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Delhi government will introduce a “Happiness Curriculum” for children in Classes Nursery to 8From the next academic session, “Happiness Curriculum” classes will take place every day

Deputy Chief Minister and Education Minister Manish Sisodia on Wednesday announced the introduction of “Happiness Curriculum” in all Delhi Government schools for Classes Nursery to Eight. An in-house team of teachers and Principals is conducting a comprehensive research on the developments in this field from around the world.

While making the announcement, Mr Sisodia said, “The Delhi government has commissioned a team of experts, including Delhi government school teachers, preparing a framework for Happiness curriculum. The entire curriculum will be purely activity-based and no formal examinations will be conducted on it. However, a periodic assessment of children’s progress will be made using a Happiness Index.”

Mr  Sisodia  said, “At a time when our neighbour Bhutan is formulating its policies to ensure a high Happiness Index for its citizens, by building an activity-based Happiness Curriculum for children studying in our schools, we can not only help enhance their personality but also influence the direction in which we are heading as a society and nation.”

“Delhi’s Government schools have seen a remarkable turnaround in the last three years. Not only has there been a transformation in infrastructure and capacity, but there has been a serious effort to improve learning outcomes through various interventions. This reform process cannot be carried on merely for achieving higher learning outcomes in literacy, math, science and other subjects. Education has to serve a larger moral and societal purpose and cannot be looked at in isolation from the needs of society. Even as we aim for economic equality, we must strive for ‘happiness equality’ as well” said Mr Sisodia.

The Deputy Chief Minister appealed to teachers and students of Delhi government schools to come forward and assist the government in developing the Happiness Curriculum. He made the announcement during the “Excellence in Education” awards ceremony held today at the Thyagaraj Stadium.

दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शुरू होगा ‘हैप्पीनेस कैरिकुलम’ का नया विषय

सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में अब सबसे महत्वपूर्ण कदम स्कूलों में हैप्पीनेस कैरिकुलम का लागू होना होगा

हमें शिक्षा हासिल कर रहे बच्चों के मन मस्तिष्क से तनाव व अवसाद को दूर करना है

इसकी कोई औपचारिक लिखित परीक्षा नहीं होगी, लेकिन अन्य विषयों की तरह समय-समय पर इसका मूल्यांकन हरेक बच्चे की हैप्पीनेस इंडेक्स से किया जाएगा

दिल्ली सरकार नर्सरी से आठवीं क्लास तक के छात्रों के लिए हैप्पीनेस-कैरिकुलम (Happiness- Curriculum) का एक नया विषय (Subject) शुरू करेगी। ये पाठ्यक्रम अगले शिक्षा-सत्र से दिल्ली सरकार के सभी स्कूलों में लागू होगा। इसके तहत नर्सरी से आठवीं क्लास तक की हर क्लास में रोजाना एक पीरियड हैप्पीनेस सब्जेक्ट का होगा।

दिल्ली के शिक्षा मंत्री और उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आज इसकी घोषणा करते हुए बताया कि दिल्ली सरकार का शिक्षा विभाग जोर-शोर से इसकी तैयारियों में लगा हुआ है। इसके लिए प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों की एक टीम लगातार राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस दिशा में हो रहे कार्यक्रमों पर रिसर्च कर रही है। दुनिया के कई ख्यातिप्राप्त अंतरर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों ने स्कूलों में हैप्पीनेस कैरिकुलम पर रिसर्च की है। कई विश्वविद्यालयों ने तो हैप्पीनेस कैरिकुलम को एक नये विभाग के रूप में भी शुरू किया है। दुनिया के कई देशों में स्कूलों में अलग-अलग तरह से ये पाठ्यक्रम लागू भी किया गया है। शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि दिल्ली सरकार विशेषज्ञों से, जिसमें दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षक भी शामिल हैं, इसका पूरा खाका तैयार करवा रही है। यह पाठ्यक्रम पूरी तरह गतिविधियों पर आधारित होगा और इसकी कोई औपचारिक लिखित परीक्षा नहीं होगी। लेकिन अन्य विषयों की तरह समय-समय पर इसका मूल्यांकन हर एक बच्चे की हैप्पीनेस इंडेक्स के माध्यम से किया जाएगा।

