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दिल्लीवालों के बिजली का बिल जीरो आने का रास्ता साफ हो गया। सीएम अरविंद केजरीवाल के अथक प्रयासों की बदौलत दिल्ली सोलर पॉलिसी 2023 लागू कर दी गई। सरकार ने पॉलिसी की अधिसूचना जारी कर दी है। अब दिल्ली के लोग पॉलिसी के तहत अपने घर की छतों पर सोलर पैनल लगवाकर अपना बिजली का बिल जीरो कर सकते हैं। साथ ही, इससे हर महीने अच्छी आमदनी भी कर सकते हैं। पॉलिसी के तहत सोलर पैनल लगवाने वालों का 400 यूनिट से अधिक बिजली खपत करने पर भी बिल जीरो आएगा, जबकि कमर्शियल और इंडस्ट्रीयल उपभोक्ताओं का बिजली बिल आधा हो जाएगा। इसके अलावा, सोलर पैनल लगवाने में आने वाला खर्च अगले चार साल में रिकवर हो जाएगा। बता दें कि 29 जनवरी को सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सोलर पॉलिसी की घोषणा की थी। सरकार ने इसकी फाइल एलजी को भेजी थी। करीब एक महीने के इंतजार के बाद एलजी से मंजूरी मिली और अब यह पॉलिसी लागू कर दी गई है।

पॉलिसी की अधिसूचना जारी होने पर दिल्ली की ऊर्जा मंत्री आतिशी का कहना है कि दिल्ली सोलर पॉलिसी बहुत ही शानदार पॉलिसी है। इस पॉलिसी के लागू होने से न केवल दिल्ली वालों को फायदा होगा, बल्कि प्रदूषण भी कम होगा। सोलर पॉलिसी के तहत हर यूनिट बिजली उत्पादन करने पर दिल्ली सरकार रूफटॉप सोलर लगवाने वाले उपभोक्ताओं को पैसे देगी। इससे न सिर्फ उपभोक्ताओं का बिजली का बिल जीरो आएगा, बल्कि वो अपने छत पर लगे रूफटॉप सोलर पॉवर प्लांट से पैसे भी कमा सकते है। हमारा लक्ष्य है कि 2027 तक दिल्ली में इस्तेमाल होने वाली कुल बिजली में 50 फीसद बिजली सोलर एनर्जी से आए। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार पावर जेनरेशन असेसमेंट का भी प्रावधान करेगी। इसके लिए सरकार कुछ संस्थाओं से टाइअप करेगी। ये संस्थाएं सैटेलाइट के माध्यम से पूरी दिल्ली में कहां कितनी क्षमता है, उसका आंकलन कराएगी। इससे यह फायदा होगा कि उपभोक्ता को यह आंकलन नहीं करना पड़ेगा कि उसके घर की छत पर कितनी पावर जेनरेट की जा सकती है। दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में कैंप लगाएंगे, ताकि लोगों को सरकार के पास न आना पड़े, बल्कि सरकार ही उनके पास जाए।

सोलर पॉलिसी 2016 के तहत दिल्ली में 1500 मेगावॉट सोलर पावर उपलब्ध

दिल्ली सोलर पॉलिसी 2023 से पहले दिल्ली सरकार ने दिल्ली सोलर पॉलिसी 2016 जारी की थी, जो पूरे देश में सबसे प्रोग्रेसिव पॉलिसी मानी गई। एक तरह से सोलर पॉलिसी 2016 ने दिल्ली में सोलर पॉवर की मजबूत बुनियाद रखी। इसके तहत दिल्लीवालों ने अब तक अपने घर की छतों पर 250 मेगावॉट क्षमता के सोलर पैनल लगवाए हैं। सोलर पॉलिसी 2016 के तहत डिस्कॉम ने 1250 मेगावॉट सोलर पावर बाहर से खरीदी है। इस तरह, सोलर पॉलिसी 2016 के तहत दिल्ली के अंदर अब तक करीब 1500 मेगावॉट सोलर पावर स्थापित हुई है।

