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आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री की डिग्री मांगने पर गुजरात हाईकोर्ट द्वारा 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाने पर देश के सामने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि आज देश के सामने एक ही प्रश्न है कि क्या 21वीं सदी में भारत के प्रधानमंत्री पढ़े-लिखे होने चाहिए? 21वीं सदी का युवा बहुत आकांक्षी है और तेजी से भारत की तरक्की चाहता है। ऐसे में देश के प्रधानमंत्री का पढ़ा-लिखा होना बहुत जरूरी है। अगर पीएम पढ़े-लिखे होंगे तो कोई बहलाकर कहीं भी उनसे हस्ताक्षर नहीं करा पाएगा। देश में नोटबंदी नहीं होती, जीएसटी ठीक से लागू होता और तीन काले कानून नहीं लाए जाते।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अक्सर प्रधानमंत्री के कुछ ऐसे बयान आते रहते हैं, जो देश को विचलित कर देते हैं। मसलन, नाले की गैस से चाय बनाना, बारिश में रडार से बच जाना, ग्लोबल वार्मिंग नाम की कोई चीज नहीं होती और कनाडा में ए प्लस बी इंटू ब्रैकेट स्क्वॉयर जैसे उनके बयानों ने देश को बिचलित किया। ऐसे में गुजरात हाईकोर्ट का ऑर्डर आया है कि प्रधानमंत्री की डिग्री की जानकारी नहीं ले सकते, जबकि आजाद भारत में जानकारी लेना हर नागरिक का अधिकार है। अब देश की जनता के मन में यह सवाल है कि या तो प्रधानमंत्री अहंकार वश अपनी डिग्री नहीं दे रहे हैं या फिर उनकी डिग्री फर्जी है।

‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को प्रेस वार्ता कर कहा कि कल गुजरात हाईकोर्ट का ऑर्डर आया कि देश के लोग प्रधानमंत्री की शैक्षिक योग्यता के बारे में जानकारी नहीं ले सकते हैं। कोर्ट के इस ऑर्डर से पूरा देश एक तरह से स्तब्ध है। क्योंकि हम लोग जनंतंत्र में रहते हैं और जनतंत्र के अंदर प्रश्न पूछने और जानकारी मांगने की आजादी होनी चाहिए। किसी का भी कम पढ़ा-लिखा होना कोई गुनाह नहीं है। किसी का अनपढ़ होना भी कोई गुनाह या पाप नहीं है। हमारे देश में इतनी गरीबी है कि अपने घर की परिस्थितियों और हालात की वजह से बहुत लोगों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाती है।

‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री की शैक्षिक योग्यता की जानकारी मांगने की वजह बताते हुए कहा कि हमारे देश को आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं। इन 75 सालों में देश उतनी तरक्की नहीं कर पाया, जितनी करनी चाहिए थी। आज लोगों में बहुत ज्यादा बेचैनी है और तेजी से तरक्की करना चाहते हैं। हम 21वीं सदी में रह रहे हैं। 21वीं सदी का युवा बहुत आकांक्षी है और बहुत तेजी से तरक्की व रोजगार चाहता है, महंगाई से छूटकारा चाहता है। 21वीं सदी का युवा चाहता है कि भारत तेजी से तरक्की करे। ऐसे में देश के प्रधानमंत्री का पढ़ा-लिखा होना बहुत जरूरी है। लेकिन हम देखते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी जी के हर दूसरे-तीसरे दिन कुछ ऐसे बयान आते हैं, जो देश को विचलित कर देते हैं।

प्रधानमंत्री के इन बयानों ने देश को किया विचलित

नाली के गैस से चाय बनाना

प्रधानमंत्री का एक बयान आया कि नाली में से निकलने वाली गैस को उर्जा के रूप में इस्तेमाल करके उससे चाय बनाई जा सकती है। कोई भी जानकार और पढ़ा-लिखा आदमी इस किस्म की बात नहीं करेगा।

