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Press Release/AAP/MCD/15Feb2018

निगम अफ़सर ने कमिश्नर को लिखित में की थी मेयर के भ्रष्टाचार की शिकायत

 दिल्ली में बीजेपी की मेयर प्रीति अग्रवाल के भ्रष्टाचार से जुड़े कुछ अहम दस्तावेज़ और सुबूत सामने आए हैं। उम्मीद है कि इतने बड़े सुबूत सामने आने के बाद बीजेपी उनके ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई करेगी।

ज़ाहिर है कि मोदी राज में घोटालेबाजों की जमकर मौज चल रही है। ‘ना खाऊंगा ना खाने दूंगा’ का नारा देने वाले मोदी जी के राज में एक के बाद एक घोटाले हो रहे हैं। इससे स्पष्ट हो जाता है कि भाजपा खुद तो भ्रष्टाचार में डूबी है और भ्रष्टाचारियों को भी अपनी शह पर देश के मेहनतकश आम लोगों का पैसा जमकर लूटने की छूट दे दी है। एक तरफ़ जहां पीएनबी बैंक में हुए 11 हजार करोड़ के घोटाले से देश पीड़ित है, तो दूसरी तरफ मोदी जी मौन हैं। विजय माल्या हज़ारों करोड़ का लोन लेकर भाग जाते हैं तो भी बीजेपी मौन रहती है। अब बीजेपी की मेयर के ख़िलाफ़ पुख्ता सुबूत मिले हैं जो उन्हें भ्रष्ट साबित करने के लिए काफ़ी हैं।

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिलीप पांडे ने पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय में प्रेस कॉंफ्रेंस को सम्बोधित करते हुए कहा कि ‘उत्तरी दिल्ली नगर निगम की मेयर प्रीति अग्रवाल के खिलाफ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, आपको बता दें कि निगम के एक बड़े अधिकारी ने अपने ख़त के जरिए निगम के कमिश्नर को मेयर प्रीति अग्रवाल की शिकायत की थी कि जब एक टेंडर प्रक्रिया में बोली लगाने वाली कम्पनियों की स्क्रूटनी चल रही थी तो मेयर साहिबा ज़बरदस्ती उस कमरे में दाखिल हो जाती हैं, जिसमें वो सरकारी काम चल रहा था।‘

जिस कमरे में टेंडर से जुड़ा वो सरकारी काम चल रहा था, वहां क्या बातचीत हुई थी, उस अफ़सर ने अपनी चिठ्ठी में लिखा है-

मेयर- क्या हो रहा है यहां

अफ़सर- हम यहां पर बिड कर रहे हैं

मेयर- ये बॉक्स यहां क्यों रखे गए हैं

अफ़सर- इसमें सभी टेंडर की एप्लीकेशन हैं

मेयर- इसमें कितना वक्त लगेगा

अफ़सर- तकरीबन 3 से 4 घंटे का वक्त लगेगा

मेयर- इसके सारे कागज़ मेरे कमरे में लेकर आइए

अधिकारी- मैं ऐसा नहीं कर सकता

मेयर- मैंने कहा कि ये मेरे कमरे में लेकर आइए

अफ़सर- ये कागज़ मैं कमिश्नर को ही दूंगा

मेयर- मैं फिर कहती हूं कि, ये मेरे कमरे लेकर आइए

अफ़सर- मैं ऐसा नहीं करूंगा, मेरी ड्यूटी नहीं है आपको ये कागज़ दिखाना

‘ग़जब की बात तो यह है कि जब मेयर साहिबा कमरे में आती हैं तो उनके साथ उस कम्पनी के लोग भी मौजूद होते हैं जिस कम्पनी ने उसी टेंडर के लिए एप्लाइ किया हुआ था जिस टेंडर की छंटनी का काम वहां चल रहा था।‘

अफ़सर ने अपने ख़त में इस मामले की शिकायत करते हुए लिखा है कि मेयर द्वारा ऐसा करना पूरी तरह से ग़लत है, अवैध है, अनियमित है और किसी भी सूरत में न्यासंगत नहीं है

अब ये कागज़ पूरी तरह से साबित कर रहे हैं कि मेयर साहिबा जिस कम्पनी के लोगों को उस कमरे में लेकर घुसी थीं दरअसल मेयर उसी कम्पनी को वो काम दिलाना चाहती थीं जिसकी एवज में शायद उनको कमिशन मिलने वाला था।‘

हम अब उत्तरी नगर निगम की मेयर प्रीति अग्रवाल का इस्तीफा नहीं मांग रहे बल्कि सीधे बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं।

इन्हीं मेयर साहिबा पर पहले इन्हीं अफ़सर ने शिक्षा विभाग में ट्रांसपोर्ट-पोस्टिंग को लेकर दबाव बनाने का आरोप लगाया है, इसके साथ ही इसी अफ़सर पर मेयर साहिबा द्वारा अपने निजी घर पर सरकारी पैसे से 5 लाख रुपए का एक डिनर आयोजित करने का दबाव बनाया गया था जिसे इन अफ़सर ने नकार दिया था। इतना ही नहीं इस अधिकारी को बाद में कमरे में बुलाकर जलील किया गया। क्या ये सभी सबूत मेयर के ख़िलाफ़ एक्शन लेने के लिए काफ़ी नहीं है?

मीडिया के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी से आम आदमी पार्टी कुछ गंभीर सवाल पूछना चाहती है-

सवाल- किसी ख़ास कम्पनी को फ़ायदा पहुंचाने के लिए मेयर साहिबा के ख़िलाफ एफ़आईआर दर्ज़ होनी चाहिए

सवाल – यह साक्ष्य इस बात के लिए पर्याप्त नहीं है कि भाजपा अपनी मेयर को बर्खास्त करके उनके ख़िलाफ़ सीबीआई जांच कराए?

सवाल – क्या अतीत में कभी ऐसा हुआ है कि किसी करोड़ों रुपए के टेंडर में इस तरह से किसी चुने हुए प्रतिनिधि द्वारा हस्तक्षेप किया गया हो तो अगर हां तो बताएं कि कब और कैसे, एंव उनके ख़िलाफ़ की गई कार्रवाई भी बताएं?

सवाल – क्या भाजपा इस बात से इनकार करेगी कि मेयर प्रीति अग्रवाल निगम में ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए दबाव बनाती रही हैं?

सवाल – क्या भाजपा इस बात से भी इंकार कर सकती है कि मेयर साहिबा ने सरकारी पैसे से एक आलीशान डिनर आयोजित किया था?

सवाल- क्या मेयर साहिबा ने उन अधिकारियों को निगम के अहम पदों पर वापस बुला लिया जिन अधिकारियों पर अवैध होर्डिंग और दूसरे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं।

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sudhir