सोलर पॉलिसी से वायु प्रदूषण को कम करने में मिलेगी मदद

*केजरीवाल सरकार वायु प्रदूषण को कम करने को लेकर कई पहलों पर काम कर रही है। इसमें एक कदम दिल्ली सोलर पॉलिसी भी है। सरकार का मानना है कि सोलर पॉलिसी से वायु प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलेगी। सरकार ने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए ईवी पॉलिसी भी बनाई है, जो देश की सबसे प्रोग्रेसिव ईवी पॉलिसी है और आज दिल्ली को ईवी कैपिटल ऑफ इंडिया कहा जाता है। दिसंबर 2023 में दिल्ली में कुल खरीदे गए वाहनों में से करीब 20 फीसद इलेक्ट्रिक व्हीकल्स थे, जो पूरे देश में सबसे ज्यादा है।

400 यूनिट से अधिक बिजली खपत पर भी बिल आएगा जीरो

दिल्ली सोलर पॉलिसी 2023 की कई खासियतें भी हैं। मसलन, इसके तहत जो लोग अपने घर की छत पर सोलर पैनल लगवाएंगे, उनका बिजली का बिल जीरो हो जाएगा। दिल्ली सरकार पहले से ही हर परिवार को 200 यूनिट बिजली फ्री देती है। इनका बिल जीरो आता है। वहीं, 201 से 400 यूनिट तक बिजली इस्तेमाल करने पर आधा बिल आता है और 400 यूनिट से अधिक बिजली इस्तेमाल करने पर पूरा बिल आता है। इस पॉलिसी के तहत सोलर पैनल लगवाने पर 400 यूनिट से अधिक बिजली इस्तेमाल करने वालो का भी बिजली का बिल जीरो हो जाएगा। दिल्ली सोलर पॉलिसी 2024 लागू होने के बाद दिल्ली के सभी आवासीय सेक्टर के लोगों का बिजली बिल जीरो हो सकता है। चाहे आप 800, 1000 या 2000 यूनिट बिजली इस्तेमाल करें, बिल जीरो आएगा।

ऐसे होगा आपका बिल जीरो और अतिरिक्त कमाई

पॉलिसी के तहत सोलर पैनल में जितना पैसा खर्च होगा, वो अगले चार साल के अंदर रिकवर हो जाएगा। क्योंकि सरकार ने कई सब्सिडी का प्रावधान किया है। मसलन, आवासीय क्षेत्र में कोई उपभोक्ता 360 यूनिट बिजली इस्तेमाल कर रहा है, तो वो 201 से 401 यूनिट वाले स्लैब में आता है और उसका बिजली का बिल आधा आ रहा है। अगर वो उपभोक्ता दो किलोवॉट का रूफ टॉप सोलर पैनल लगवाता है तो उसे लगाने में 90 हजार रुपए खर्च करने पड़ेंगे। इसके बाद उस उपभोक्ता का बिजली का बिल जीरो आने लगेगा और उसका हर महीने 1370 रुपए बचने लगेंगे। इसके अलावा, दिल्ली सरकार हर महीने 700 रुपए जेनरेशन बेस्ड इंसेंटिव देगी। इससे उस उपभोक्ता की 700 रुपए हर महीने अतिरिक्त आमदनी होने लगेगी। दोनों को मिलाकर उस उपभोक्ता की हर महीने करीब 2000 रुपए की बचत होगी। इस तरह साल भर में 24 हजार रुपए बचेंगे और 4 साल के अंदर 90 हजार रुपए का निवेश रिकवर हो जाएगा। सोलर पैनल कम से कम 25 साल चलते हैं। इसलिए सोलर पैनल लगवाने के बाद 25 साल तक बिजली फ्री रहेगी।

कमर्शियल और इंडस्ट्रीयल उपभोक्ताओं का हो जाएगा आधा बिल

दिल्ली सोलर पॉलिसी का फायदा आवासीय सेक्टर के अलावा कमर्शियल और इंडस्ट्रीयल उपभोक्ताओं को भी मिलेगा। इस पॉलिसी के तहत कमर्शियल और इंडस्ट्रीयल उपभोक्ता सोलर पैनल लगवाते हैं तो उनके बिजली का बिल आधा (50 फीसद कम) हो जाएगा। क्योंकि कमर्शियल और इंडस्ट्रीयल उपभोक्ताओं को भी पांच साल तक एक रुपए प्रति यूनिट जेनरेशन बेस्ड इंसेंटिव दिया जाएगा। इस तरह दिल्ली के अंदर सभी आवासीय उपभोक्ताओं के बिजली का बिल जीरो हो जाएगा और कमर्शियल और इंडस्ट्रीय उपभोक्ताओं का वर्तमान में जितना बिल आ रहा है, पॉलिसी के तहत सोलर पैनल लगवाने पर उसका आधा बिल हो जाएगा। इसके अलावा, नई पॉलिसी के तहत सोलर पैनल लगवाने पर ग्रुप हाउसिंग सोसायटीज और रेजिडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन को पांच साल तक 2 रुपए प्रति यूनिट जेनरेशन बेस्ड इंसेंटिव दिया जाएगा।