बादल में हवाई जहाज को रडार नहीं पकड़ पाएगा

प्रधानमंत्री का एक बयान आया कि अगर किसी दिन बारिश हो रही है और आसमान में बादल हैं तो बादलों के पीछे हवाई जहाज को रडार नहीं पकड़ पाएगा। प्रधानमंत्री के इस बयान को जिसने भी सुना, उसी ने कहा कि प्रधानमंत्री ये क्या बात कर रहे हैं? आर्मी, फौज, एयरफोर्स के लोगों और पढ़ने वाले युवाओं ने जब यह बात सुनी तो उन्हें बड़ा अटपटा सा लगा। उससे ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री का विज्ञान के बारे में कितनी कम जानकारी है।

कनाडा में ए प्लस बी इंटू ब्रैकेट्स स्क्वायर

प्रधानमंत्री कनाडा गए। वहां वे कुछ कहने की कोशिश कर रहे हैं कि ए प्लस बी इंटू ब्रैकेट्स स्क्वायर। प्रधानमंत्री क्या कहना चाह रहे थे, यह किसी को समझ में नहीं आया। उस समय पूरी दुनिया प्रधानमंत्री को देख रही थी। पूरी दुनिया के सामने देशवासी एक तरह से शर्मिंदगी महसूस कर रहे थे।

जलवायु परिवर्तन नाम की कोई चीज नहीं

एक जगह प्रधानमंत्री कुछ बच्चों को संबोधित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री बच्चों को बता रहे थे कि जलवायु (क्लाइमेट) चेंज नाम की कोई चीज नहीं है। जबकि ग्लोबल वार्मिंग एक बहुत बड़ा सत्य है। यह पूरी दुनिया मानती है और पूरी दुनिया में इस पर खूब काम चल रहा है। अगर हमारे देश के प्रधानमंत्री ऐसी बात करेंगे कि जलवायु परिवर्तन या ग्लोबल वार्मिंग कुछ नहीं है तो हम जलवायु परिवर्तन पर कोई एक्शन कैसे ले पाएंगे? वहां जो बच्चे सुन रहे थे, वो दबी जुबान में हंस रहे थे।

प्रधानमंत्री खुद कह रहे हैं कि मैं पढ़ा-लिखा नहीं हूं- अरविंद केजरीवाल

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधनमंत्री के इन बयानों सवाल खड़े करते हुए कहा कि ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि क्या हमारे देश के प्रधानमंत्री पढ़े-लिखे हैं और कितने पढ़े-लिखे हैं? हमने प्रधानमंत्री के कुछ वीडियो देखे। प्रधानमंत्री एक भाषण में कह रहे हैं कि मैं पढ़ा-लिखा नहीं हूं। मैं गांव के स्कूल गया था। उससे ज्यादा मेरी कोई पढ़ाई नहीं हुई है।

प्रधानमंत्री को पढ़ा-लिखा होना क्यों जरूरी?

अफसर बहलाकर कहीं भी हस्ताक्षर नहीं करा पाएंगे

सीएम अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री का पढ़ा-लिखा होने की वजह बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को एक ही दिन में विज्ञान और अर्थव्यवस्था के सैकड़ों फैसले लेने होते हैं। अगर प्रधानमंत्री पढ़े-लिखे नहीं होंगे तो अफसर और किस्म-किस्म के लोग आकर उनको बहलाकर कहीं पर भी हस्ताक्षर करा ले जाएंगे।

देश में नोटबंदी नहीं होती

देश में नोटबंदी हुई। नोटबंदी से देश को बहुत खामियाजा भुगतना पड़ा। नोटबंदी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान हुआ। एक तरह से देश 10 साल पीछे चला गया। अगर प्रधानमंत्री पढ़े-लिखे होते तो किसी भी हालत में कभी नोटबंदी नहीं करते।

जीएसटी सही तरीके से लागू होता

इसी तरह, देश में जीएसटी लागू किया गया। जीएसटी एक अच्छा कांसेप्ट था। लेकिन जिस तरह से जीएसटी लागू किया गया, इसने आज पूरी अर्थव्यवस्था का बेड़ा गर्क कर दिया। अगर प्रधानमंत्री पढ़े-लिखे होते तो देश के अंदर जीएसटी ठीक से लागू होता।

