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मनीष सिसोदिया ने जेल से देश के नाम खुला पत्र लिखा है। भाजपा की केंद्र सरकार के षड्यंत्रों के चलते जेल में बंद मनीष सिसोदिया ने पत्र में लिखा है कि बीजेपी लोगों को जेल में डालने की राजनीति कर रही है और हम बच्चों को पढ़ाने की राजनीति कर रहे हैं। सीएम अरविंद केजरीवाल का गुनाह इतना है कि पीएम मोदी की राजनीति के समक्ष वैकल्पिक राजनीति खड़ी कर दी। इसलिए आज केजरीवाल सरकार के दो मंत्री जेल में हैं। वर्तमान में जेल की राजनीति भले ही सफल होते दिख रही है, लेकिन भारत का भविष्य स्कूल की राजनीति में है। अगर पूरे देश की राजनीति तन-मन-धन से शिक्षा के काम में जुट गई होती तो आज देश में हर बच्चे के लिए विकसित देशों की तरह अच्छे स्कूल बन गए होते। जेल के अंदर से देख पा रहा हूं कि जब राजनीति में सफलता जेल चलाने से मिल जा रही है तो स्कूल चलाने की राजनीति की भला कोई जरूरत क्यों महसूस करेगा। सत्ता के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को जेल भेजना बच्चों के लिए शानदार स्कूल-कॉलेज खोलने से कहीं ज्यादा आसान है। एक बार शिक्षा की राजनीति राष्ट्रीय फलक पर आ गई तो जेल की राजनीति हाशिए पर ही नहीं जाएगी, बल्कि जेलें भी बंद होने लगेंगी।‌
सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि कहा कि मनीष सिसोदिया ने जेल से देश के नाम पत्र लिखा है। बीजेपी लोगों को जेल में डालने की राजनीति करती है। हम बच्चों को पढ़ाने की राजनीति कर रहे हैं। राष्ट्र शिक्षा से आगे बढ़ेगा, जेल भेजने से नहीं।

दिल्ली में शिक्षा क्रांति लाने वाले और लाखों बच्चों का भविष्य संवारने की दिशा में काम करने वाले दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस खुले पत्र में लिखा है कि ‘दिल्ली के शिक्षा मंत्री के रूप में काम करते हुए बहुत बार यह सवाल मन में उठता रहा कि देश और राज्य की सत्ता तक पहुंचे नेताओं ने देश के हरेक बच्चे के लिए शानदार स्कूल और कॉलेज का इंतजाम क्यों नहीं किया? एक बार अगर पूरे देश में पूरी राजनीति तन, मन और धन से शिक्षा के काम में जुट गई होती तो आज हमारे देश में हर बच्चे के लिए विकसित देशों की तरह अच्छे से अच्छे स्कूल होते। फिर क्यों शिक्षा को सफल राजनीति ने हमेशा हाशिए पर रखा? आज जब कुछ दिनों से जेल में हूं तो इन सवालों के जवाब खुद मिल रहे हैं। देख पा रहा हूं कि जब राजनीति में सफलता जेल चलाने से मिल जा रही है तो स्कूल चलाने की राजनीति की जरूरत भला कोई क्यों महसूस करेगा।’

उन्होंने पत्र में आगे लिखा है कि ‘सत्ता के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को जेल भेजकर या जेल भेजने की धमकी देकर सत्ता चलाना, देश के हरेक बच्चे के लिए शानदार स्कूल – कॉलेज खोलने और चलाने से कहीं ज्यादा आसान है। उत्तर प्रदेश के हुक्मरानों को एक लोकगायिका का लोकगीत अपने खिलाफ लगा तो पुलिस का नोटिस भेज उसे जेल जाने की धमकी भिजवा दी। कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने मोदी जी के नाम में एक शब्द इधर-उधर कर दिया तो दो राज्यों की पुलिस ने उनको एक खूंखार अपराधी की तरह फिल्मी अंदाज में जाकर दबोचा। अरविंद केजरीवाल जी का गुनाह तो इतना बड़ा है कि आज मोदी जी की राजनीति के समक्ष एक वैकल्पिक राजनीति ही खड़ी कर दी है। इसके चलते आज केजरीवाल सरकार के दो मंत्री जेल में है।’