सरकार पांच साल तक देगी इंसेंटिव

दिल्ली सरकार सोलर पॉलिसी के अंतर्गत 5 तरह के वित्तीय लाभ देगी। अगर आप 3 किलोवॉट क्षमता का सोलर पैनल लगवाते हैं तो उससे पैदा होने वाली बिजली पर दिल्ली सरकार आपके बैंक खाते में 3 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से जमा करेगी। अगर 3 से 10 किलोवॉट क्षमता के सोलर पैनल लगवाते हैं तो 2 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से पैसा जमा कराया जाएगा। दिल्ली सरकार पांच साल तक यह जेनरेशन बेस्ड इंसेंटिव देती रहेगी। पूरे देश में केवल दिल्ली सरकार ही सोलर पैनल लगवाने वाले लोगों को जेनरेशन बेस्ड इंसेंटिव दे रही है। दिल्ली के अलावा किसी और राज्य की सरकार नहीं दे रही है।

सोलर पॉलिसी 2016 की कमियों को दूर कर बनाई गई नई पॉलिसी

सोलर पॉलिसी 2016 में भी जेनरेशन बेस्ड इंसेंटिव था, लेकिन उसमें कुछ कमियां थीं। नई पॉलिसी में उन कमियों को दूर कर सरल कर दिया गया है। 2016 की पॉलिसी में एक यह कमी थी कि बिजली पैदा करने की न्यूनतम सीमा तय थी। उतनी बिजली पैदा करने पर ही जेनरेशन बेस्ड इंसेंटिव दिया जाता था। नई पॉसिली में न्यूनतम सीमा को हटा दिया गया है। अब एक यूनिट बिजली पैदा करने पर भी जेनरेशन बेस्ड इंसेंटिव मिलेगा। दूसरी कमी यह थी कि साल में केवल दो बार जेनरेशन बेस्ड इंसेंटिव आपके खाते में डाला जाता था। लेकिन नई पॉलिसी के तहत अब हर महीने सोलर पैनल लगवाने वाले लोगों के खाते में प्रति यूनिट के हिसाब से जेनरेशन बेस्ड इंसेंटिव डाला जाएगा।

तीन साल में सोलर पावर की क्षमता तीन गुना हो जाएगी

इस पॉलिसी के लागू होने के बाद अगले तीन साल के अंदर (2027 तक) दिल्ली में 4500 मेगावॉट सोलर पावर की क्षमता स्थापित हो जाएगी। इसमें से 750 मेगावॉट क्षमता के सोलर पैनल छत के उपर लगाए जाएंगे, जबकि 3750 मेगावॉट डिस्कॉम बाहर से सोलर पावर खरीदेंगे। आज दिल्ली में 1500 मेगावॉट सोलर पावर की क्षमता है, जिसे अगले तीन साल में तीन गुना तक बढ़ाकर 4500 मेगावॉट तक ले जाएंगे।

पोर्टल पर उपलब्ध होगी पूरी जानकारी

दिल्ली सोलर पॉलिसी की सारी जानकारी एक जगह उपलब्ध कराने के लिए सोलर पोर्टल बनाया जा रहा है। पॉसिली से संबंधित सारी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। अगर सरकारी बिल्डिंग की छत पर 500 वर्ग मीटर का एरिया है, तो उनके लिए सोलर पैनल लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। सभी सरकारी बिल्डिंग्स की छत पर पॉलिसी लागू होने के तीन साल के अंदर सोलर पैनल लगाने होंगे। दिल्ली सरकार दिल्ली के बाहर से भी सोलर पावर खरीदने की कोशिश करेगी, क्योंकि अब सोलर पॉवर सस्ती होती जा रही है।

