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*संत श्री गोपालदास जी के लापता होने के पीछे मोदी जी का हाथ है : सोमनाथ भारती*

खुद को गंगा माँ, और गऊ माता का हितेषी कहने वाले मोदी जी ने केवल और केवल सबके साथ छलावा किया है। इससे से भी बड़ी बात ये है कि आज मोदी जी, गंगा माँ की रक्षा के लिए अपनी जान की बाज़ी लगाने वाले संत गोपाल दास जी की जान के दुश्मन बन गए हैं।

उत्तराखंड में माँ गंगा की सफाई को लेकर एक लम्बे समय से आन्दोलन कर रहे संत गोपाल दस जी को नवंबर 2011 में दिल्ली के AIIMS अस्पताल लाया गया, और 4 दिसम्बर 2018 को अचानक उन्हें अस्पताल से गायब कर दिया गया। आज तक किसी को नहीं मालूम की वो कहाँ चले गए। इसी मुद्दे को लेकर मैंने और मेरे साथ गोपालदास जी के पिताजी और उनके कुछ जानकारों ने AIIMS के मेडिकल सुपरिटेंडेंट से मुलाकात की। जब हमने दवाब बनाया तो हमें बताया गया की उन्हें देहरादून छोड़ आए हैं। एक बात समझ से परे है कि, आज से पहले कभी नहीं हुआ होगा की किसी बीमार को सही करके अस्पताल उसे गाडी करके इतनी डोर छोड़कर आता हो।

AIIMS अस्पताल के सुपरिटेंडेंट ने ये भी कहा कि हमें पता चला है कि हमारे छोड़ने के बाद वो दून अस्पताल चले गए थे, और वहां से लापता हो गए। ये बड़ा ही हास्यास्पद है की देश के सबसे बड़े अस्पताल से ठीक होकर एक व्यक्ति राज्य के छोटे से अस्पताल जा रहा है। राज्य में भी भाजपा की सरकार है, केंद्र में भी भाजपा की सरकार है, AIIMS अस्पताल भी भाजपा का और पुलिस भी भाजपा की ही है, किसी की तो जिम्मेदारी तय करनी पड़ेगी। मोदी जी को बताना पड़ेगा की माँ गंगा के नाम पर ड्रामा क्यों कर रहे हैं, और माँ गंगा का सच्चा सुपुत्र गोपालदास को ढूढने का काम किसका है। क्यों मोदी जी गोपालदास जी के जान के दुसमन बन गए हैं।

*मोदी जी इस देश के प्रधानमंत्री हैं, और इस देश में अगर एक संत के साथ इतना बड़ा हादसा हो गया है, मोदी जी ने क्या संज्ञान लिया : गोपालदास जी के पिता*

मेरा बेटे भगवानदास किसी भी चीज़ का लालची नहीं था। उन्होंने कहा कि मुझे मजबूरी में आज मीडिया के सामने आना पड़ा है। AIIMS के सुपरिटेंडेंट ने कहा की वो अपनी मर्ज़ी से यहाँ से गए हैं। अगर कोई अपनी मर्ज़ी से जाता है तो उनके साथ अस्पताल के 4-5 लोगो को भेजने की क्या ज़रूरत थी। अगर उनके साथ 4-5 लोग भेजे गए हैं तो इसका मतलब उन्हें ज़बरदस्ती लेजाया गया है।

गंगा का की सफाई का मुद्दा बड़ा ही संवेदनशील है। इस मुद्दे पर कई लोगो ने अपने प्राणों की आहूति दी है। सबसे पहले स्वामी सन 2011 में संत निगमा नन्द जी ने अपने प्राणों की आहुति दे दी, उसके बाद बाबा नागपाल जी ने गंगा की रक्षा अपने प्राणों की आहूति दी, और फिर 2018 में प्रोफेसर जी.डी. अग्रवाल जी ने भी गंगा की रक्षा के लिए अपने प्राण त्याग दिए, और जाते जाते अग्रवाल जी ने मोदी जी के मुहं पर जो शब्दों का तमाचा मारा था, उसे ये देश कभी भुला नहीं सकता। उन्होंने कहा था कि “माई से कमाई” करना चाहते हैं मोदी जी। परन्तु शर्म की बात ये है कि इसके बावजूद भी मोदी जी के मन में गंगा मैया के लिए जो भाव पैदा होना चाहिये था वो नहीं हुआ।

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sudhir