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AAP के राघव चड्ढा ने दक्षिणी दिल्ली संसदीय क्षेत्र से अपना नामांकन दाखिल किया
दक्षिणी दिल्ली लोक सभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार राघव चड्ढा ने राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता की मौजूदगी में साकेत स्थित जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय में आगामी संसदीय चुनाव 2019 के लिए अपना नामांकन दाखिल किया। उनके साथ उनकी माता जी श्रीमती अलका चड्ढा भी थीं।
इस मौक़े पर उन्होंने कहा, “मैं ऊपर वाले से प्रार्थना करता हूँ कि वे मुझ पर अपनी कृपा बनाए रखें और शक्ति प्रदान करें कि मैं ईमानदारी की राह पर चल के दक्षिणी दिल्ली के भाजपा के गुंडे नेताओं को हरा सकूँ ।आशा करता हूँ कि अरविन्द केजरीवाल जी ने जिस उम्मीद और विश्वास के साथ मुझे दक्षिणी दिल्ली की जनता की सेवा करने के लिए मैदान में उतारा है, उन पर खरा उतर सकूँ।”
“इस बार का चुनाव भाजपाई गुंडागर्दी बनाम जनता का चुनाव है।इस बार जनता चुनाव लड़ रही है और जनता चुनाव जीतेगी भी। मैं तो बस जनता का एक नुमाइंदा हूँ।मैं एक साधारण सा व्यक्ति हूँ राजनीति में मुझे इतना अनुभव नहीं है।”
“मुझे एक साल पहले दक्षिणी दिल्ली का औपचारिक प्रभार सौंपा गया था, तब से क्षेत्र के हर गॉव, गली और चुके जा चुका हूँ। अपने एक साल के अनुभव से मैं यह कहना चाहूंगा कि जनता दक्षिणी दिल्ली में गुंडागर्दी और भय की राजनीति से परेशान हो चुकी है और चाहती है कि इस बार सभ्य ईमानदार और पढ़े लिखे युवा लोग राजनीति में आगे आएँ और उन्हें संसद तक पहुँचाएगी।मुझे विश्वास है कि जनता आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी को जिताकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के हाथ मज़बूत करेगी और गुंडागर्दी पर पूर्ण विराम लगाएगी।”
*परिचय*
राघव चड्ढा आम आदमी पार्टी के ही नहीं बल्कि पूरी भारतीय राजनीति में युवा नेताओं की सूचि में एक महत्वपूर्ण चेहरा रहे हैं। वे 2011 में 23 साल की उम्र में इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन में शामिल हुए और आम आदमी पार्टी की स्थापना से जुड़े हुए | भारतीय राजनीति में आज भी राघव जैसे शिक्षित और समर्थ युवा व्यक्ति मिलना मुश्किल हैं, जो राजनीतिक परिवर्तन के माध्यम से देश की सेवा के लिए सांसारिक आकर्षण से परे जीवन समर्पित करते है|
आम आदमी पार्टी में राघव चड्ढा की यात्रा 2011 में जमीनी स्तर पर विशेषज्ञों और शिक्षाविदों के साथ काम करके दिल्ली चुनाव के लिए AAP का घोषणापत्र तैयार करने से हुयी। यह बदलाव का वक़्त था जब अखबार और न्यूज़ रूम में केवल लोगों और घोटालों के बजाय नीतियों और शासन पर चर्चा करने के लिए मजबूर हो गए थे| आखिरकार एक चुनाव विकास की तख्ती पर लड़ा जा रहा था, न कि पहचान की राजनीति पर।
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर राघव ने अपने विनम्र स्वभाव, अच्छी समझ और तार्किक वाणी से अच्छे-अच्छों को धराशाई किया है। टीवी पर चीख़ने-चिल्लाने की इस दौड़ में श्री राघव चड्ढ़ा को आपने अक्सर अपने तर्कपूर्ण जवाबों से विरोधियों की बोलती बंद करते हुए देखा होगा। जब AAP को अभूतपूर्व बहुमत से दिल्लीवालों ने चुना, तो CA की डिग्री और एक आकर्षक करियर के बावजूद वे राजनीतिक क्रांति में वापस जाने के लिए बहुत निहित थे। वापिस आने पर एक कार्यकर्ता से पूर्णकालिक पार्टी सदस्य के रूप में उनका संक्रमण शुरू हुआ। उन्होंने दिल्ली सरकार के बजट के मसौदा तैयार करने में वित्त मंत्री के साथ सलाहकार के रूप में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा पर बल दिया। इन सेवाओं की पेशकश के लिए वेतन के रूप में प्रति माह 1 रूपया लिया| उन्होंने ढाई महीने की पूर्ण राशि रु 2.5 को MHA को वापस लौटा दी, जब दिल्ली सरकार के कई सलाहकारों की पूर्वव्यापी बर्खास्त कर दिया गया।
26 साल की उम्र में उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया जो आम आदमी पार्टी में एक बड़ी जिम्मेदारी है, जहाँ हर उदार दाता से प्राप्त हर एक पैसे की पारदर्शिता और जवाबदेही की जाती है। यह एक चुनौती बतौर थी जिसमे केंद्र की राजनीति तहत उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई, चुनाव आयोग से नोटिस का जवाब देने के लिए निरंतर काम किया|
इसके तुरंत बाद जब AAP को असंख्य कानूनी मामलों के जाल में उलझा दिया गया तो राघव को कानूनी टीम का नेतृत्व करने के लिए बुलाया गया। नेताओं, विधायकों, पार्टी या बड़े पैमाने पर अभियोगों के खिलाफ गढ़े हुए मामलों में राघव ने आम आदमी पार्टी को जीत दिलाकर अपनी काबिलियत साबित की । राघव चड्ढा आप के हर संकट के केंद्र में भरोसेमंद नौजवान सिद्ध हुए है।
राघव चड्ढा अब अपने राजनीतिक पदार्पण के लिए तैयार हैं| आम आदमी पार्टी ने उन्हें आगामी लोक सभा चुनाव 2019 के लिए दक्षिण दिल्ली के लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की जिम्मेदारी दी है। इसके साथ ही आम आदमी पार्टी ने दक्षिण दिल्ली के लोगों को बाहुबल और धन बल की राजनीति को जड़ से उखाड़ फेंकने करने का एक अवसर प्रदान किया है जो अब तक दक्षिण दिल्ली के विकास को पूरी तरह से बाधित कर रही थी। राघव चड्ढा वह उम्मीदवार हैं जिसका दक्षिण दिल्ली वास्तव में हकदार हैं: एक बेहद शिक्षित युवा और झुझारू नेता जो निस्वार्थ प्रतिबद्धता के साथ सेवा करता है। राघव चड्ढा का एक गैर राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखना और बिना किसी राजनीतिक गॉडफादर के इस स्तर तक पहुँचना; योग्यता के लिए पार्टी की प्रतिबद्धता का एक वसीयतनामा है।
लगभग 8 साल पहले, जब राघव 22 साल की उम्र में भारत के सबसे कम उम्र के चार्टर्ड अकाउंटेंट में से एक बन गए, वे ये कल्पना भी नहीं कर सकते थे की वे महज़ 30 वर्ष की आयु में इतने बड़े स्तर पर चुनाव लड़ेंगे| उन्होंने अपनी विदेश में आरामदायक जीवन को त्याग कर, देश की राजनीती में घुसके लोगो के जीवन को सुधरने का निर्णय लिया, और अब इतने संघर्ष के बाद वे जनता की सेवा में इस नयी चुनौती के लिए तैयार हैं|

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sudhir