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केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी अरविन्द केजरीवाल से बुरी तरह खौफ खाए हुए है| यही कारण है कि अपने गैर-संवैधानिक अध्यादेश के जरिये ये सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने और चोर दरवाजे से दिल्ली सरकार की शक्तियों को हथियाने का प्रयास कर रहे है| जो ताकत दिल्ली की चुनी हुई सरकार को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने दी, केंद्र सरकार उस ताकत को असंवैधानिक तरीके से छिनने का प्रयास कर रही है| शनिवार को इस बाबत प्रेस-कांफ्रेंस के माध्यम से आप नेता आतिशी ने कहा कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार की शक्तियों को छिनने के लिए मोदी सरकार द्वारा लाया गया अध्यादेश लोकतंत्र और संविधान की हत्या करने वाला है| ये अध्यादेश दिल्ली सरकार को जो ताकत सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने दी, उस ताकत को गैर-संवैधानिक तरीके से हड़पने का प्रयास है| इस सबसे साफ़ हो रहा है कि मोदी जी अरविन्द केजरीवाल से बहुत डरते है| प्रधानमंत्री मोदी जी से ये सहन नहीं हुआ की सुप्रीम कोर्ट ने कैसे अरविन्द केजरीवाल को ताकत दे दी, इससे तो अरविन्द केजरीवाल 10 गुणा तेजी से काम करने लगेंगे इसलिए उन्हें रोकने के लिए मोदी जी ये लेकर अध्यादेश लेकर आये है| उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को पता है कि इस गैर-संवैधानिक,गैर लोकतांत्रिक अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट तुरंत पलट देगी इसलिए कोर्ट की छुट्टी का इन्तजार किया गया| भाजपा को मालुम है कि कोर्ट की छुट्टी ख़त्म होते ही कोर्ट उनके इस घिनौने षड्यंत्र को पलट देगी|

आप नेता आतिशी ने कहा कि कल देर रात केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई| ये लोकतंत्र और संविधान की हत्या करने के लिए ये अध्यादेश लाया गया| केंद्र इस अध्यादेश द्वारा सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक पीठ के 11 मई के फैसले के खिलाफ जाते हुए दिल्ली की चुनी हुई सरकार से उसकी शक्तियों को छीनना चाह रही है|

क्या कहता है ये अध्यादेश?

आप नेता आतिशी ने कहा कि अध्यादेश लाकर दिल्ली की चुनी हुई सरकार की शक्तियों को छिनने का ये केंद्र सरकार का पहला प्रयास नहीं है| 2015 में जब दिल्ली की जनता ने अरविन्द केजरीवाल जी को भारी बहुमत से जीताकर भेजा तो मोदी जी की केंद्र सरकार ने 3 महीने के अन्दर गैर-क़ानूनी नोटिफिकेशन जारी कर अरविन्द केजरीवाल सरकार की ताकत को छिनने का प्रयास किया| मई 2015 में मोदी जी की सरकार ने गृह-मंत्रालय द्वारा नोटिफिकेशन जारी करते हुए कहा कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास सर्विसेज की ताकत नहीं है| उनके पास अफसरों की ट्रान्सफर पोस्टिंग की ताकत नहीं है, उनपर भ्रष्ट अफसरों पर एक्शन लेने की ताकत नहीं है|

उन्होंने कहा कि 8 साल की क़ानूनी लड़ाई के बाद 11 मई को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने कहा कि केंद्र का ये आदेश गलत था और सर्विसेज का अधिकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास है|

सुप्रीम कोर्ट का आदेश क्या कहता है-

आप नेता आतिशी ने साझा करते हुए कहा कि- सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास सर्विसेज का अधिकार क्यों है| सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास तीन संवैधानिक सिद्धांतों के आधार पर सर्विसेज का अधिकार है|

तीन संवैधानिक सिद्धांतों

  1. देश का संघीय ढांचा – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस सिद्धांत के आधार पर किसी भी राज्य सरकार की ताकत छिनी नहीं जा सकती| अगर केंद्र सरकार को ही ये सारी ताकत देनी होती तो देश के संविधान निर्माता एक संघीय ढांचा क्यों बनाते?
  2. दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास लोकतंत्र से सिद्धांत के आधार पर ताकत है- आप नेता आतिशी ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 239AA के तहत दिल्ली में चुनी हुई सरकार बनाई है| विधानसभा बनाई है| इसलिए लोकतंत्र के सिद्धांत के आधार पर दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास ये ताकत है कि जिस जनता ने उसे वोट दिया है उस जनता की इच्छा को लागू करे|
  3. अफसरों की चुनी हुई सरकार के प्रति जबावदेही- एक संवैधानिक सिद्धांत है इसलिए ये जरुरी है कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार के प्रति अफसरों की जबावदेही हो वरना चुनी हुई सरकार जनता की इच्छा को लागू नहीं कर पायेगी|

