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आम आदमी पार्टी ने एक अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के फैसले को पलटने पर केंद्र की मोदी सरकार पर शनिवार को तीखा हमला बोला। ‘‘आप’’ के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम अरविंद केजरीवाल से बहुत भयभीत हैं और वे नहीं चाहते हैं कि दिल्ली में जनता का कोई काम हो। दिल्लीवालों के काम रोकने के लिए ही मोदी सरकार ने यह अध्यादेश लाकर अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिए फैसले को पलट दिया है। अब यह सवाल केवल अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी का नहीं रह गया है, बल्कि अब यह सवाल भारत के महान लोकतंत्र, संविधान और सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा का हो गया है। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से तुगलकी अध्यादेश है जो सुप्रीम कोर्ट और संविधान के खिलाफ है। साथ ही, यह पीएम मोदी की तानाशाही का प्रतिक भी है। हमें पूरी उम्मीद है कि जब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में जाएगा, तब कोर्ट इसका संज्ञान अवश्य लेगा।

दिल्लीवालों ने अपने बेटे को 90 फीसद सीटें देकर सीएम बनाया, इसलिए ये केजरीवाल को रोकना चाहते हैं- संजय सिंह

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को लेकर शनिवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता की। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल देश के लोकप्रिय नेता हैं और दिल्ली की जनता ने उन्हें तीन बार चुना है। जनता ने उनको 90 प्रतिशत से अधिक सीटें देकर चुना। आज अरविंद केजरीवाल से केंद्र की मोदी सरकार बहुत भयभीत है और उसका एक ही मकसद है कि किसी भी हालत में अरविंद केजरीवाल की सरकार को चलने नहीं देना है, अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की दो करोड़ जनता के हितों में काम नहीं करने देना है। कुछ भी हो जाए लेकिन दिल्ली के बच्चों की पढ़ाई नहीं होनी चाहिए, मोहल्ला क्लीनिक नहीं बनना चाहिए, बुजुर्गों की तीर्थ यात्रा नहीं होनी चाहिए, फ्री बिजली और इलाज नहीं मिलनी चाहिए। घर-घर राशन भी नहीं पहुंचना चाहिए। मोदी सरकार को इन सारे कामों को रोकना है। क्योंकि दिल्ली की जनता ने अपने बेटे अरविंद केजरीवाल को 90 प्रतिशत सीटें देकर मुख्यमंत्री बना दिया। इसलिए अरविंद केजरीवाल को रोकना चाहते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट देना आपातकाल की स्थिति के समान- संजय सिंह

राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में 8 साल तक लंबी लड़ाई चली। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ का सर्व सम्मति से फैसला आया। फैसले में कहा गया कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग की जिम्मेदारी होगी। क्योंकि दिल्ली की दो करोड़ जनता के प्रति चुनी हुई सरकार की जवाबदेही है। मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक पीठ के फैसले को एक सप्ताह के अंदर ही अध्यादेश लाकर पलट दिया। मोदी सरकार कहती है कि वो सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक पीठ के फैसले को नहीं मानती है और न तो संविधान को मानती है। मोदी सरकार का यह तुगलकी अध्यादेश है, जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले और संविधान के खिलाफ है। अब यह सवाल केवल अरविंद केजरीवाल या आम आदमी पार्टी का नहीं है, बल्कि यह भारत के महान लोकतंत्र का है। यह सवाल बाबा साहब डॉ. अंबेडकर के लिखे गए संविधान का है कि अब वो बचेगा या नहीं। यह सवाल भारत के सुप्रीम कोर्ट का भी है कि उसकी प्रतिशत और उसके आदेश बचेंगे या नहीं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट देना आपातकाल की स्थिति के समान है। मोदी सरकार अपनी तानाशाही में जो चाह रही है, वही कर रही है।

प्रधानमंत्री को लोकतंत्र, संविधान, न्यायपालिका, संघीय ढांचे और चुनी हुई सरकारों में यकीन नहीं है- संजय सिंह

