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आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को भाजपा ने ही राजनीतिक रंजिश के चलते ईडी से नोटिस भिजवाया था। इसका खुलासा करते हुए ‘‘आप’’ के दिल्ली प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने ईडी से नोटिस पर कुछ प्रश्नों के जवाब मांगे थे। कायदे से इसका जवाब देने ईडी को देना चाहिए था, लेकिन जवाब देने भाजपा का प्रवक्ता आया। जबकि भाजपा कहती है कि जांच एजेंसियां स्वतंत्र है, उनसे भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है। अगर जांच एजेंसियां स्वतंत्र हैं तो फिर उनको ही जवाब देना चाहिए, भाजपा जवाब क्यों दे रही है? दरअसल, आज यह अंतर करना मुश्किल हो गया है कि ईडी-सीबीआई ही भाजपा है या भाजपा ही ईडी-सीबीआई है। उन्होंने कहा कि समन में साफ नहीं है कि ईडी अरविंद केजरीवाल को संदिग्ध, गवाह, मुख्यमंत्री या ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक, किस रूप में बुला रही है। भाजपा खुद ईडी से नोटिस लिखवाती है। जब उस पर प्रश्न खड़े होते हैं तो ईडी कहीं गलत बयानी न कर दे। इसलिए भाजपा जवाब देने आ जाती है।

आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश संयोजक एवं दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता कर कहा कि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आज ईडी ने नोटिस जारी करके बुलाया था। अरविंद केजरीवाल ने अपना जवाब भेजकर ईडी से नोटिस वापस लेने की मांग की है। उन्होंने ईडी से कुछ चीजों पर जवाब भी मांगा है। मसलन, ईडी की नोटिस में यह स्पष्ट नहीं है कि अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री के रूप में बुला रही है, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के रूप में बुला रही है या एक नागरिक के रूप में बुलाना चाहती है। यह भी स्पष्ट नहीं था कि ईडी उनको एक गवाह के रूप में बुला रही है या एक संदिग्ध के रूप में बुला रही है।

उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल का जवाब ईडी को गया, लेकिन ईडी का जवाब उन्हें नहीं आया। जवाब देने के लिए भाजपा का राष्ट्रीय प्रवक्ता आया। आज यह अंतर करना मुश्किल है कि ईडी-सीबीआई ही भाजपा है या भाजपा ही ईडी-सीबीआई है। बुधवार को भाजपा के एक वरिष्ठ नेता कह रहे थे कि ईडी स्वतंत्र है, एजेंसियां स्वतंत्र हैं, भाजपा का उनसे कोई लेना-देना नहीं है। जब भाजपा का इन एजेंसियों से कोई लेना-देना नहीं है और जब सवाल एजेंसियों पर उठता है तो जवाब देने के लिए भाजपा के नेता क्यों सामने खड़े हो जाते हैं? भाजपा तय कर रही है कि अरविंद केजरीवाल को गागर और सागर के रूप में बुलाया है। आप क्यों तय करते हो? अगर एजेंसियां स्वतंत्र हैं तो उन्हें अपना काम करने दो। आपको इसलिए दर्द होने लगता है क्योंकि वह नोटिस आपका है। भाजपा नोटिस डिक्टेट करके लिखवाती है। जब उस पर सवाल उठता है तो ईडी कोई गलत जवाब न दे, इससे पहले भाजपा का प्रवक्ता जवाब देने आ जाता है।

“आप” प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने कहा कि कल तक भाजपा के नेता कह रहे थे कि यह एक कानूनी प्रक्रिया है। एजेंसी अपना काम कर रही हैं, तो इसमें इतनी हाय तौबा क्यों है? इसका राजनीतिक षड्यंत्र से कोई लेना-देना नहीं है। मैंने आज भाजपा प्रवक्ता की प्रेसवार्ता सुनी। वो यह भी तय करना चाहते हैं कि इस देश के अंदर कौन पार्टी किस पार्टी से गठबंधन करेगी। उन्हें चिंता है कि आज उन पार्टियों के बीच गठबंधन हो रहा है जो पहले एक-दूसरे पर सवाल उठाती थीं। भाजपा तय करना चाहती है कि कौन कहां आएगा, कौन कहां चुनाव प्रचार करेगा, कौन सी पार्टी चुनाव प्रचार नहीं करेगी, कौन सी पार्टी किसके साथ गठबंधन करेगी।

