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आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एंव लेखक श्री दिलीप पांडे की कलम से ….

पेट्रोल-डीजल में आग लगी है। ये आग केंद्र में बैठी सरकार की लगाई हुई है और इसमें जल रहा है आम आदमी का सुख चैन। लेकिन जनता के इस दुख से मोदी सरकार की बाछें खिली हुई हैं। इस खुशी में मोदी सरकार के नवरत्न नेताओं के मुख से ऐसे ऐसे बोल फूट रहे हैं कि क्या कहें! मोदी जी के पर्यटन मंत्री के.जे. अल्फ़ोंस का कहना है कि पेट्रोल खरीदने वाले भूखे नहीं मर रहे, सरकार ने सोच समझकर टैक्स लगाया है। यानी आपने अपने खून पसीने की कमाई से यदि स्कूटर भी खरीद लिया तो इस सरकार ने आपकी गाढ़ी कमाई को टैक्स लगाकर चूस निकालने की सुपारी ले रखी है। आकाश छोटा पड़ जाए ऐसे अहंकार के सामने। देश के ‘मामूली से नेता’ से पेट्रोलियम मंत्री बने धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि विकसित देशों में पेट्रोल की कीमत और ज्यादा है। ऐसा कहने में परिधान सेवक के प्रधान जी भूल गए कि भारत अभी भी विकासशील देश बनने की होड़ में है, विकसित देशों में गिनती तो दूर की बात है। और जिन देशों की बात कर रहें हैं प्रधान जी, उन देशों की प्रति व्यक्ति आय, और वहां के सामाजिक स्तर का सामान्य ज्ञान प्राप्त करें अपने मन वमन के पहले। प्रधान जी! क्या आपको बिल्कुल भी आईडिया नही है कि वे देश विकसित क्यों कहे जाते हैं? सुनकर गुस्सा आता है, लेकिन सत्ता के मुंह मे नाखून नहीं उगते, अगर सही वक्त पर उन्हें रोका जाता। ये कोई पहली बार नहीं जब मोदी या मोदी के विधायक, सांसद और मंत्रियों के बोल बिगड़े हैं। इससे पहले भी कई मौके आये, जब जनता के दर्द को कुरेद कर मोदी सरकार ने जमकर खिल्ली उड़ाई।

मोदी सरकार के कार्यकाल को अभी 3 साल हुए हैं और इन तीन सालों में मानो इसकी उम्र ढलने लगी है। झूठी बातों और फौरी दलीलों को छोड़ दें, तो वो एक वादा नहीं जिसपर ये सरकार खरी उतरी हो। कांग्रेस के शासनकाल मे हर पेट्रोल मूल्य वृद्धि पर छाती पीट पीट कर सरकार कोसने वाले भाजपा के नेता आज कल पेट्रोल मूल्य वृद्धि से होने वाले फ़ायदे की रहस्यमयी किताब पढ़ कर ज्ञान बांच रहे हैं।

देश ने क्या क्या नहीं देखा, क्या क्या नहीं खोया इन तीन सालों में। बरसों से जिस देश ने गंगा जमुनी संस्कृति में सांसे ली थीं, वो खौफ और नफ़रत के साये में पल रहा है। जहां की ज़मीन सोना उगलती थी, वहां का मालिक किसान तंगहाली में जान दे रहा है। जिस गौ को सब माता कहते थे, उसकी भी ममता बांटकर एक दूसरे के खून के प्यासे बना दिए। मोदी सरकार ने जनता को सत्ता के पहले दिन से ही मूर्ख बनाया है। सत्ता में आने से पहले के सब वादे ऐसे बड़े धोखे थे, जिन्होंने भोली भाली जनता को झांसे में ले लिया। लोकतंत्र को चलता ही भरोसे और विश्वास पर है, वही जनता ने किया। लेकिन बदले में उसकी पीठ पर छूरा घोंप दिया गया। एक के बाद एक तुगलकी फरमान, असंवेदनशील बयान और जनता को ठगने वाले फ़ैसलों की बयार है मोदी सरकार।