दिल्ली सोलर पॉलिसी का टारगेट

दिल्ली सोलर पॉलिसी 2024 के मुख्यतः दो लक्ष्य हैं। पहला, दिल्ली को पूरे भारत में सौर ऊर्जा अपनाने के मामले में अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करना है। जिससे दिल्ली के वायु प्रदूषण को कम किया जा सके। दूसरा, गैर-सब्सिडी वाले आवासीय उपभोक्ताओं के बिजली बिलों को जीरो और कमर्शियल व औद्योगिक उपभोक्ताओं का बिजली का बिल 50 फीसद तक कम करना है। इसके अलावा, मार्च 2027 तक दिल्ली की कुल स्थापित सौर क्षमता को मौजूदा क्षमता 1500 मेगावाट से तीन गुना बढ़ाकर 4,500 मेगावाट करना है। इसमें 2027 तक दिल्ली में 750 मेगावाट छत सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापना और दिल्ली के बाहर स्थापित 3750 मेगावाट उपयोगिता स्तर के सौर ऊर्जा संयंत्र शामिल हैं। परिणाम स्वरूप, 2027 तक दिल्ली की बिजली खपत का लगभग 20 फीसद सौर ऊर्जा से आएगा, जो भारत में सबसे अधिक होगा। दिल्ली सरकार पॉलिसी के क्रियान्वयन पर 570 करोड़ रुपये खर्च करेगी।

दिल्ली सौर नीति 2024 की प्रमुख विशेषताएं-

  • दिल्ली सौर नीति 2024 भारत में सबसे उपभोक्ता-अनुकूल सौर नीति है। यह सभी आवासीय उपभोक्ताओं को निम्नलिखित 5 वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है-
  1. उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (जीबीआई)- हर इकाई सौर ऊर्जा के लिए, दिल्ली सरकार छोटे छत के प्लांट (3 किलोवाट तक) के लिए 3 रुपये और बड़े प्लांट (3 से 10 किलोवाट) के लिए 2 रुपये का जीबीआई देगी। भारत में दिल्ली सरकार एकमात्र है, जो जीबीईआई की पेशकश करती है और वह भी स्थापना की तारीख से 5 साल तक। नई नीति के तहत जीबीआई प्राप्त करने में आने वाली कई बाधाओं को दूर कर लिया गया है।

(ए) जीबीआई प्राप्त करने के लिए न्यूनतम उत्पादन की कोई शर्त नहीं है, जो 2016 की नीति में मौजूद थी।

(बी) जीबीआई के तहत राशि उपभोक्ता के मासिक बिजली बिल के खिलाफ समायोजित की जाएगी। किसी भी अतिरिक्त राशि को डिस्कॉम द्वारा हर महीने उपभोक्ता के बैंक खाते में जमा किया जाएगा। पहले जीबीईआई राशि केवल साल में 2 बार ही ट्रांसफर की जाती थी।

  1. पूंजी सब्सिडी- पहली बार दिल्ली सरकार आवासीय उपभोक्ताओं को प्रति किलोवाट स्थापना 2 हजार रुपये की पूंजी सब्सिडी प्रदान करेगी, जो हर उपभोक्ता के लिए अधिकतम 10 हजार रुपये तक होगा। यह केंद्र सरकार की पूंजी सब्सिडी से अधिक होगा।
  2. नेट मीटरिंग- नेट मीटरिंग के तहत ग्रिड से खपत होने वाली बिजली के साथ उत्पन्न सौर ऊर्जा का समायोजन हो जाता है। मान लीजिए अगर किसी घर ने 400 यूनिट खपत की है और 100 यूनिट सौर ऊर्जा पैदा की है तो उससे केवल 300 यूनिट का बिल लिया जाएगा। इससे उपभोक्ताओं को कम बिजली बिलों का लाभ मिलता है।
  3. अतिरिक्त ऊर्जा इकाइयों का रोल-ओवर- हर महीने नेट मीटरिंग के बाद बची हुई अतिरिक्त सौर इकाइयों को 12 महीने (हर वित्तीय वर्ष के बंद होने तक) तक बाद के बिलिंग चक्रों में रोल-ओवर कर दिया जाएगा।
  4. अतिरिक्त आय- साल के आखिर में अगर उत्पन्न सौर ऊर्जा उपभोक्ता की वार्षिक बिजली मांग से अधिक है तो उपभोक्ता अपने डिस्कॉम से इसके लिए पैसा कमाएगा।
  • वर्तमान में दिल्ली के लगभग 70 फीसदी आवासीय उपभोक्ताओं को शून्य बिजली बिल मिलता है (200 यूनिट से कम खपत हर महीने)। नई नीति के तहत छत पर प्लांट लगाकर आंशिक रूप से सब्सिडी वाले और बिना सब्सिडी वाले उपभोक्ता भी पहले महीने से ही हर महीने शून्य बिल प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा उन्हें दिल्ली सरकार के उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (जीबीआई) के जरिए से 700-900 रुपये की मासिक आय और 4 साल में कुल निवेश पर वापसी (आरओआई) प्राप्त होगी।