उन्होंने लिखा कि ‘तस्वीर एकदम साफ दिख रही है। जेल की राजनीति सत्ता में बैठे नेता को और बड़ा व ताकतवर बना रही है। शिक्षा की राजनीति के साथ समस्या यही है कि यह नेता को नहीं देश को बड़ा बनाती है। जब शिक्षा लेकर देश के कमजोर से कमजोर परिवार का बच्चा भी मजबूत नागरिक बनता है तो देश ताकतवर बनता है। अच्छी बात यह है कि इस समय, आजादी के अमृतकाल-मंथन के समय देश के सामने जेल की राजनीति और शिक्षा की राजनीति दोनों ही वजूद में है। देश साफ-साफ देख रहा है कि कौन खुद को बड़ा बनाने की राजनीति कर रहा है और कौन देश को बड़ा बनाने की राजनीति कर रहा है।’

देश में जेल और शिक्षा की राजनीति के बीच तुलना करते हुए मनीष सिसोदिया ने लिखा कि ‘यह बात जरूर है कि शिक्षा की राजनीति आसान काम नहीं है। यह कम से कम राजनीतिक सफलता का शॉर्टकट तो बिल्कुल नहीं है। शिक्षा के लिए इतने बच्चों को, माता-पिता को और विशेषकर शिक्षकों को प्रेरित करना लंबा रास्ता है। जेल की राजनीति में तो जांच एजेंसी के चार अधिकारियों को दबाव में लेने भर से काम हो जाता है। शिक्षा की राजनीति में ऐसा नहीं हो सकता। आज जांच एजेंसियों के ऊपर दबाव बनाकर आप चाहे जिसे जेल में भिजवा दें, लेकिन शिक्षा की राजनीति में आप एक भी शिक्षक पर दबाव बनाकर, डराकर काम नहीं करवा सकते। शिक्षक सम्मान और प्यार से काम करता है। आप उसे केवल अपने आचरण और कार्य व्यवहार से अपने अनुसार बेहतर काम करने पर बाध्य कर सकते हैं। वह जांच एजेंसियों की तरह दबाव में आकर आपकी ड्यूटी नहीं बजा सकता है। इसलिए हमारे नेताओं को हमेशा से ही शिक्षा की राजनीति से ज्यादा सुगम व फलदाई जेल की राजनीति लगी है।’

देश में शिक्षा की राजनीति के ज़रिये आ रहे बदलावों का जिक्र करते हुए मनीष सिसोदिया ने अपने पत्र में लिखा है कि ‘जेल की राजनीति की इसी सुलभ सफलता ने राजनीति में शिक्षा को हाशिए पर ला दिया है। हालांकि शुभ संकेत यह है कि शिक्षा की राजनीति देश के वोटर के अंदर सुगबुगाहट ला रही है। दिल्ली के शिक्षा मॉडल से प्रभावित होकर पंजाब के वोटरों ने भी बेहतरीन शिक्षा, अच्छे सरकारी स्कूल और कॉलेज के लिए वोट दिया। इससे भी अच्छी बात यह है कि आज कई गैर भाजपा, गैर कांग्रेसी राज्य सरकारों ने राजनीति से ऊपर उठकर एक दूसरे के अच्छे कार्यों से सीखने-समझने का सिलसिला शुरू कर दिया है। इसमें भी शिक्षा पर एक दूसरे के अनुभवों और प्रयोगों से सीखना और अपनाना शुरू हो चुका है। बीजेपी शासित राज्यों में सरकारी स्कूल भले ही कबाड़खाने की हालत में हो, लेकिन उनके मुख्यमंत्री भी टीवी पर पांच-पांच मिनट के विज्ञापन शिक्षा के बारे में देने पर मजबूर हुए हैं। वे भी जानते हैं कि एक बार शिक्षा की राजनीति राष्ट्रीय फलक पर आ गई तो जेल की राजनीति ही हाशिए पर नहीं जाएगी, जेलें भी बंद होने लगेगी।‘

दिल्ली में शिक्षा मॉडल के रचयिता मनीष सिसोदिया ने लिखा कि ‘आज जरूर जेल की राजनीति सफल होती दिख रही है लेकिन भारत का भविष्य स्कूल की राजनीति में है। शिक्षा की राजनीति में है। भारत विश्व गुरु बनेगा तो इसलिए नहीं कि यहां की जेलों में कितनी ताकत है, बल्कि इसके दम पर कि यहां की शिक्षा में कितनी ताकत है। भारत की आज की राजनीति में जेल की राजनीति का पलड़ा भारी जरूर है, लेकिन आने वाला कल शिक्षा की राजनीति का होगा।’

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