
Press Release/ 23-10-2017
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एंव राष्ट्रीय प्रवक्ता आशुतोष ने प्रेस कॉंफ्रेंस को सम्बोधित करते हुए कहा कि ‘आखिर क्यों सीबीआई को तोता कहा जाता है और कैसे सरकार में बैठे लोग सीबीआई का दुरुपयोग करते हैं उसका एक और प्रमाण तब देखने को मिला जब नियुक्तियों से जुड़ी केंद्रीय मंत्रिमंडल की समिति ने एक ऐसे अफ़सर को सीबीआई का विशेष आयुक्त नियुक्त कर दिया जिसकी विश्वसनीयता ही संदेह के घेरे में है। सीवीसी ने राकेश अस्थाना नामक अफ़सर की सीबीआई में पदोन्नत्ति के खिलाफ़ प्रतिकूल रिपोर्ट दी थी लेकिन बावजूद इसके मोदी सरकार ने राकेश अस्थाना को प्रमोट करके सीबीआई में विशेष आयुक्त बना दिया।
- यह बहुत ही चौंकाने वाला है कि नियुक्तियों से सम्बंधित मंत्रिमंडल समिति ने रविवार रात सीबीआई के विशेष निदेशक के रूप में संदिग्ध छवि वाले व्यक्ति को नियुक्त किया है।
- केंद्र सरकार का यह फ़ैसला सीवीसी अधिनियम और सर्वोच्च न्यायालय के एतिहासिक विनीत नारायण के फैसले के खिलाफ़ है
- सीवीसी अधिनियम यह स्पष्ट रूप से बताता है कि सीबीआई में इंस्पेक्टर रैंक और उसके ऊपर के हर रैंक की नियुक्ति के लिए सीवीसी की मंजूरी ज़रुरी होती है।
- मोदी सरकार की ऐसी क्या मजबूरी थी कि एक व्यक्ति की नियुक्ति के लिए सीवीसी द्वारा उसके ख़िलाफ़ दी गई प्रतिकूल रिपोर्ट को नज़रअंदाज किया गया और इसके बावजूद उस अफ़सर को नियुक्त किया गया?
- मोदी सरकार सीबीआई को एक बंदी तोते से एक पालतू कुत्ते में बदलने की कोशिश कर रही है।
- क्या मोदी सरकार इस बात से इनकार कर सकती है कि सीवीसी ने श्री अस्थाना की पदोन्नति को इसी बात के आधार पर ही खारिज किया था कि उनका हाल ही में सीबीआई द्वारा हाल ही में दर्ज़ की गई FIR में जब्त एक डायरी में उनका नाम भ्रष्टाचार के मामले में सामने आया था, यह डायरी साल 2011 से सम्बंधित है?
- क्या यह सच नहीं है कि 30 अगस्त को सीबीआई की दिल्ली यूनिट ने गुजरात की स्टर्लिंग बायोटेक और सैंडेसारा ग्रुप ऑफ कंपनीज़ से रिश्वत लेने के लिए तीन वरिष्ठ आयकर आयुक्तों के खिलाफ विस्तृत प्राथमिकी दर्ज की थी?
- यह एफआईआर कहती है कि एक कंपनी पर छापे के दौरान मिली एक “डायरी 2011” मौजूद थी। इस डायरी में आरोपी आयकर आयुक्तों को दिए गए मासिक भुगतान का विवरण रहा जिसमें गुजरात और दिल्ली के कई पुलिस अधिकारियों और राजनेता भी शामिल थे। यह पता चला है कि डायरी में राकेश अस्थाना का नाम भी था। क्या मोदी सरकार इस बात से इनकार कर सकती है?
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