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उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरुवार को दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली सरकार के स्कूलों के शिक्षकों के लिए फिनलैंड आधारित ट्रेनिंग की फाइल लौटाने की बात कही। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस संदर्भ में उपराज्यपाल को पत्र लिखकर ट्रेनिंग प्रोग्राम की फाइल को तत्काल वापिस लौटाने की बात कही है। अपने पत्र श्री सिसोदिया ने लिखा, ”20 जनवरी से एलजी के टेबल पर फाइल पड़ी है लेकिन अभी तक उनके द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया है। क़ानूनन LG किसी फाइल को 15 दिन से ज़्यादा नहीं रोक कर रख सकते है लेकिन इसके बावजूद एलजी इसपर कोई निर्णय नहीं ले रहे है और एक महीने से ज्यादा समय से फाइल दबाकर बैठे हुए है| टीबीआर के तहत उपराज्यपाल का डिफरेंस ऑफ़ ओपिनियन व्यक्त करने समय खत्म हो गया है। इसलिए, संविधान और टीबीआर के नियमों के तहत शिक्षकों को फ़िनलैंड भेजने पर एलजी के निर्णय लेने का समय ख़त्म हो चुका है। इसलिए एलजी फाइल वापिस लौटाए ताकि हम अपने शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फ़िनलैंड भेज सके।

उपमुख्यमंत्री ने लिखा कि, “आपके द्वारा शिक्षकों को फ़िनलैंड भेजने संबंधित फाइल में उठाए गए आपत्तियों को दो बार दूर करने के बाद, दोबारा 20 जनवरी 2023 को आपके पास फाइल भेजी गई| लेकिन एक महीने से ज्यादा होने के बावजूद आपके द्वारा इसपर कोई निर्णय नहीं लिया गया| इसी देरी की वजह से पहला बैच आपके द्वारा उठाए गए बार-बार के आपत्तियों के कारण नहीं जा सका। और अब मार्च 2023 में शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फ़िनलैंड भेजे जाने की फाइल आपके दफ्तर में में एक महीने से अधिक समय से लंबित है।

श्री सिसोदिया ने नियमों का हवाल देते हुए कहा कि, “ शिक्षा एक स्थानांतरित विषय है और दिल्ली सरकार के पास इस पर विशेष कार्यकारी नियंत्रण है। उपराज्यपाल के पास शिक्षा के किसी भी मामले में कोई भी फैसला लेने की शक्ति नहीं है। हालांकि, यदि उपराज्यपाल किसी मंत्री के किसी भी फैसले से असहमत होते हैं, तो वह मामला राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं। लेकिन उससे पहले संविधान और व्यवहार विधिनियम नियम 1993 के अनुसार, उपराज्यपाल को संबंधित मंत्री के साथ चर्चा करके इसे सुलझाने का प्रयास करना होगा व मम्मले को मंत्रीपरिषद् के पास भेजना होगा और यदि यहाँ कोई निष्कर्ष नहीं निकलता तो फिर उपराज्यपाल इसे राष्ट्रपति के पास भेज सकते है|

ट्रांजेक्शन ऑफ़ बिज़नेस ऑफ़ जीएनसीटीडी (संशोधन) 2021 के नियम 49 के अनुसार, उपराज्यपाल को मंत्री के फैसले से असहमत होने या समाधान के लिए चर्चाएं करने के लिए 15 दिन मिलते हैं

नियम-49 के अनुसार-किसी मामले में उपराज्यपाल और मंत्री के बीच किसी मामले में डिफरेंस ऑफ़ ओपिनियन होने की स्थिति में,15 दिन के भीतर उपराज्यपाल चर्चा के माध्यम से इस डिफरेंस ऑफ़ ओपिनियन को सुलझाने का पूरा प्रयास करेंगे| और इसके बावजूद अगर डिफरेंस ऑफ़ ओपिनियन बार्कर रहता है तो मुद्दे को मंत्रीपरिषद् के पास भेज दिया जायेगा| इसके बाद मंत्रीपरिषद् 10 दिन के भीतर इस मुद्दे पर विचार कर अपना निर्णय देंगे| अगर इसके बावजूद मुद्दे का हल नहीं निकलता या मंत्रीपरिषद् द्वारा निर्धारित समय में निर्णय नहीं लिया जाता है तो ये मान लिया जायेगा कि डिफरेंस ऑफ़ ओपिनियन अभी भी बरक़रार है और फिर एलजी नियम 50 के तहत इसपर अंतिम निर्णय लेने के लिए मुद्दे को राष्ट्रपति के पास भेजेंगे|

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि, फाइल 20 जनवरी, 2022 को उपराज्यपाल के पास भेजी गई थी। फाइल भेजे हुए एक महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है। टीबीआर के तहत उपराज्यपाल का डिफरेंस ऑफ़ ओपिनियन व्यक्त करने समय खत्म हो गया है। इसलिए, संविधान और टीबीआर के नियमों के अनुसार, दिल्ली सरकार द्वारा अपने शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फ़िनलैंड भेजने का निर्णय ही मान्य होगा| इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं कि कृपया फाइल वापस करें ताकि हम अपने शिक्षकों को विदेश में प्रशिक्षण के लिए भेजने की प्रक्रिया शुरू कर सकें|

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 20 जनवरी को उपराज्यपाल को प्रस्ताव भेजा था

उपमुख्यमंत्री श्री मनीष सिसोदिया ने 20 जनवरी को दिल्ली एलजी को फिनलैंड आधारित शिक्षक प्रशिक्षण का प्रस्ताव भेजा था। इससे पहले एलजी ने चुनी हुई सरकार की मंजूरी के बावजूद फाइल पर आपत्ति जताकर दो बार फाइल को रोका था। एलजी को भेजे प्रस्ताव में उपमुख्यमंत्री ने कहा था, “सरकार ने कॉस्ट-बेनफ़िट विश्लेषण सहित सभी पहलुओं से प्रस्तावों की जांच की है और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए इसे आवश्यक पाया है। यदि मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ने अपने शिक्षकों को विदेश भेजने का फैसला किया है, तो एलजी बार-बार आपत्तियां उठाकर इसे कैसे रोक सकते हैं।

बता दे कि 2022 से शिक्षकों को फ़िनलैंड भेजे जाने से संबंधित फाइल एलजी दफ़्तर में चक्कर काट रही है। इस बाद 2 बार स्पष्टीकरण माँगने के बहाने आपने फाइल वापिस भेज दी। इस बारे में बात करने के लिए जब मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल अपने मंत्रियों और कुछ विधायकों के साथ एलजी से मिलने पहुँचे तो उन्होंने मिलने से मना कर दिया। उस दिन एलजी ऑफिस द्वारा मीडिया में कहा गया कि उन्होंने शिक्षकों को फ़िनलैंड भेजने से मना नहीं किया है। इसके बाद 20 जनवरी को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया दोबारा फाइल एलजी के पास भेजी। लेकिन फाइल भेजे हुए 1 महीने से ज्यादा हो चुके है लेकिन इसके बावजूद एलजी की ओर से अबतक इसपर कोई निर्णय नहीं लिया गया।

इसलिए, संविधान और टीबीआर के नियमों के तहत शिक्षकों को फ़िनलैंड भेजने पर एलजी के निर्णय लेने का समय ख़त्म हो चुका है। इसलिए उपमुख्यमंत्री ने एलजी को फाइल वापिस लौटाने की बात कही है ताकि सरकार अपने शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फ़िनलैंड भेज सके।

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