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केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को खत्म कर दिया। यह देश के लोकतंत्र, सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली की दो करोड़ जनता के साथ भद्दा मज़ाक है। ये अध्यादेश कोर्ट में पांच मिनट भी नहीं टिकेगा। इसीलिए शुक्रवार को जैसे ही सुप्रीम कोर्ट छुट्टियों के लिए बंद हुआ, वैसे ही केंद्र ने अध्यादेश लाकर उसके फैसले को पलट दिया। ये पहले दिन से ही अध्यादेश लाने की तैयारी में थे। इस वजह से पहले तीन दिन सर्विसेज सेक्रेटरी और फिर चीफ सेक्रेटरी गायब हो गए। तीन दिन बाद सिविल सर्विस बोर्ड की बैठक हुई तो दो दिन एलजी प्रस्ताव लेकर बैठ गए। अब ये लड़ाई केंद्र बनाम सुप्रीम कोर्ट बन गई है। साथ ही, भाजपा ने दिल्ली की जनता को तमाचा मारा है कि तुम चाहे जिसे चुन लो, हम उसे काम नहीं करने देंगे। हम इसके खिलाफ दिल्ली में महारैली करेंगे। राज्यसभा में इसे पास होने से रोकने के लिए मैं विपक्ष से समर्थन भी मांगूंगा। ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को अध्यादेश पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ये बातें कहीं।

शाम 4 बजे सुप्रीम कोर्ट बंद हुआ और रात 10 बजे केंद्र ने अध्यादेश लाकर उसके आदेश को पलट दिया- अरविंद केजरीवाल

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि शुक्रवार को जैसे ही छुट्टियों के लिए सुप्रीम कोर्ट बंद हुआ, उसके कुछ घंटे के बाद ही केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर उसके फैसले को पलट दिया। अभी एक सप्ताह पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि दिल्ली के अंदर सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के उपर नियंत्रण सरकार का होगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में लिखा है कि अगर किसी अफसर को ये पता है कि कोई मंत्री उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता तो वो अपने मंत्री की क्यों सुनेगा? इसलिए कोई भी जिम्मेदार सरकार चलाने के लिए यह जरूरी है कि अफसरशाही और कर्मचारी सीधे-सीधे चुनी हुई सरकार के अधीन आएं। शुक्रवार को शाम 4 बजे सुप्रीम कोर्ट बंद हुआ और रात 10 बजे केंद्र सरकार ने अध्यादेश पास कर कोर्ट के आदेश को पलट दिया।

ये इंतजार में थे कि कब सुप्रीम कोर्ट की छुट्टियां हों और अध्यादेश लाएं- अरविंद केजरीवाल

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जिस दिन सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया था, उसके अगले दिन ही इन लोगों ने सोच लिया था कि अध्यादेश को लाकर इस आदेश को पलटना है। अगर हम घटना क्रम को देखें तो फैसला आने और उसको पलटने के बीच आठ दिन हैं। पहले तीन दिन दिल्ली का सर्विसेज सेक्रेटरी गायब हो गया, उसका फोन ऑफ हो गया। तीन दिन बाद सर्विसेज सेक्रेटरी बाहर निकलते हैं और कहते हैं कि मैं कोर्ट का आदेश मानने को तैयार हूं। इस दौरान चीफ सेक्रेटरी बीच- बीच में गायब हो जाते हैं और सिविल सर्विस बोर्ड की मीटिंग होने में तीन दिन लग जाते हैं। अंततः जब सिविल सर्विस की मीटिंग होती है और एलजी के पास प्रस्ताव भेजा जाता है तो एलजी उसे लेकर दो दिन बैठ जाते हैं। इस तरह इन लोगों ने 8 दिन गुजार दिए। ये सभी लोग कोर्ट बंद होने का इंतजार कर रहे थे कि कब कोर्ट की छुट्टियां होंगी और हम अध्यादेश लाएंगे।