यानी सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने इन 3 सिद्धांतों के आधार पर ये स्पष्ट किया है कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास अफसरों की ट्रान्सफर पोस्टिंग, भ्रष्ट अफसरों पर एक्शन लेने की ताकत है| आतिशी ने कहा कि इस आदेश का साफ़ मतलब कि अगर दिल्ली की जनता ने अरविन्द केजरीवाल को चुनकर भेजा है तो निर्णय लेने की ताकत अरविन्द केजरीवाल के पास है और ये अधिकार उन्हें देश का संविधान देता है|

आतिशी ने कहा कि लैंड लॉ एंड आर्डर और पुलिस को छोड़कर दिल्ली में बाकि निर्णय लेने का अधिकार अरविन्द केजरीवाल जी के पास है और एलजी की बाध्यता है कि इन तीन विषयों के अलावा वे चुनी हुई सरकार के हर निर्णय को माने| लेकिन केंद्र सरकार और देश के प्रधानमंत्री मोदी जी से ये सहन नहीं हुआ की अरविन्द केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट को ताकत कैसे दे दी| इससे तो अरविन्द केजरीवाल 10 गुणा तेजी से काम कर सकेंगे|

उन्होंने कहा कि, इससे मोदी जी की रातों की नींद उड़ गई, मोदी जी को अरविन्द केजरीवाल जी के डरावने सपने आने लगे कि 8 साल से मेरे द्वारा इतनी बाधाएं लगाने के बावजूद अरविन्द केजरीवाल ने इतने काम करवा दिए जो भाजपा की सरकारें 20 सालों में नहीं कर पाई| ये सब अरविन्द केजरीवाल ने बिना किसी ताकत के कर दिया| स्कूल अच्छे करवा दिए, अस्पताल अच्छे करवा दिए बिजली-पानी फ्री दे दी| महिलाओं को फ्री बस यात्रा दे दी| दिल्ली में शानदार सड़कें-फ्लाईओवर बनवा दिए| जब बिना ताकत के 8 साल में अरविन्द केजरीवाल ने इतना काम कर दिया तो अब जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केजरीवाल के हाथ में पूरी ताकत आ जाएगी तो केजरीवाल 10 गुना स्पीड पर काम करेगा| इसलिए मोदी जी केजरीवाल के काम को रोकने के लिए ये अध्यादेश लेकर आ गए चाहे वो असंवैधानिक और लोकतंत्र के खिलाफ ही क्यों न हो|

आतिशी ने कहा कि इसलिए रात के अँधेरे में सुप्रीम कोर्ट की 6 हफ्ते की छुट्टी होने के बाद चुपके से चोर दरवाजे से मोदीजी की केंद्र सरकार एक गैर-संवैधानिक अध्यादेश लेकर आई| वो सभी जानते है कि ये अध्यादेश गैर-संवैधानिक,गैर लोकतांत्रिक है और सुप्रीम कोर्ट इस अध्यादेश को तुरंत पलट देगा| इसलिए कोर्ट की छुट्टी का इन्तजार करते हुए मोदी जी की केंद्र सरकार ये अध्यादेश लेकर आई और ये सोचा कि 6 हफ्ते तक जबतक सुप्रीम कोर्ट की छुट्टी है तबतक है इस गैर-संवैधानिक अध्यादेश से हम दिल्ली के लोगों के काम को रोकेंगे|

दिल्ली के लोगों के काम रोकने वाला ये गैर-संवैधानिक अध्यादेश क्या कहता है?