नोटबंदी का फैसला लेते वक्त एक पल के लिए भी नहीं सोचा गया कि लंबी लंबी लाइनों में लगा गरीब दिहाड़ी मजदूर रात को खाली हाथ घर जाएगा तो परिवार को क्या खिलायेगा। 200 मौतों के बाद भी नोटबंदी के नाम पर सीना ठोकने वाली सरकार के मुँह से मरने वालों के लिए दो अफसोस के शब्द नहीं निकले। हद तो तब हो गई, जब प्रधानमंत्री भाषण देते वक्त नोटबंदी में पिसने वाले मज़बूर आम आदमी पर दांत निपोर कर हंस दिए।

किसानों पर भारी ऋण लगाने वाली मोदी सरकार के सांसद गोपाल शेट्टी कहते हैं कि किसानों की आत्महत्या फैशन बन गया है। शेट्टी उस मध्य प्रदेश में ये बात कह रहे थे, जहां किसान आत्महत्या की दर रिकॉर्ड स्तर पर है। इस सरकार के राज में तो सबसे सुरक्षित साधन भी सुरक्षित न रहे। रेल आये दिन पटरियों से उतर रही है और साथ मे उतर रही देश को बुलेट ट्रेन का स्वप्न बेचने वाली सरकार की इज़्ज़त। सैकड़ो जानें जा रही हैं और तब भी कोई जवाबदेही लेने को तैयार नहीं। बुलेट ट्रेन की बातें कहते अभी भी प्रधानमंत्री से लेकर छुटभैया नेता की ज़ुबान लड़खड़ाती नहीं है।

अस्पताल, जहां जाने बचाई जाती रहीं है, वहां मौत का तांडव हो रहा है। यूपी के अस्पताल में जब मासूम दम तोड़ रहे थे, यूपी के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह मीडिया से कहते पाए गए कि अगस्त के महीने में तो बच्चे मरते हैं। खुद यूपी के मुख्यमंत्री तो मरने वाले बच्चों के माता पिता पर तंज कसने से बाज नही आये। योगी की खीज ही थी, जो कहलवा गई कि जनता का वश चले तो अपने बच्चों को सरकार से पलवा ले। लेकिन योगी भूल नहीं रहे कि जनता के पैसों पर सत्ता पल रही है न कि जनता सत्ता के पैसों पर।

ये सत्ता का कैसा गुरुर है, जो इंसान को इंसान नहीं मानने दे रहा? बच्चे, बूढ़े, जवान, किसानों की मौत पर कैसा निर्लज्ज जश्न मना रही है सरकार? आज प्रधानमंत्री जी का जन्मदिवस है, हार्दिक बधाई के साथ निवेदन करना चाहूंगा कि मत तोड़िये देश के आम आदमी की उम्मीदों को। आपके तुगलकी फैसलों की वजह से वैसे ही जनता की कमर टूटी हुई है। पेट्रोल मूल्य वृद्धि को वापस लेने का तोहफ़ा दे दीजिए देश को। मोदी जी! आपके पर्यटन मंत्री के बयान से साबित हो गया है कि पेट्रोल मूल्य वृद्धि आपकी सरकार का, इस देश की जनता के हितों के खिलाफ, एक सोचा समझा फैसला है। इसे वापस ले लीजिए, आपके जन्मदिवस पर देशवासियों की दुआएं लगेंगी आपको।

बहरहाल, जनता ने पूछना शुरू कर दिया है कि प्रधान सेवक जी! हमारा क़सूर क्या है?आखिर प्रचंड बहुमत के बदले जनता को क्या दे रही है आपकी सरकार? सवाल ही सवाल हैं, लेकिन केंद्र सरकार के पास जवाब कोई नहीं है।

दिलीप पांडे

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