केंद्र का आदेश गैर कानूनी, असंवैधानिक और जनतंत्र के खिलाफ है- अरविंद केजरीवाल

सीएम अरविंद केजरीवाल कहा कि प्रश्न ये उठ रहा है कि ये सुप्रीम कोर्ट के बंद होने का इंतजार क्यों कर रहे थे कि जब कोर्ट बंद होगा, तब अध्यादेश लाएंगे। जब कोर्ट बंद नहीं था और खुला था, तभी अध्यादेश लेकर आते। ये लोग सुप्रीम कोर्ट की छुट्टियां होने का इंतजार इसलिए कर रहे थे क्योंकि ये जानते हैं कि ये आदेश पूरी तरह से गैर कानूनी, असंवैधानिक और जनतंत्र के खिलाफ है। इनको पूरी तरह से पता था कि अगर सुप्रीम कोर्ट के खुले होते अध्यादेश ले आते और हम अगले दिन इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते तो सुप्रीम कोर्ट में पांच मिनट भी टिकने वाला नहीं था। इसलिए ये चाहते थे कि सुप्रीम कोर्ट के बंद होने के बाद अध्यादेश लाया जाए। ये बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि ये अध्यादेश पांच मिनट भी सुप्रीम कोर्ट में टिकने वाला है। तो क्या इस अध्यादेश की उम्र मात्र सवा महीने है, जब तक सुप्रीम कोर्ट बंद है। एक जुलाई को सुप्रीम कोर्ट खुलेगा और हम अध्यादेश को चुनौती देंगे। ये लोग अंदरखाने जानते हैं कि इस अध्यादेश का क्या होने वाला है?

केंद्र ने रिव्यू पीटिशन डाला है, लेकिन जब अध्यादेश से फैसले ही पलट दिया तो रिव्यू पीटिशन का क्या मतलब?- अरविंद केजरीवाल

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने रिव्यू पीटिशन दायर कर दी है। जब इन्होंने अध्यादेश लाकर पूरे फैसले को खत्म कर दिया तो रिव्यू पीटिशन का क्या मतलब रह गया? जब कोई फैसला ही नहीं बचा है तो उसकी समीक्षा कैसे हो सकती है। रिव्यू पीटिशन का मतलब तभी रहेगा, जब उसकी सुनवाई से पहले अध्यादेश को वापस लिया जाएगा। इसलिए प्रश्न यह उठ रहा है कि क्या सुप्रीम कोर्ट जैसे ही खुलेगा, इस अध्यादेश को वापस ले लिया जाएगा। क्योंकि तब जज यही कहेंगी कि आपने तो हमारा फैसला की खत्म कर दिया है तो रिव्यू पीटिशन किस बात की है। ऐसा लगता है कि अध्यादेश लाकर जनतंत्र और दिल्ली के दो करोड़ लोगों के साथ भद्दा मजाक किया गया है।

केंद्र ने अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा और पावर को चुनौती दी है- अरविंद केजरीवाल

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट फैसला दिया है कि पुलिस, लॉ एंड ऑर्डर और लैंड को छोड़कर चुनी हुई सरकार को दिल्ली चलाने का पूरा अधिकार है। इसके एक सप्ताह के अंदर ही अध्यादेश लाकर उस फैसले को पलट दिया गया। यह तो केंद्र सरकार सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट को चुनौती दे रही है। केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट को चुनौती दे रही है कि आप चाहे मर्जी आदेश कर लो, हम अध्यादेश लाकर उसे दो मिनट के अंदर खत्म कर देंगे। केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के गौरव और उसे पावर को चुनौती दी जा रही है। सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट का अपमान किया जा रहा है।

दिल्ली ने बार-बार कहा कि हमें ‘‘आप’’ की सरकार चाहिए और इन्होंने बार-बार हमें काम करने से रोका- अरविंद केजरीवाल

