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BJP शासित MCD के पास कूड़े के निस्तारण को लेकर कोई ठोस योजना दरअसल है ही नहीं। दिल्ली में सिर्फ़ चार लैंडफ़िल साइट हैं जिसमें से सिर्फ़ तीन में कूड़ा डाला जा रहा था, और ये साइट्स भी तय मानकों से कहीं ज्यादा उंचाई पर पहुंच चुकी हैं। नई लैंडफ़िल साइट्स को लेकर डीडीए और एमसीडी के बीच कोई आधिकारिक बैठक तक नहीं हुई है और यही इनके ग़ैरज़िम्मेदाना रवैय्ये को दर्शाता है। कूड़े के निस्तारण में अगर एमसीडी को किसी भी प्रकार की विशेषज्ञता की आवश्यकता हो तो दिल्ली सरकार की सहायता ले सकती है।

पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रैस कॉंफ्रेंस में पत्रकारों से बात करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिलीप पांडे ने कहा कि ‘BJP शासित एमसीडी के पास दरअसल सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का कोई प्लान ही नहीं है। दिल्ली में सिर्फ़ तीन लैंडफ़िल साइट्स से ही एमसीडी काम चला रही थी जो तय मानकों से कहीं ज्यादा उंचाई पर हैं जिसकी वजह से गाज़ीपुर जैसा हादसा भी पेश आया।

इस समस्या को लेकर दिल्ली के बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी दिल्ली के मुख्यमंत्री से मिलने का वक्त मांग रहे हैं लेकिन हमारी समझ में ये नहीं आता कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं? सच्चाई यह है कि इसमें दिल्ली सरकार का कोई किरदार है ही नहीं। नई लैंडफ़िल साइट्स के लिए बीजेपी शासित डीडीए को ज़मीन अलॉट करनी है और साइट्स का निर्माण बीजेपी शासित एमसीडी को कराना है। और बीजेपी की गंभीरता का पता यहीं से चल जाता है कि डीडीए और एमसीडी की इस सम्बंध में आज तक कोई औपचारिक बैठक ही नहीं हुई है। पहले बीजेपी शासित ये दोनो एजेंसियां आपस में बैठक करके नई लैंडफ़िल साइट्स का चुनाव तो कर लें उसके बाद चाहें तो वो दिल्ली सरकार की विशेषज्ञता का फ़ायदा उठा सकते हैं।

 

दिल्ली सरकार के पास दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी (DPCC) है जो दिल्ली में बेहतर कचरा प्रबंधन में एमसीडी की सहायता करने के लिए तैयार है। हमारी बीजेपी शासित एमसीडी को सलाह है कि बेहतर कचरा प्रबंधन के लिए वो निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं-

 

  1. स्कूल, यूनिवर्सिटी और होटल में छोटे-छोटे कॉम्पोस्टिंग प्लांट बनाए जा सकते हैं ताकि वहां जो कचरा इकठ्ठा हो उसे वहीं रीसाइकिल किया जा सके।
  2. अलग-अलग रंग के कूड़ेदान को स्थापित करके लोगों को जागरुक किया जाए ताकि कूड़े को निचले स्तर पर ही पृथक किया जा सके और उसके निस्तारण में दिक्कत ना हो।
  3. कचरे के निस्तारण को लेकर एक विकेंद्रीकरण की योजना वार्ड,ज़ोन और ज़िला स्तर पर बनाई जानी चाहिए जिसमें कचरे को उसी स्तर पर ही ट्रीट किया जा सके। उसी स्तर पर ही कूड़े को इकठ्ठा करने की छोटी-छोटी लोकेशन बनाई जानी चाहिए जो सीधा स्कूल, यूनिवर्सिटी के उन कॉम्पोस्टिंग प्लांट्स से जुड़ी हों।
  4. राजघाट स्थित पावर प्लांट को स्टेट-ऑफ़-द-आर्ट वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट के रुप में तैयार किया जा सकता है जो यूरोपियन उत्सर्जन मानदंडो के आधार पर हो जो तकरीबन 6 हज़ार मीट्रिक टन कचरे को ट्रीट कर सकता हो।
  5. गऊशाला से पैदा होने वाले वेस्ट को ग़ैर-प्रदूषित ईँधन में तब्दील किया जा सकता है।
  6. कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन से निकले ईंट,पत्थर का सही तरीक़े से उपयोग किया जा सकता है।
  7. होटल और रेस्तरां से जो ऑयल और ग्रीस पदार्थ वेस्ट के रुप में निकलता है उसे उसी स्तर पर ट्रीट किया जा सकता है।

ऐसे बहुत से उपाय हैं जो बीजेपी शासित एमसीडी अपना सकती है बशर्ते उनके पास नीयत हो। एमसीडी में बैठी बीजेपी सिर्फ़ विज्ञापन लगाती है, ज़मीन पर उसके प्रयास हमेशा शून्य ही रहते हैं। अगर बीजेपी शासित एमसीडी कचरे के प्रबंधन को लेकर कुछ गंभीर होगी तो आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली सरकार दिल्ली की जनता के हित में एमसीडी की हर स्तर पर संभव मदद करने के लिए तैयार है ताकि एक साफ़-स्वच्छ दिल्ली का निर्माण किया जा सके।

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sudhir