उदाहरण

1- मान लीजिए, किसी आवासीय उपभोक्ता की औसत मासिक खपत 360 यूनिट है तो वह आंशिक रूप से सब्सिडी वाला उपभोक्ता है।

2- उपभोक्ता लगभग 90 हजार रुपये की लागत से 2 किलोवाट का छत सौर प्लांट लगाता है, जिसमें कर और सब्सिडी शामिल है।

3- उपभोक्ता को तुरंत जीरो बिजली बिल (लगभग 1370 रुपये प्रति माह की बचत) के साथ-साथ लगभग 700 रुपये प्रति माह का जीबीआई लाभ मिलना शुरू हो जाएगा। इससे कुल 24 हजार रुपये की वार्षिक बचत होगी।

4- जैसे उपभोक्ता ने शुरू में 90 हजार रुपये खर्च किए और निवेश पर वापसी 4 साल है, लेकिन उपभोक्ता सौर प्लांट के जीवनकाल 25 वर्षों तक शून्य बिल का लाभ उठाता रहेगा।

  • आवासीय उपभोक्ताओं के अलावा दिल्ली सरकार ने पहली बार वाणिज्यिक/औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए भी जीबीआई के विस्तार का निर्णय लिया है। (दिल्ली में पहले 200 मेगावाट के संयंत्रों के लिए)। उन्हें ऊपर वर्णित नेट मीटरिंग, अतिरिक्त इकाइयों के रोल ओवर और अतिरिक्त आय के लाभों के अलावा 5 वर्षों के लिए उत्पन्न सौर ऊर्जा की प्रति यूनिट 1 रुपये का प्रोत्साहन प्राप्त होगा। जिससे दिल्ली में एक औसत वाणिज्यिक या औद्योगिक उपभोक्ता अपने मौजूदा बिजली बिल पर लगभग 50 फीसदी की बचत कर सकता है और 4 साल में छत के प्लांट पर निवेश पर वापसी (आरओआई) प्राप्त कर सकता है।
  • निवासी कल्याण संघों और समूह आवास सोसायटियों को 2016 की सौर नीति के अनुसार ही प्रति यूनिट सौर ऊर्जा पर 2 रुपये का जीबीआई मिलता रहेगा।

दिल्ली सौर नीति 2024 के तहत उत्पादन आधारित प्रोत्साहन

नई दिल्ली सौर नीति के तहत, समूह नेट मीटरिंग, आभासी शुद्ध मीटरिंग और रेस्को मॉडल जैसी सुविधाएं जारी रहेंगी।

नोट-ः रेस्को मॉडल के तहत एक बड़ा ग्राहक (आमतौर पर 25 किलोवाट से अधिक मांग वाला) सौर संयंत्र में निवेश नहीं करता है, बल्कि एक सौर डेवलपर (रेस्को – नवीकरणीय ऊर्जा सेवा कंपनी) के साथ एक निश्चित अवधि के लिए एक निर्धारित टैरिफ पर बिजली खरीदने के लिए विद्युत खरीद समझौता (पीपीए) में प्रवेश करता है।

  • दिल्ली सौर नीति 2024 के तहत उन उपभोक्ताओं द्वारा सामने आने वाली चुनौतियों को दूर करने के लिए कुछ नये, अनूठे परिनियोजन मॉडल पेश किए जाएंगे, जो सौर संयंत्र स्थापित करना चाहते हैं, लेकिन उनके पास पैसे या छत की जगह की कमी है।