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी को दो बार विधानसभा और एक बार एमसीडी के अंदर प्रचंड बहुमत मिला। दिल्ली के लोगों ने बार-बार चीख-चीख कर कहा है कि हमें आम आदमी पार्टी की सरकार चाहिए और बार-बार इन लोगों ने आम आदमी पार्टी की सरकार को काम करने से रोका है। ये लोग जनता को भी एक तरह से खुली चुनौती दे रहे हैं कि हमारी पार्टी के अलावा किसी को भी चुनोगे तो हम उसे काम नहीं करने देंगे। ऐसे देश कैसे चलेगा? उन्होंने कहा कि 2015 में पहले ये नोटिफिकेशन लेकर आए। उसके बाद 2021 में एक कानून लाकर हमारी और पावर छिनी गई। हम दिल्ली में अच्छे स्कूल बना रहे थे। पिछले साल झूठे केस में फंसाकर हमारे शिक्षा मंत्री को जेल में डाल दिया, ताकि अच्छे स्कूल न बन सके। हम मोहल्ला क्लीनिक बना रहे थे। इन्होंने हमारे स्वास्थ्य मंत्री को जेल में डाल दिया, ताकि अस्पताल न बन सके और अब ये अध्यादेश लेकर आ गए। इससे साफ जाहिर होता है कि ये लोग आम आदमी पार्टी की सरकार को काम करने से रोकना चाहते हैं। क्योंकि जैसा काम आम आदमी पार्टी की सरकार कर रही है, वैसा काम करने की न तो इनकी नीयत है और न तो इनके पास क्षमता ही है। इन्होंने अध्यादेश में कई और सेक्शन डाले हैं। हम उसका अध्ययन कर रहे हैं। मैं दिल्ली और देश के लोगों से कहना चाहता हूं कि कामों की गति धीमी जरूर होगी, लेकिन सारे काम होंगे। मैं काम को रूकने नहीं दूंगा।

इस तरह जनतंत्र को कुचलना और सुप्रीम कोर्ट का अपमान करना सही नहीं- अरविंद केजरीवाल

‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह अध्यादेश लाकर भाजपा ने दिल्ली के दो करोड़ लोगों को एक तरह से तमाचा मारा है। भाजपा का कहना है कि जनता किसी पार्टी की सरकार चुन कर देख ले, हम उसे काम नहीं करने देंगे। हमारा संविधान दिल्ली के लोगों को अपनी सरकार चुनने का अधिकार देता है कि वे वोट देकर किसी भी पार्टी की सरकार चुनें। आम आदमी पार्टी बहुत छोटी पार्टी है और हम लोग बहुत छोटे हैं, देश बड़ा है और महत्वपूर्ण हैं। कल हम नहीं होंगे, कोई और होगा, लेकिन देश रहेगा। इस तरह से सरेआम जनतंत्र को कुचलना, सुप्रीम कोर्ट का अपमान करना सही नहीं है। हम इस अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।

भाजपा के कट्टर समर्थन भी कह रहे, प्रधानमंत्री ने ठीक नहीं किया- अरविंद केजरीवाल

‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस अध्यादेश के आने के बाद पूरे देश से मेरे पास फोन आ रहे हैं। यहां तक कि भाजपा के कट्टर समर्थन भी कह रहे हैं कि यह तो प्रधानमंत्री मोदी जी ने ठीक नहीं किया। ये 2015 में जब नोटिफिकेशन लेकर आए तभी ये अध्यादेश लाते, कोई कुछ नहीं कहता। दिल्ली के लोगों और आम आदमी पार्टी के आठ साल के संघर्ष के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट फैसला दे दिया और उसे ये पलट कहते हैं कि हम सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते हैं। यह पूरा देश देख रहा है और पूरा देश कह रहा है कि इन लोगों ने बहुत गलत काम किया है। अब मैं दिल्ली के लोगों के बीच जाउंगा और बहुत जल्द दिल्ली के अंदर एक महारैली की जाएगी। इस अध्यादेश के बाद दिल्ली की जनता की आ रही प्रतिक्रिया से लगता है कि इस बार जनता भाजपा को दिल्ली की 7 संसदीय सीटों में से एक भी सीट नहीं देने वाली है। दिल्ली की जनता इनके हथकंडों, तानाशाही और गुंडागर्दी से बहुत नाराज है। उन्होंने सभी विपक्षी दलों से अपील करते हुए कहा कि राज्यसभा के अंदर जब यह अध्यादेश पेश करने के लिए लाया जाए तो किसी भी हालत में पारित न होने दें। मैं खुद एक-एक पार्टी के नेताओं से मिलकर समर्थन मांगूंगा कि इस अध्यादेश का विरोध करना है, यह जनतंत्र के खिलाफ है। हमें किसी भी हालत में राज्यसभा के अंदर इस अध्यादेश को पास नहीं होने देना है।

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