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मेयर प्रीति अग्रवाल को तुंरत पद से हटाया जाए, दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी दिल्ली की जनता से मांगें माफ़ी

उत्तरी दिल्ली नगर निगम की मेयर प्रीति अग्रवाल पर टेंडर प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के जो आरोप आम आदमी पार्टी ने कुछ दिन पहले लगाए थे उन्हीं आरोपों का संज्ञान आज दो समाचार पत्रों ने भी लिया है जिसके तहत मेल टुडे ने तो उसे प्रमुखता से पहले और दूसरे पन्ने पर पूरी जगह दी है।

पार्टी कार्यालय में आयोजित हुई प्रैस कॉंफ्रेंस में बोलते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता एंव राष्ट्रीय प्रवक्ता दिलीप पांडे ने कहा कि ‘आम आदमी पार्टी ने कुछ दिन पहले प्रेस कॉंफ्रेंस में बताया था कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम की मेयर प्रीति अग्रवाल ने निगम के एक टेंडर प्रोसेस को प्रभावित करने की कोशिश की है। अब देश के दो प्रतिष्ठित अख़बारों ने इस ख़बर को प्रमुखता से छापा है और दिल्ली नगर निगम में भाजपा की असलियत को समाने रख है। भारतीय जनता पार्टी और उनके दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा था कि इस बार निगम में नए चेहरे- नई उड़ान की बात कही थी लेकिन वो उड़ान भ्रष्टाचार के नए कीर्तिमान बनाएगी ये तो आम आदमी पार्टी पहले दिन से कह रही थी और अब ये उजागर भी होने लगा है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये वही मेयर साहिबा हैं जिनके पास अपने कर्मचारियों को सैलरी देने के पैसे नहीं हैं बावजूद इसके वो 5 सितारा होटल में पार्टी करती हैं। ये वही मेयर साहिबा हैं जब बवाना आग के दौरान इन्होंने अपनी ग़लती को कैमरे पर स्वीकार कर लिया था, हालांकि वो यह स्वीकार्यता चुपके से कर रही थीं लेकिन ऐसा करते हुए वो कैमरे में क़ैद हो गईं थी।

अब सुप्रीम कोर्ट के एक वकील की शिकायत पर उपराज्यपाल महोदय ने इस मामले में विजिलेंस जांच के आदेश दिए हैं। मेयर साहिबा ने सिस्टम को अपने तरीक़े से मरोड़ने की कोशिश की और इन्होंने नवंबर में टेंडर प्रोसेस में दखल दिया, टेंडर प्रक्रिया की मीटिंग में ज़बरदस्ती घुसकर बैठक को अस्त-व्यस्त करती हैं और नियम-कानूनों को ताक़ पर रखते हुए इस टेंडर के कागज़ अपने पास मंगवाए जो पूरी तरह से ग़ैर-संवैधानिक था, ज़ाहिर है कि इसके पीछे मंशा भ्रष्टाचार को अंजाम देने की थी लिहाज़ा उन्होंने नियम-कानूनों को ताक पर रखा।

मेयर साहिबा पर एडिश्नल कमिश्नर ने भी आरोप लगाए, उसके बाद उन अफ़सर को अपने पास बुलाकर मेयर साहिबा द्वारा लज्जित किया जाता है और उन्हें दिल्ली सरकार में भेज दिया जाता है। पूरे टेंडर में मेयर साहिबा पर 10% कमीशन लेने का आरोप लगा। जब तक मेयर साहिबा को उनके कमीशन का पैसा नहीं मिला उन्होंने टेंडर प्रक्रिया को रोककर रखा। मेयर साहिबा ने दवाओं में कमीशन लिया। और यहां तक कि जितने भी टेंडर उत्तरी नगर निगम में होते हैं उसमें मेयर साहिबा का अपना एक कमीशन फ़िक्स है और जब तक मेयर साहिबा को उनका कमीशन नहीं मिल जाता तब तक वो फ़ाइल को अपने पास रोक कर रखती हैं। इसके अलावा पूसा रोड़-करोल बाग में एक व्यवसायिक इमारत के निर्माण में मेयर प्रीति अग्रवाल सक्रिय तौर पर जुड़ी हैं, इसका मतलब क्या हो सकता है वो एक साधारण इंसान आसानी से समझ सकता है।

दिलीप पांडे ने कहा कि ‘अब यह कैसे संभव है कि निगम के अंदर आने वाला विजिलेंस ही उनके खिलाफ जांच करे। जो विजिलेंस कमिश्नर सीधा मेयर साहिबा के आधीन काम करता है, वो अफ़सर कैसे इनके ख़िलाफ़ एक स्वतंत्र जांच कर सकता है? आम आदमी पार्टी की मांग है कि इस मुद्दे पर एक स्वतंत्र जांच कराई जाए और मेयर साहिबा को उनके पद से तुरंत हटाया जाए।

ऐसी परिस्थियों में तीन तरह के विकल्प निगम में मौजूद भारतीय जनता पार्टी के पास मौजूद है-

 

  1. या तो मनोज तिवारी अब मेयर प्रीति अग्रवाल का इस्तीफा लें ताकि स्वतंत्र जांच हो सके।

 

  1. या इस मुद्दे की जांच सीबीआई को दी जाए।

 

  1. या फिर मनोज तिवारी अपनी असफलता और एमसी़डी में किए जा रहे भ्रष्टाचार के लिए दिल्ली की जनता से माफी मांगें।

 

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sudhir