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आम आदमी पार्टी ने अर्थशास्त्रियों द्वारा आगाह करने के बावजूद सरकारी और प्राइवेट कर्मचारियों के प्रोविडेंट फंड का पैसा अडानी की कंपनियों में लगाने पर मोदी सरकार पर हमला बोला। ‘‘आप’’ के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री देश के 28 करोड़ कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। मोदी सरकार ने कर्मचारियों के पीएफ का 1.57 लाख करोड़ रुपए अडानी व अन्य कंपनियों में लगाया है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने अडानी की रेटिंग कम कर दी है। इसके बावजूद देश के करोड़ों कर्मचारियों के पीएफ का पैसा अडानी की कंपनियों में लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए कि अगर प्रोविडेंट फंड का 1.57 लाख करोड़ रुपए डूब गए तो इसकी जवाबदेही किसकी होगी? वहीं, “आप” प्रवक्ता रीना गुप्ता ने केंद्र सरकार से मांग की है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से अडानी ग्रुप को क्लीन चिट नहीं मिलता, तब तक अडानी पोर्ट और अडानी इंटरप्राइजेज को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) से हटाया जाए।

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर कहा कि अडानी का घोटाला एक महाघोटाला है। जिसे हम कई किश्तों में जनता के सामने लेकर आए हैं। आज का मामला देश के उन 28 करोड़ लोगों के भविष्य के बारे में है जिसका फैसला मोदी सरकार ने लिया और इन लोगों के पीएफ का पैसा उठाकर पूंजीपतियों को सौंप दिया। 2015 में पीएम नरेंद्र मोदी ने फैसला लिया कि सरकारी विभागों और प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी, जिनका प्रोविडेंट फंड का पैसा कटता है। उनके पीएफ के पैसों से 50 कंपनियों के शेयर खरीदे जाएंगे। लोगों को यह जानकार हैरानी होगी कि इन 50 कंपनियों में दो कंपनियां अडानी की शामिल हैं। जिसका नाम अडानी पोर्ट और अडानी इंटरप्राइसेज है। इन कंपनियों के शेयर खरीदने के लिए जनता के पैसों से 1 लाख 57 हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए। जो कर्मचारी अपने भविष्य की सुरक्षा के लिए पीएफ एकाउंट में पैसा जमा करते हैं, उन पैसों से 1 लाख 57 हजार करोड़ रुपए का शेयर खरीदा गया है। करीब 38 हजार करोड़ रुपए का सालाना प्राइवेट कंपनियों का शेयर पीएफ के पैसों से खरीदा गया है।

उन्होंने कहा कि बहुत सारे बुजुर्ग लोग पार्कों में बैठकर मोदी जी का समर्थन करते हुए नजर आते हैं। मैं उन वरिष्ठ नागरिकों से कहना चाहता हूं कि जरा सोचिए कि आपके साथ आखिर क्या हो रहा है? आपका पैसा उठाकर पानी की तरह बहाया जा रहा है। यह भी सोचिए कि मोदी जी आपके भविष्य के साथ किस तरह से खिलवाड़ कर रहे हैं। पार्कों में बैठिए और इस पर भी थोड़ी चर्चा कीजिए। देश के 28 करोड़ कर्मचारियों की मेहनत का पैसा उनके भविष्य की सुरक्षा का 1 लाख 57 हजार करोड़ रुपए का पैसा उठाकर मोदी जी ने प्राइवेट कंपनियों के शेयर खरीदने में लगा दिया है।

राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि मजेदार बात यह है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई और सभी को सावधान किया गया कि अब तो संभल जाओ। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में सामने आया कि अडानी ने बहुत बड़ा भ्रष्टाचार किया है। अडानी ने अपने शेयर का ओवरवैल्यूएशन किया और अपने शेयर की कीमतें फर्जी तरीके से बढ़ाई है। बाहर से काला धन लगाकर अपने शेयर के दाम बढ़ाए हैं। उनका शेयर का वास्तविक दाम पता नहीं है। इसलिए अब अडानी के शेयर मत खरीदो। ऐसा तमाम फाइनेंशियल एक्सपर्ट और अर्थशास्त्रियों ने आगाह किया कि यह इस देश के 28 करोड़ लोगों को पैसा है। इसको कम से कम अब तो अडानी की कंपनियों में मत डुबाओ। लेकिन 27 मार्च को ईपीएफओ बोर्ड की बैठक होती है। देश के श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव बोर्ड के चेयरमेन हैं। तब तक हिंदनबर्ग की रिपोर्ट भी आ चुकी होती है और आगाह किया जाता है कि कर्मचारियों के जीवन से जुड़ा हुआ मसाला है और उनके संकंट के समय में काम आने वाले पीएफ के पैसे को कम से कम अडानी के ग्रुप में मत लगाइए। लेकिन इसके बावजूद लोगों का पीएफ का पैसा एक बार फिर अडानी की उन दो कंपनियों में लगाया जाता है। उन्होंने पीएम से पूछा कि आखिर आपका अडानी से ऐसा क्या प्रेम है? आप देश के करोड़ों लोगों का पैसा उठाकर अडानी के ऊपर क्यों लुटा रहे हैं? एलआईसी, एसबीआई, पीएनबी समेत अन्य बैंकों का पैसा उठाकर अडानी पर लुटा रहे हैं। अब करोड़ों लोगों की जिंदगी से जुड़ा हुआ पीएफ का पैसा उठाकर अडानी पर लुटा रहे हैं।

राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि मैं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछना चाहता हूं कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बावजूद, शेयर ओवरवैल्यूएशन करने के बावजूद आखिर आप इस देश के लोगों का पैसा शेयर मार्केट में क्यों लगा रहे है? जब इस देश के लोगों का 1 लाख 57 हजार करोड़ रूपए डूबेगा, तो इसकी जवाबदेही किसकी होगी? लोगों के पीएफ का 1 लाख 57 हजार करोड़ रूपए, जब पूंजीपति लूटकर भाग जाएंगे, तो इसकी जवाबदेही किसकी होगी? इस बात का जवाब देश के प्रधानमंत्री को देश के करोड़ों लोगो को देना चाहिए। ऐसे समय में, जब अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने अडानी की कंपनियों का वेटेज कम किया है और उसकी रेटिंग कम की गई है। निवेशकों को आगाह किया गया है कि इनके शेयर में पैसे मत लगाओ, क्योंकि इनके शेयर की वास्तविक वैल्यू हमें पता नहीं है। ऐसे समय में भी भारत की सरकार 27 मार्च की बैठक में अडानी की कंपनी में पीएफ का पैसा लगाने का निर्णय करती है। मेरा सवाल है कि आखिर किसके कहने पर यह सबकुछ हो रहा है?

‘आप” की मांग है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट से अडानी ग्रुप की कंपनियों को क्लीन चिट नहीं मिलती है उसे एनएसई से हटाया जाए – रीना गुप्ता

वहीं, आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता रीना गुप्ता ने कहा कि देश के करोड़ो लोग स्टॉक मार्केट में अपना पैसा लगाते हैं। अक्सर लोग कहते हैं कि निफ्टी-50 खरीद लीजिए। असल में यह निफ्टी एक इंडेक्स है जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) बनता है। देश की सबसे बेहतर 50 कंपनियों का इंडेक्स बनता है। लोग सोचते हैं कि इंडेक्स में पैसा लगाने से हमारा पैसा सुरक्षित है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लिखा था कि अडानी ग्रुप के शेयर्स का असली रेट पता नहीं चल रहा है। पूरी दुनिया के कई इंडेक्स में अडानी ग्रुप के शेयर्स थे। अमेरिका का सबसे बड़ा इंडेक्स मार्गंस स्टेनली का इंडेक्स है। मार्गांस स्टेनली इंडेक्स ने यह निर्णय लिया कि अडानी ग्रुप के असली शेयर का रेट हमें पता नहीं चल रहा है तो हम अपने इंडेक्स में अडानी ग्रुप का वेटेज कम करेंगे। ऐसे ही एक और बहुत बड़े इंडेक्स ‘एसएनपी इंडेक्स’ ने भी निर्णय लिया ही हम अडानी ग्रुप का वेटेज कम करेंगे या कुछ इंडेक्स में से अडानी ग्रुप के शेयर को हटाया जाएग। लेकिन हमारे देश के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने कोई निर्णय नहीं लिया। क्या उन पर भारत सरकार का दबाव था? एनएसई ने अडानी ग्रुप की दोनों कंपनियों को इंडेक्स से नहीं निकाला। इसकी वजह से 28 करोड़ लोगों की गाढ़ी कमाई और स्टॉक मार्केट इंडेक्स में पैसा लगाने वाले लोगों का पैसा रोज अडानी ग्रुप की कंपनियों में लग रहा है। आज आम आदमी पार्टी की यह मांग है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट की कमेटी अडानी ग्रुप की कंपनियों को क्लीन चिट नहीं देती है, तब तक देश के छोटे निवेशकों का पैसा बचाने के लिए सरकार को अडानी ग्रुप की दोनों कंपनियों को एनएसई से हटाना चाहिए। क्लीन चिट मिल जाने के बाद आप एनएसई में शामिल कर सकते हैं। लेकिन जब तक क्लीन चिट नहीं मिलती है, तबतक निफ्टी में पैसा लगाने वाले देश के लोगों का पैसा सुरक्षित नहीं है। जब पूरी दुनिया के इंडेक्स अपने इंडेक्स में से अडानी ग्रुप की कंपनियों को हटा रहे हैं, तो हमारी सरकार द्वारा निर्णय क्यों नहीं लिया जा रहा है? क्यों एनएसई को निर्देशित नहीं किया जा रहा है कि क्लीन चीट नहीं मिलने तक अडानी ग्रुप की दोनों कंपनियों को इंडेक्स से हटाया जाए।

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