मनीष सिसोदिया ने कहा कि जिस समय हमारे पड़ोसी देश भूटान में सरकार सभी नागरिकों की हैप्पीनेस इंडेक्स तैयार करती है तो ऐसे में स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थियों के मस्तिष्क को, विभिन्न शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से, लगातार 10 साल तक खुशनुमा बने रहने का अभ्यास कराकर, न सिर्फ विद्यार्थियों का अपना व्यक्तित्व बदला जा सकता है बल्कि पूरे समाज व देश की दशा और दिशा बदली जा सकती है।

मनीष सिसोदिया ने कहा कि भारतीय परंपराओं में शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार हासिल करना नहीं बल्कि छात्रों को खुशनुमा जिंदगी जीने के लिए तैयार करना रहा है। उन्होंने एक संदर्भ देते हुए बताया कि हजारों साल पुरानी भारतीय शिक्षा परंपरा में गुरुजन या बुजुर्गजन बच्चों को हमेशा ‘खुश रहो’ का ही आशीर्वाद देते आए हैं। यानी कि हर व्यक्ति के लिए ‘खुशनुमा जिंदगी’ जीने की शुभकामना देना हमारी परंपरा का हिस्सा रहा है। ऐसे में हम शिक्षा को तनाव या अवसाद देने वाला कैसे बना सकते हैं। उन्होंने इस पाठ्यक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि हम हैप्पीनेस के पाठ्यक्रम के माध्यम से बच्चे का मानसिक स्वास्थ्य विकसित करेंगे जो कि उसकी एकेडमिक उपलब्धियों जितना ही महत्वपूर्ण है।

पिछले तीन साल में दिल्ली सरकार द्वारा शिक्षा में किये गये सुधारों में दिल्ली सरकार का पहला महत्वपूर्ण कदम रहा है- सरकारी स्कूल में बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराना। इस दिशा में दूसरा कदम रहा है- प्रधानाध्यापकों और अध्यापकों को विश्व की बेहतरीन प्रशिक्षण सुविधाएं उपलब्ध करना। इन्हीं सुधारों में तीसरा औऱ सबसे महत्वपूर्ण कदम होगा- स्कूलों में हैप्पीनेस कैरिकुलम का लागू होगा। यह एक तरह से शिक्षा के केंद्र बिंदु (न्यूक्लियस) में प्रवेश करने का काम है। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि आज दुनिया में जितने लोग ‘आर्थिक कमी’ या ‘आर्थिक असमानता’ के कारण परेशान हैं, उससे कहीं ज्यादा बड़ी संख्या में लोग अवसाद या तनावपूर्ण जीवन जीने के कारण परेशान हैं। इसी वजह से इतना अपराध, भ्रष्टाचार, भेदभाव, हिंसा, शोषण आदि समस्याएं हैं। एक तरफ जब हम दुनिया में आर्थिक समानता (Economic Equality) की बात कर रहे हैं तो उसी समय हमें खुशहाली की समानता (Happiness Equality) की बात भी करनी पड़ेगी वरना आर्थिक समानता का प्रयास कभी सफल नहीं हो पायेगा।

मनीष सिसोदिया ने कहा कि शिक्षा में हमने Every Child Matters – सर्व शिक्षा अभियान – जैसे कई प्रयोग किये हैं जिनके माध्यम से हमने साक्षरता और कुछ हद तक रोजगार उपलब्ध कराने या गरीबी दूर करने में सफलता पाई है। लेकिन एक ऐसे समय में जब स्कूलों से हत्या, छेड़छाड़, हिंसा जैसी खबरें हमें चिंतित कर रही हैं तो शिक्षा का पूरा माहौल हैप्पीनेस की शिक्षा की ओर ले जाने की जरूरत है। ये शिक्षा किसी धार्मिक ज्ञान, गुरु ज्ञान या मंत्र पर आधारित नहीं होगी बल्कि विशुद्ध रूप से बच्चों के मनोविज्ञान को समझते हुए वैज्ञानिक तरीके से उनके विचारों, उनकी इच्छाओं, उनकी प्रतिक्रियाओं आदि के अवलोकन के जरिये विभिन्न गतिविधियों द्वारा संचालित होगी. इसके माध्यम से दिल्ली के स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों का एक हैप्पीनेस इंडेक्स स्वत: ही तैयार होता रहेगा। दिल्ली के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को ‘एक्सीलेंस इन

एजुकेशन’ सम्मान समारोह में आज शिक्षा मंत्री ने आज ये घोषणा की। उन्होंने उपस्थित शिक्षकों एवं विद्यार्थियों से अपील भी की कि वे दिल्ली सरकार के इस नये लेकिन क्रांतिकारी कार्यक्रम में आकर वालेंटियर करें।

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sudhir