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आम आदमी पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री को लेकर भाजपा से वास्तविक स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। “आप” के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने भाजपा से स्पष्ट करने को कहा है कि प्रधानमंत्री की डिग्री फर्जी है या उनका बयान झूठा है। उन्होंने भाजपा से पूछा कि गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद 2005-6 में मोदी जी ने क्यों कहा था कि वे स्कूली शिक्षा के आगे नहीं पढ़े। इसलिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की ओर से सार्वजनिक की गई प्रधानमंत्री की डिग्री कई सवाल खड़े करती है। उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री की डिग्री की जांच हो गई और वो फर्जी निकली तो मोदी जी की लोकसभा की सदस्यता चली जाएगी और कई साल चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। मुझे लगता है कि इसलिए भाजपा की पूरी लीडरशिप पीएम की फर्जी डिग्री को सही साबित करने ले जुटी हुई है।

रविवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर “आप” के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री का मामला जबसे सामने आया है, तबसे पूरी भारतीय जनता पार्टी बौखला गई है। भाजपा के सभी मंत्री, प्रवक्ता और पूरी भाजपा पीएम की फर्जी डिग्री को सही साबित करने में जुट गए है। मैं इसको फर्जी डिग्री इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि गृहमंत्री अमित शाह ने प्रेस वार्ता में प्रधानमंत्री की जो डिग्री सार्वजनिक की है, वह अपने आप में कई सवाल खड़े करती है। मगर एक बात बहुत स्पष्ट है कि भारत के चुनाव आयोग का नियम कहता है कि अगर आप अपनी संपत्ति और डिग्री के बारे में कोई गलत जानकारी देते हैं तो आपकी सदस्यता रद्द हो सकती है। यानी भारत के प्रधानमंत्री की डिग्री की जांच कराने पर अगर वह फर्जी निकलती है तो मोदी जी की सदस्यता रद्द हो जाएगी। वह न सांसद रहेंगे और न ही चुनाव लड़ने के योग्य बचेंगे। यह भारत के प्रधानमंत्री की ओर से बहुत बड़ा फर्जीवाड़ा है।

राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री का दावा है कि उन्होंने 1983 में गुजरात विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री हासिल की है। उन्होंने एंटायर पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स ऑफ आर्ट्स यानी एमए किया है। इसी तरह यह भी बताया गया कि पीएम ने 1979 में दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए की डिग्री हासिल की है। मगर इस बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद एक भाषण दिया। उन्होंने कहा कि ‘आपको शायद यह जानकर आश्चर्य होगा कि मेरी स्कूली शिक्षा गांव में हुई है, जैसे कि एक मैडम बता रहीं थी अपनी शिक्षा के कारण आदमी आगे नहीं बढ़ता है, तो मेरी शिक्षा ही नहीं हुई। यह वक्तव्य खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है।

राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि आज मेरा केवल एक सवाल है कि अगर भारतीय जनता पार्टी के किसी भी नेता में साहस और हिम्मत है तो जाकर प्रधानमंत्री से इस सवाल का जवाब पूछ कर बताए। सवाल यह है कि अगर 1979 में प्रधानमंत्री ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। 1983 में गुजरात विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है। तो देश के सामने इस बात का खुलासा कर दीजिए कि पीएम ने 2005-06 के दौरान गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद आपने भाषण में एक शिक्षक को संबोधित करते हुए यह क्यों कहा कि उनकी कोई शिक्षा-दीक्षा नहीं हुई है। स्कूली शिक्षा के आगे वह नहीं पढ़े हैं। यह तो पीएम का खुद का बयान है। जब प्रधानमंत्री ने 1979 में बीए और 1983 में एमए की डिग्री हासिल कर ली थी तो वह 2005-06 में अपने भाषण में झूठ क्यों बोल रहे थे? यानी कि मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने जो कहा वो सच था। उसके पहले उनकी डिग्री के जो खुलासे हैं वो झूठे हैं।

उन्होंने कहा कि इस मामले में गुजरात हाईकोर्ट का जो फैसला आया वो अपने आप में बड़ा चौकाने वाला है और हास्यास्पद है। सीआईसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री दिखाने के लिए ऑर्डर दिया था। गुजरात विश्वविद्यालय डिग्री न दिखाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट गया। गुजरात के हाईकोर्ट ने ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के ऊपर जुर्माना लगा दिया। जिसका इस वाक्य से कोई लेना-देना ही नहीं है। वह अपील में गए भी नहीं थे। इसका मतलब दाल में काला नहीं है, पूरी दाल ही काली है। बीजेपी की लीडरशिप और स्वयं प्रधानमंत्री जी इसका जवाब दें कि अगर 1979 में पीएम मोदी ने बीए किया और 1983 में एमए किया तो 2005-06 में उन्होंने यह क्यों कहा कि स्कूली शिक्षा के बाद कोई शिक्षा नहीं की है। या तो आपकी डिग्री फर्जी है या तो आपके बयान झूठे हैं, दोनों में से एक बात जरूर है।

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