किसानों के तीन काले कानून नहीं बनते

देश में किसानों के तीन काले कानून लागू किए गए। किसानों से बिना बातचीत किए ये तीनों कानून लाए गए। यह समझ नहीं आता है कि किसने जाकर प्रधानमंत्री के कान भरे और उन्होंने ये तीनों कानून लागू कर दिया। आखिर में एक साल बाद तीनों काले कानून वापस लेने पड़े। इस तरह से अगर प्रधानमंत्री पढ़े-लिखे नहीं होंगे तो कोई भी व्यक्ति जाकर प्रधानमंत्री को बेवकूफ बना सकता है।

60 हजार सरकारी स्कूल बंद नहीं होते

पिछले कुछ वर्षों में देश के अंदर 60 हजार सरकारी स्कूल बंद कर दिए गए, जबकि देश की आबादी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में सरकारी स्कूल भी बढ़ने चाहिए थे लेकिन 60 हजार स्कूल बंद कर दिए गए। इसका मतलब देश में शिक्षा को जो तबज्जो दी जानी चाहिए, वो तबज्जो नहीं दी जा रही है। एक अनपढ़ देश कैसे तरक्की करेगा?

अमित शाह ने भी प्रधानमंत्री की डिग्री दिखाई थी, अगर डिग्री है तो क्यों नहीं दी जा रही है?- अरविंद केजरीवाल

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट के ऑर्डर ने प्रधानमंत्री की शिक्षा को लेकर जो संशय था, उसे और बढ़ा दिया है। इस बात का देश के लोगों को जवाब नहीं मिल पाया कि प्रधानमंत्री कितने पढ़े-लिखे हैं। कुछ वर्ष पहले अमित शाह ने भी एक प्रेस कांफ्रेंस करके कुछ डिग्री दिखाई थी। अगर डिग्री है और वो सही है तो डिग्री क्यों नहीं दी जा रही है। गुजरात और दिल्ली विश्वविद्यालय डिग्री की जानकारी क्यों नहीं दे रहे हैं? इसलिए देश के लोगों के मन में दो प्रश्न उठ रहे हैं। एक यह कि प्रधानमंत्री अपनी डिग्री इसलिए नहीं दे रहे हैं, क्योंकि उनको अहंकार है कि मैं क्यों दूं। मेरी डिग्री मांगने वाले ये कौन होते हैं? इनकी औकात क्या है? लेकिन जनतंत्र के अंदर इस तरह का अहंकार तो ठीक नहीं है। अगर जनता डिग्री मांगती है तो देनी चाहिए। जनता के मन में दूसरा प्रश्न यह उठ रहा है कि प्रधानमंत्री डिग्री इसलिए नहीं दे रहे हैं क्योंकि हो सकता है कि डिग्री फर्जी हो।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट के आए ऑर्डर के बाद जनता के मन में बहुत सारे अफवाहों का बाजार गर्म है और बहुत सारे प्रश्न खड़े हो रहे हैं। अगर प्रधानमंत्री दिल्ली और गुजरात विश्वविद्यालय से पढ़े हैं तो ऐसे में गुजरात विश्वविद्यालय को जश्न मनाना चाहिए कि हमारे विश्वविद्यालय में पढ़ा लड़का देश का प्रधानमंत्री बन गया। दिल्ली विश्वविद्यालय को भी जश्न मनाना चाहिए लेकिन दोनों प्रधानमंत्री की डिग्री को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मेरे सामने एक ही प्रश्न है कि क्या 21वीं सदी के भारत के प्रधानमंत्री पढ़े- लिखे होने चाहिए? क्या देश को एक शिक्षित प्रधानमंत्री की जरूरत है? अगर आप कोई कंपनी चलाते हैं और अपनी कंपनी के लिए कोई मैनेजर हायर करते हैं तब भी उसमें योग्यता अवश्य लिखते हैं। ऐसे में क्या देश को चलाने वाले सबसे बड़े मैनेजर पढ़े-लिखे होने चाहिए या नहीं होने चाहिए?

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