आतिशी ने कहा कि इस गैर-संवैधानिक अध्यादेश के अनुसार दिल्ली की चुनी हुई सरकार को सर्विसेज पर कोई भी कानून बनाने का अधिकार नहीं है| उन्होंने कहा कि ये अध्यादेश स्पष्ट रूप से संविधान के खिलाफ है लेकिन भाजपा को, मोदी जी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता|

उन्होंने साझा करते हुए कहा कि, इस अध्यादेश के अनुसार दिल्ली में ट्रान्सफर पोस्टिंग के लिए एक नई ऑथिरिटी ‘नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी’ बनाई जाएगी| इस अथॉरिटी में 3 सदस्य होंगे और इसके चेयरपर्सन दिल्ली के मुख्यमंत्री होंगे| इसके सदस्य दिल्ली के मुख्य सचिव और गृह सचिव होंगे| लेकिन दिल्ली के चीफ-सेक्रेटरी को गृह सचिव को चुनी हुई सरकार नहीं चुनेगी इन्हें केंद्र सरकार चुनेगी| इस हिसाब से इस नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी में दिल्ली के मुख्यमंत्री चेयरपर्सन तो होंगे लेकिन वो निर्णय नहीं ले पाएंगे| क्योंकि इस अध्यादेश के अनुसार ये अथॉरिटी बहुमत से फैसला लेगी| और अगर गलती से इस अथॉरिटी ने कोई ऐसा निर्णय लिया जो केंद्र को पसंन्द नहीं तो उस निर्णय को एलजी पलट सकेंगे| यानि चिट भी मेरी और पट भी मेरी| यानि रात के अँधेरे में लाया गया ये अध्यादेश कहता है कि चाहे दिल्ली की जनता चाहे केजरीवाल जी को चुनकर भेजे, विधानसभा में 90% से ज्यादा सीटों से चुनकर भेजे पर दिल्ली को केजरीवाल नहीं केंद्र सरकार चलाएगी|

*क्या केंद्र ये आदेश ला सकती है? क्या ये संवैधानिक है?

आतिशी ने साझा करते हुए कहा कि, ये अध्यादेश स्पष्ट तौर पर गैरसंवैधानिक है और केंद्र सरकार के पास इसे लाने की ताकत नहीं है| उन्होंने साझा किता कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश के पैरा संख्या 160 में कहा है कि- “एनसीटी दिल्ली के प्रशासन में भारतीय संघ की भागीदारी संवैधानिक प्रावधानों द्वारा सीमित है और आगे कोई भी विस्तार शासन की संवैधानिक योजना के अनुरूप होगा।“

यानी सुप्रीम कोर्ट को भी शक था कि केंद्र सरकार इस आदेश को पलटने की कोशिश करेगी कि वो गैर-क़ानूनी तरीके से दिल्ली सरकार की ताकत को कम करे इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश से केंद्र के लिए इस रास्ते को बंद कर दिया|

आप नेता आतिशी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से साफ़ है कि जो अध्यादेश आया वो गैर-संवैधानिक, गैर-लोकतांत्रिक है| ये अध्यादेश दिखाता है कि मोदी जी को अरविन्द केजरीवाल जी से बहुत डर लगता है| उन्होंने कहा कि दिल्ली एक छोटा सा राज्य है उसमें भी आधी सरकार जिसके पास लैंड,लॉ एंड आर्डर और पुलिस की ताकत नहीं है उस सरकार को रोकने के लिए मोदी जी हर संभव प्रयास कर रहे है| तो उसका तो एक ही कारण है कि मोदी जी को अरविन्द केजरीवाल से डर लगता है| उन्हें पता है कि अगर अरविन्द केजरीवाल जो पूरी ताकत मिल जाये तो वो वो चमत्कार करके दिखा देंगे| जिससे पूरे देश को पता चल जायेगा कि ईमानदारी की राजनीति की ताकत क्या होती है|

आप नेता आतिशी ने कहा कि, जो संविधान बाबा साहेब ने बनाया है उसमे बहुत ताकत है| उस संविधान ने लोकतांत्रिक सरकार, एक संघीय ढांचा बनाया है, अफसरों को चुनी हुई सरकार के अधीन बनाया है| इस संविधान ने जनता की ताकत दी है| इसलिए मोदी जी आप अपने इस गैर-संवैधानिक अध्यादेश से कुछ हफ़्तों के लिए दिल्ली के लोगों के अरविन्द केजरीवाल जी के काम को रोक सकते है लेकिन भूलिए मत कि अरविन्द केजरीवाल को ताकत दिल्ली की जनता ने, बाबा साहेब आंबेडकर के संविधान ने दी है और आप इसे नहीं रोक सकते है|

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