की बात करती थी। वे संविधान को नष्ट करना चाहती थी। क्योंकि यह दलितों के अधिकारों की रक्षा करता है और उन्हें सम्मान से जीवन जीने का हक देता है। बाबा साहब अंबेडकर ने संविधान में दलितों के हित के लिए जो प्रावधान किए हैं। भाजपा के लोग उससे नफरत करते हैं और इसलिए वे इसे खत्म करना चाहते हैं। अब वे इस डीएमसी एक्ट का भी उल्लंघन कर रहे हैं, जो एक दलित समाज के बेटे को मेयर बनने का मौका देता है। भाजपा को समझ लेना चाहिए कि अगर उसने देश के संविधान और डीएमसी एक्ट से खिलवाड़ करने की कोशिश की, तो हम चुप नहीं बैठेंगे। भाजपा पहले ही चार महीने का समय बर्बाद कर चुकी है। जल्द से जल्द चुनाव करवाकर दलित समाज के बेटे को मेयर बनाया जाए। अगर इस पर कोई कार्रवाई नहीं होती है, तो भविष्य में दलित समाज और आम आदमी पार्टी बड़ा कदम उठाएगी।
वहीं, “आप” विधायक रोहित मेहरोलिया ने कहा कि भाजपा की मानसिकता हमेशा से दलित विरोधी रही है। देश का संविधान और एमसीडी का डीएमसी एक्ट दलितों और पिछड़ों को जो प्रतिनिधित्व का मौका देता है, उसकी अवहेलना करते हुए 26 अप्रैल को होने वाले मेयर चुनाव को टाल दिया गया। यह दर्शाता है कि एमसीडी में भाजपा के 18 वर्षों के कुशासन से परेशान होकर दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी को बहुमत दिया। दिल्ली के दलित समाज ने आम आदमी पार्टी को एकतरफा वोट दिया था, और अब भाजपा दलितों का हक छीनने की कोशिश कर रही है। दलितों के प्रति भाजपा के नकारात्मक रवैये को दिल्ली और देश की जनता देख रही है। हम इस लड़ाई को लड़ेंगे और दलितों को उनके प्रतिनिधित्व का अधिकार दिलवाकर रहेंगे।
वहीं, दलित समाज से आने वाले “आप” के मेयर पद के उम्मीदवार महेश खीची ने कहा कि बीते 26 अप्रैल को मेयर पद का चुनाव होना था। नियम के अनुसार एमसीडी के तीसरे टर्म में दलित समाज के व्यक्ति को मेयर बनाया जाता है। चुनाव आयोग द्वारा चुनाव कराने की अनुमति देने के बावजूद, दलित विरोधी भाजपा ने यह चुनाव नहीं होने दिया। एलजी वे चुनाव से 3-4 घंटे पहले यह सीएम से सुझाव न मिलने का बहाना देते हुए चुनाव रद्द करा दिए। जबकि इससे पहले एलजी ने 10 पार्षदों को मनोनीत करने और पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के लिए सीएम की सलाह नहीं मांगी थी। इससे स्पष्ट है कि भाजपा और एलजी मिलकर दलित विरोधी काम कर रहे हैं। वे नहीं चाहते कि हमारे समाज का कोई व्यक्ति मेयर बनकर दलित समाज की भलाई करे। आगामी विधानसभा चुनाव में दलित समाज भाजपा को इसका मुंह तोड़ जवाब देगा।