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि प्रधानमंत्री को एक पिता व अभिभावक की भूमिका में होना चाहिए और सभी राज्य सरकारों को समान नजरिए से देखते हुए उनको अधिकार देने चाहिए। दिल्ली के परिप्रेक्ष्य में मैं कहना चाहूंगा कि अगर एक पिता अपने बेटे की बर्बादी, लोकतंत्र-संविधान का गला घोंटने पर तुला हो और चुनी ही सरकार को मारने पर जुट जाए तो देश की स्थिति को समझा जा सकता है। ये अध्यादेश यह बताता है कि प्रधानमंत्री को सिर्फ तानाशाही करनी है, उनको भारत के लोकतंत्र, संविधान, न्यायपालिका, संघीय ढांचे, चुनी हुई सरकारों में कोई यकीन नहीं है। मोदी सरकार द्वारा लाया गया अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट में जाएगा और कोर्ट इस तानाशाही फैसले का संज्ञान भी लेगा।

कोई भी अध्यादेश संविधान के दायरे में होना चाहिए, बाहर जाकर नहीं लाया जा सकता- संजय सिंह

राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने अध्यादेश और अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए बनी कमेटी पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि अध्यादेश में कहा गया है कि कमेटी के दो अफसर मुख्यमंत्री से उपर हैं। दिल्ली का बगैर चुने हुए एलजी दो करोड़ जनता से चुनी हुई सरकार के उपर हैं। फिर दिल्ली में चुनाव कराने और विधानसभा के गठन का कोई मतलब नहीं रह जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने जिन बातों को स्पष्ट तौर पर लिखा, उनका बातों का भी कोई मतलब नहीं हर गया है। कोई भी अध्यादेश संविधान के दायरे में होना चाहिए, संविधान से बाहर जाकर नहीं लाया जा सकता। हमारा संविधान संघीय ढांचे की बात करता है और चुनी हुई सरकारों को अधिकार देने की बात करता है। ऐसे में संविधान के बाहर जाकर कोई अध्यादेश कैसे लाया जा सकता है। इस बात को पूरा देश देख रहा है।

पीएम मोदी नहीं चाहते कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली की जनता की सेवा करें- संजय सिंह

उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली में जनता की सेवा और उसके लिए काम करना चाहते हैं, सभी बच्चों की जिंदगी में बदलाव लाना चाहते हैं, बुजुर्गों की सेवा करना चाहते हैं। यह अध्यादेश उन्हें रोकने के लिए लाया गया है। सीएम अरविंद केजरीवाल की संवेदनशीलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडिया देखा, जिसमें महिलाओं के लिए बस नहीं रोकी जा रही थी, उस चालक के खिलाफ एक घंटे अंदर कार्रवाई हुई। मोदी जी यही नहीं चाहते हैं। वे चाहते हैं कि दिल्ली की महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चों के मां-बाप को तो परेशान रहना ही चाहिए क्योंकि उन्होंने अरविंद केजरीवाल को चुना है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटना समान्य बात नहीं, ऐसे में देश का लोकतंत्र नहीं बचेगा- संजय सिंह

राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने देश के लोगों से अपील करते हुए कहा कि देश के लोग भी जरा सोचें कि कैसी घृणित मानसिकता के लोग देश की सत्ता को चला रहे हैं। क्या ऐसे लोगों के हाथ में देश सुरक्षित है, जो आपके बच्चों का भविष्य बर्बाद करने पर तुले हैं, मोहल्ला क्लीनिक और घर-घर राशन योजना, दिल्ली के दो करोड़ लोगों के काम रोकने पर तुले हुए हैं। जो भारत के संविधान को पलटने, सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा को खत्म करने पर तुले हुए हैं। यह सवाल सिर्फ अरविंद केजरीवाल का नहीं है, बल्कि भारत के महान लोकतंत्र और बाबा साहब डॉ. अंबेडकर के लिखे संविधान का है। हमें पूरी उम्मीद है कि जब ये मामला दोबारा सुप्रीम कोर्ट के सामने जाएगा तो वो इनका अवश्य संज्ञान लेगा। मोदी सरकार के इस अध्यादेश ने सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ के फैसले को पलट दिया है। यह समान्य बात नहीं है। ऐसे में देश का लोकतंत्र नहीं बचेगा।

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