इससे स्पष्ट हो रहा है कि भाजपा ने सोची समझी रणनीति के तहत राजनीतिक दुर्भावना की मंशा से अरविंद केजरीवाल जी को गिरफ्तार करने का षड्यंत्र किया है। इसकी स्पष्टता इससे हुई जब भाजपा के सांसद मनोज तिवारी के नोटिस आने से एक दिन पहले सार्वजनिक तौर पर यह ऐलान किया कि अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार होने से कोई रोक नहीं सकता है। ईडी कह रही है कि अरविंद केजरीवाल भाग रहे हैं। इससे पहले सीबीआई ने पूछताछ के लिए बुलाया था और अरविंद केजरीवाल जी ने सभी सवालों के जवाब दिए थे। यह एजेंसी का मसला नहीं है, बल्कि बीजेपी का षड्यंत्र है। उन्होंने कहा कि भाजपा की मंशा है कि अरविंद केजरीवाल को आगामी चुनाव में कहीं जाने न दिया जाए। आप षड्यंत्र करो और सभी लोग उसको कानून मानकर उसका पालन करते रहें। आपसे कोई सवाल न करे? अगर यह नोटिस ईडी का होता तो जवाब भी ईडी से आता, भाजपा का जवाब नहीं आता। आज पूरा देश यह जानना चाहता है कि एक राजनीतिक षड्यंत्र के तहत दिल्ली में आम आदमी पार्टी को खत्म करने की साजिश हो रही है। उसके लिए बीजेपी सरकारी एजेंसियों का खुलेआम दुरुपयोग कर रही है।

उन्होंने कहा कि आज सुबह अचानक हमारे मंत्री राजकुमार आनंद के घर पर छापा पड़ गया। ना कोई नोटिस, ना कोई मुकदमा, अचानक छापा पड़ गया। आप लोग क्या करने की कोशिश कर रहे हो? आपको डर लग रहा है कि अगर विपक्ष के सभी नेता एक साथ होकर मैदान में उतरते हैं तो भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव को किसी कीमत पर नहीं जीत सकती है। उसकी वजह से आप सभी कानून और नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। देश की एजेंसियों को कठपुतली बनाकर लोकतंत्र की हत्या करने पर उतारू हो गए हैं। देश में यह नहीं चलेगा। देश तभी तक बर्दाश्त करता है, लेकिन अगर इंतहा हो जाए तो उसका जवाब भी देता है।

गोपाल राय ने भाजपा से निवेदन किया कि इस देश के लोगों ने आपकी सरकार बनाकर इस देश को चलाने का मौका दिया है। देश के लोगों के लिए कुछ करिए, एजेंसियों का दुरुपयोग करके अगर आप चुनाव जीतने का सपना देख रहे हैं, तो भारत के इतिहास में न यह कभी संभव हुआ है और न भविष्य में संभव हो सकता है। खुद ईडी-सीबीआई बनना बंद करिए। कौन किससे गठबंधन करेगा, इसका निर्णय लेना बंद करिए क्योंकि इस देश में सभी पार्टियों को अपने लिए निर्णय लेने का हक है।

उन्होंने कहा कि आज महंगाई करके आपने पूरे देश को बर्बाद कर दिया। इसलिए आप पर सवाल उठ रहे हैं। 30 अक्टूबर को मनीष सिसोदिया की जमानत निरस्त होने के बाद भाजपा वाले सुप्रीम कोर्ट की दुहाई देने लगे। लगातार 3 महीने तक सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई जहां सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार ईडी से पूछा कि मनीष सिसोदिया के पास पैसा आया, क्या आपके पास इसका सबूत है? इन एजेंसियों के पास कोई जवाब नहीं था। वह सिर्फ इधर-उधर की बात करते रहे। उस वक्त यह लोग सुप्रीम कोर्ट का नाम नहीं लेते थे।

‘‘आप’’ दिल्ली प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अंदर जो भी कार्यवाही हुई, सभी ने देखा कि सुप्रीम कोर्ट क्या कह रहा है और एजेंसियां उसका क्या जवाब दे रही हैं। एजेंसियां निरुत्तर थीं। सुप्रीम कोर्ट में जो जमानत निरस्त हुई है, इन दोनों के बीच का तालमेल किसी को समझ नहीं आ रहा है। भाजपा के लोगों से मेरा कहना है कि देश के लोगों ने आपको 10 साल काम करने का मौका दिया। अपने काम पर भरोसा रखो। अपने काम को लेकर जनता के बीच चुनाव लड़ने की हिम्मत रखो। जनता फैसला कर देगी कि कौन सही है और कौन गलत है। आप जिस तरह से पूरे देश को खत्म करने का षड्यंत्र कर रहे हैं, यह प्रयोग पहले हो चुके हैं। परिणाम शासकों के पक्ष में नहीं आए। इसलिए लोकतंत्र और संविधान को जिंदा रहने दो। व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए इसको खत्म मत करो।

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