1- सामुदायिक सौर- देश में पहली बार कम्युनिटी सौर मॉडल स्थापित किया जाएगा। यह उन उपभोक्ताओं को सक्षम बनाएगा, जिनके पास सौर संयंत्र लगाने के लिए उपयुक्त छत नहीं है. ऐसे लोग तीसरे पक्ष के स्थान पर स्थापित एक सामुदायिक स्वामित्व वाले सौर सिस्टम का हिस्सा बन सकते हैं और जीबीआई, नेट मीटरिंग आदि सभी लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

2- हाइब्रिड रेस्को मॉडल- यह मॉडल उन छोटे उपभोक्ताओं को भी लाभान्वित करेगा, जिनके पास पैसे नहीं है, लेकिन उनके पास पर्याप्त छत की जगह है और वे पारंपरिक रेस्को मॉडल के दायरे में नहीं आते हैं। रेस्को डेवलपर, डिस्कॉम और उपभोक्ता के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता किया जाएगा। डिस्कॉम उपभोक्ता से भुगतान जमा करेगा और उसे डेवलपर को दे देगा। उपभोक्ता कम लागत वाली सौर ऊर्जा और नेट मीटिरिंग लाभों से लाभान्वित होगा।

3- पीयर टू पीयर ट्रेडिंग- देश में पहली बार सौर ऊर्जा के सहकर्मी से सहकर्मी बिजनेस के लिए भी एक मॉडल स्थापित किया जाएगा। यह सौर ऊर्जा प्रणाली के मालिकों को अपनी अतिरिक्त उत्पन्न बिजली को वास्तविक समय में दिल्ली के अन्य उपभोक्ताओं को पी2पी ऊर्जा व्यापार मंच के माध्यम से बेचने में सक्षम करेगा।

  • राज्य सौर पोर्टल- नई सौर नीति का लक्ष्य एक एकीकृत एकल-विंडो राज्य पोर्टल बनाना है। यह दिल्ली सौर नीति, सौर पीवी प्रणालियों का लाभ, स्थापना प्रक्रिया से संबंधित दिशा-निर्देशों, तकनीकी रूप से योग्य विक्रेताओं की सूची आदि के तहत सभी सूचनाओं के लिए एक-स्टॉप-शॉप की तरह काम करेगा।
  • सरकारी भवनों के लिए अनिवार्य- नई सौर नीति के तहत 500 वर्ग मीटर से अधिक छत क्षेत्रफल वाले सभी मौजूदा सरकारी भवनों को अगले 3 वर्षों के भीतर अनिवार्य रूप से सौर संयंत्र लगाना होगा।
  • राज्य के बाहर से सौर ऊर्जा संयंत्र- छत सौर संयंत्रों के अलावा दिल्ली सरकार दिल्ली के बाहर उपयोगिता पैमाने के सौर ऊर्जा संयंत्रों से सौर ऊर्जा खरीद को भी बढ़ावा देगी। दिल्ली भारत के पहले राज्यों में से एक है, जो आरई-आरटीसी (नवीकरणीय ऊर्जा – चौबीस घंटे) बिजली के लिए निविदा में भाग लेता है- एक नया मॉडल, जो चौबीस घंटे बिजली प्रदान करने के लिए बहुत कम कीमतों पर सौर, पवन और बैटरी को जोड़ता है। अब तक 1250 मेगावाट पहले ही निविदा चरण में है।
  • दिल्ली के बिजली मंत्री के नेतृत्व में एक शीर्ष समिति का गठन किया जाएगा, जो तिमाही आधार पर या जितनी बार जरूरी हो, नीति कार्यान्वयन की प्रगति की निगरानी करेगी।
  • दिल्ली सौर नीति 2024 के दैनिक कार्यान्वयन को सरल बनाने, समन्वय करने और उसकी निगरानी करने के लिए जीएनसीटीडी के बिजली विभाग में एक समर्पित श्दिल्ली सौर प्रकोष्ठश् का गठन किया जाएगा।
  • यह नीति पिछले डेढ़ साल में उद्योग, उपभोक्ताओं, सरकारी संस्थाओं, वित्तीय संस्थानों और स्वच्छ ऊर्जा थिंक टैंकों के साथ व्यापक हितधारक परामर्श के बाद विकसित की गई थी। दिल्ली सौर नीति 2024 के परामर्श और प्रारूपण का नेतृत्व दिल्ली सरकार के बिजली विभाग सहयोग से दिल्ली डायलॉग एंड डेवलपमेंट आयोग (डीडीडीसी) ने किया।
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